अलविदा तो नहीं कह रहा लेकिन…खुशदीप

नहीं, नहीं मैं कहीं टंकी-वंकी पर चढ़ने नहीं जा रहा…क्योंकि आप उतरने को कहोगे तो शोले के सांभा की तरह मेरे घुटने दर्द करेंगे…आखिर उम्र का भी तकाजा है…इसलिए अपने लिए बीच का रास्ता निकालने की सोच रहा हूं…सोच क्या रहा हूं, सोच लिया…बस आज से अमल शुरू कर दिया है…

हां तो जनाब, और भी गम है ज़माने में ब्लॉगिंग के सिवा…डॉक्टर टी एस दराल ने दो दिन पहले ब्लॉगिंग एडिक्ट्स के लिए आंखें खोल देने वाली पोस्ट लिखी…मैंने उस पोस्ट में कमेंट में लिखा था कि पान, बीड़ी, सिगरेट, न तंबाकू का नशा, हमको तो ब्लॉगिंग तेरी मुहब्बत का नशा…लेकिन नशा तब तक ही ठीक रहता है, जब तक वो आपके काबू में रहे, अगर नशा आप पर काबू पाने लगे तो गुरदास मान के स्टाइल में समझो…मामला गड़बड़ है…

अगर आपके पास ब्लॉगिंग के लिए एक्स्ट्रा टाइम है तो शौक से इस शौक को पूरा करिए…लेकिन दूसरे ज़रूरी कामों या सेहत की कीमत पर ब्लॉगिंग के लिए दीवानगी दिखाना एक दिन आपको ही दीवाना बना देगी…हां, जो ब्लॉगिंग में नए खिलाड़ी है, उनके लिए शुरू में पहचान बनाने को ब्लॉगिंग में अतिरिक्त मेहनत समझी जा सकती है…लेकिन एक बार पहचान बन जाने के बाद अपने ऊपर स्पीड गवर्नर लगा लेना ही समझदारी है…

आठ महीने हो गए आपको रोज़ एक पोस्ट से पकाते-पकाते…जब मैं खुद लिख लिख कर पका हुआ आम हो गया हूं तो आप क्यों नहीं पकेंगे भला…वो कहते हैं न…Excess of anything is bad…इससे पहले कि जो थोड़ी बची खुची जवानी चेहरे से झलकती है, वो भी अलविदा कह दे…अच्छा है संभल जाएं…

हुआ ये है कि जनाब ब्लॉगिंग के चक्कर में और तो कुछ नहीं बस निंदिया रानी का ज़़रूर मैं दुश्मन हो गया…रात को देर तक जागने ने कमाल ये दिखाया कि शुगर, यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल (गुड तालिबान नहीं बैड तालिबान) सब कुछ बढ़ गया…डॉक्टर ने टेस्ट कराए तो जो रिपोर्ट आई, हर टेस्ट पर स्टार (खतरे के) बने हुए थे…मेडिकल रिपोर्ट ला कर अपनी बिटिया को बड़ी शान के साथ दिखाई…कहा- स्कूल के रिपोर्ट कार्ड में बिटिया जी हर सबजेक्ट में स्टार आप ही नहीं ला सकते, हम भी ला सकते हैं…

पत्नीश्री कब से कह रही थी, सेहत का ख्याल कर लो, ख्याल कर लो…लेकिन बुरी आदत थी न, पत्नीश्री की बात एक कान से सुनने और दूसरे कान से निकाल देने की…अब भी ऐसा ही कर रहा था…लेकिन एक दिन पांव ऐसा भारी हुआ (अरे,अरे कोई मेडिकली अनहोनी मत समझिए) कि ज़मीन पर रखना ही बंद हो गया…हमें तो किसी ने पाकीज़ा के राजकुमार की तरह ये भी नहीं कहा था कि पैर ज़मीन पर मत रखिएगा, मैले हो जाएंगे…वो तो दर्द ही इतना था कि नामुराद पैर ने खुद ही ज़मीन पर उतरने से मना कर दिया…सोचा मोच-वोच आ गई होगी…लेकिन कुछ महासयानों ने डराया कि हेयर लाइन फ्रैक्चर भी हो सकता है…

किसी तरह रिक्शे पर लद-फद कर अस्पताल पहुंचा…बकरा कटने के लिए आता देख अस्पताल के स्मार्ट स्टाफ ब्वायज़ ने सीधे एमरजेंसी ओपीडी में पहुंचा दिया…वहां डॉक्टर पर रौब झाडने के लिए जताना चाहा कि बारहवीं तक ज़ूलोजी पढ़ रखी है, डॉक्टर साहब कोई मसल या लिगामेंट तो टियर नहीं कर गया या फिर हेयरलाइन फ्रेक्चर हो गया लगता है…डॉक्टर ने ऐसा भाव दिखाया कि मैं उन्हें कोई मक्खन का चुटकुला सुना रहा था….डॉक्टर ने पैर का एक्सरे कराने के लिए दूसरे कमरे में रेफर कर दिया…एक्सरे करने वालों के शरीर में तभी हरकत आई जब उन्होंने चार सौ रुपये एडवांस जमा होने की पर्ची देख नहीं ली…एक्सरे कराने के बाद हाथों हाथ पैर का काला नक्शा हाथ में थमा दिया…वापस आया लंगड़ाते लंगड़ाते ओपीडी वाले डॉक्टर के पास…डॉक्टर ने काले परनामे को लाइट की तरफ कर देखा और ऐलान कर दिया…कोई फ्रैक्चर-व्रैक्चर नहीं हुआ…मन में तो आया, कह दूं कि फिर गरीब के चार सौ रुपये क्यों एक्सरे-मशीन को गपा दिए…खैर अब उस डॉक्टर की दिव्य दृष्टि जागी और उसने मुझे रियूमेटोलॉजी एक्सपर्ट को रेफर कर दिया…वहां भी मोटी फीस का नज़राना चढ़ाया…

डॉक्टर साहब ने चेक किया और कहा…दारू-वारू ज़्यादा ही पीते लगते हो…अब मैं सोचने लगा कि ब्लॉगिंग ने क्या इस हाल में पहुंचा दिया है कि शक्ल से ही बेवड़ा लगने लगा हूं…मुश्किल से ज़ुबान से शब्द निकले…डॉक्टर साहब लाल परी को तो आज तक चखा भी नहीं…डॉक्टर भी पूरे मूड में था…शायद बाहर वेट कर रहे मरीजों का आंकड़ा हाफ सेंचुरी पार होते देख बाग़-बाग़ था…डाक्टर ने चुटकी ली…मैं चखने की नहीं, सीधे गटकने की बात कर रहा हूं…बड़ी मुश्किल से डॉक्टर को विश्वास आया कि अल्कोहल से मैं कोसो दूर रहता हूं…डॉक्टर ने लिपिड प्रोफाइल, शुगर, फास्टिंग शुगर, यूरिक एसिड और भी न जाने कितने टेस्ट का पर्चा हाथ में थमा दिया…हिम्मत कर मैंने पूछ ही लिया…डॉक्टर साहब पैर में बीमारी क्या लगती है…डॉक्टर ने अहसान सा जताते कहा…गाउट…टेस्ट के नतीजे आ गए…डॉक्टर भी नतीजे देख अंदर ही अंदर प्रसन्नचित, लंबी रेस का बकरा जो फंसा था…(डॉक्टर दराल, डॉ अमर कुमार, डॉ अनुराग…सॉरी)…डॉक्टर ने हर हफ्ते दिखाने की ताकीद के साथ पर्चा भर कर दवाइयां रिकमेंड कर दी…(अब तक चार हज़ार का फटका लग चुका था)…अब इलाज चालू आहे…

खैर आप सोच रहे होंगे कि मैं अपना ये स्वास्थ्य-पुराण सुनाकर आपको क्यों बोर कर रहा हूं…ये इसलिए सुना रहा हूं कि शायद मेरी गाथा से ही उन्हें कोई संदेश मिल जाए, जिन्होंने ब्लॉगिंग के नशे में खुद को दीवाना बना रखा है…ये सब तो चल ही रहा था कि हमें अचानक इल्म हुआ कि अपने साहबजादे (सृजन) ग्यारहवीं में आ गए हैं…अब उसके लिए भी अगले दो साल पढ़ाई में सब कुछ झोंकने के है…अचानक पिता का कर्तव्य भी हिला हिला कर हमें झिंझोड़ने लगा…अब साहबजादे की पढ़ाई के लिए भी कुछ वक्त निकालना है…

ऐसी परिस्थितियों में क्या रास्ता बचता था हमारे लिए…ब्लॉगिंग को अलविदा बोलें और टंकी पर चढ़ जाएं…वो मुमकिन नहीं…वजह पहले ही बता चुका हूं, घुटनों का दर्द…फिर क्या करूं…रौशनी की किरण और कहीं से नहीं, हज़ारों किलोमीटर दूर गुरुदेव समीर लाल जी समीर के द्वारे से ही दिखी…यानि उन्हीं का फंडा अपनाया जाए…हफ्ते में सिर्फ दो पोस्ट…बाकी दिन खाली वक्त मिलने पर सिर्फ दूसरे ब्लॉग्स को पढ़ा जाए…वैसे भी चक्करघिन्नी बना होने की वजह से पिछले कुछ दिनों से दूसरे ब्लॉग्स पर कमेंट ही नहीं कर पा रहा था…तो जनाब, अब से पोस्ट के ज़रिए आप से रविवार और बुधवार को ही मुलाकात हो सकेगी…हां कमेंट के ज़रिए ज़रूर आपसे रोज़ मिलने की कोशिश करूंगा…आशा है आप इस मेकशिफ्ट अरेंजमेंट को भी अपना स्नेहाशीष देते रहेंगे…आप से अगली मुलाकात अब बुधवार को होगी…

स्लॉग ओवर

इम्तिहान के दौरान सात काम जो लड़कियां करती हैं-


1 लिखना
2 लिखना
3 लिखना
4 लिखना
5 लिखना
6 लिखना
7 लिखना


इम्तिहान के दौरान सात काम जो लड़के करते हैं-


1 चेक करना कि कमरे में लड़कियां कितनी हैं
2 अगर कोई युवा लेडी सुपरवाइज़र है तो उसकी उम्र का अंदाज़ लगाना
3 प्रश्नपत्र के पीछे पिकासो स्टाइल में चित्रकारी करना
4 याद करना कि नकल के लिए पिछली रात तैयार की गईं पर्चियां शरीर में कौन कौन सी जगह विराजमान हैं
5 जियोमेट्री बॉक्स की एक-एक चीज़ के ब्रैंड नेम से लेकर उनकी उत्पत्ति पर विचार करना (टाइम तो पास करना है न)
6 अपने को कोसना कि क्यों पिछली रात पढ़ाई के लिए बेकार में काली की
7 इम्तिहान से छूटते ही मूवी और बियर की रूपरेखा दिमाग में तैयार करना