अयोध्या…The opportunity in adversity…खुशदीप

 
60  साल से भी ज़्यादा इंतज़ार के बाद अयोध्या मसले पर आज हाईकोर्ट की बेंच दोपहर बाद साढ़े तीन बजे फै़सला सुना देगी…फैसला जो भी आए भारत के पास बढ़िया मौका है दुनिया को ऐसा संदेश देने का जो सिर्फ भारत की धरती से ही निकल सकता है…संकट से भी अवसर निकल सकता है, ये हम सबको दिखा सकते हैं…न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है कि बहुत कुछ अच्छा होने वाला है…हिंदुओं को वो मिल जाएगा जो वो चाहते हैं…मुसलमानों का मकाम भी बहुत ऊंचा हो जाएगा…भाईचारे की देश में एक नई इबारत लिखी जा सकती है…ये शायद मेरी गट फीलिंग है…

फैसला जिसके हक में भी आए लेकिन उसके बाद शांति और अमन की नई पहल शुरू हो सकती है…ऐसा नहीं कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद आपस में बातचीत हो ही नहीं सकती…ये मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद भी आपसी बातचीत का रास्ता साथ साथ चल सकता है…फैसला आने के बाद टेबल पर बातचीत के लिए बैठ कर ऐसे नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि वो तारीख का सुनहरा पन्ना बन जाए…बस इसी सिद्धांत को ध्यान में रखा जाए कि हमी हम हैं तो क्या हम हैं…तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो…दम तो तब है जब दोनों मिलकर हम बनें…

आज बार-बार बस यही गीत सुनने और सुनाने का मन कर रहा है…

इनसान का इनसान से हो भाईचारा,
यही पैगाम हमारा, यही पैगाम हमारा…


नए जगत में हुआ पुराना ऊंच-नीच का किस्सा,
सबको मिले मेहनत के मुताबिक अपना-अपना हिस्सा,
सबके लिए सुख का हो बराबर बंटवारा,
यही पैगाम हमारा, यही पैगाम हमारा…


हर इक महल से कहो कि झोपड़ियों में दीए जलाए,
छोटे और बड़ों में अब कोई फर्क नहीं रह जाए,
इस धरती पर हो प्यार का घर-घर उजियारा,
यही पैगाम हमारा, यही पैगाम हमारा…

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दीपक बाबा

खुशदीप साहेब, आपकी दुआ कबूल हुई……..

अब आप जैसे पत्रकारों कि सोच पर आगे का माहोल तय होगा.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद

एक बटा तीन फ़ैसला हो गया 🙂

अजय कुमार झा

लीजीए खुशदीप भाई आ गया फ़ैसला …और जहां तक मुझे लगा कि ..ये ऐसा कोई फ़ैसला नहीं आया है जिसके लिए साठ बरस तक का समय लिया गया …….और न ही इससे कुछ ठोस हासिल किया जा सका …….हां ये जरूर है कि ..इस फ़ैसले के बाद कोई दंगे फ़साद जैसी न होगी शायद ..दोनों आज भी उसी जगह हैं

Shah Nawaz
14 years ago

फैसला आ भी गया और आपकी बात भी सच साबित हुई. हमें गर्व होना चाहिए, अपने देश पर, अपने देश के कानून पर और देश वासियों पर. मेरे विचार से दोनों पक्षों को अब फैसले के आखिरी मानते हुए इस मसले को यहीं ख़त्म करना चाहिए. क्योंकि ख़त्म नहीं किया तो ख़त्म नहीं होगा और नेता गन यूँ ही लड़ते रहेंगे, जैसे लड़ाते रहें हैं. प्रेम रस को हर एक देशवासी में बांटने का समय है.

Anand kumar
14 years ago

nice article bhaiya…really its a great oppurtunity for india to send a message that even if an islaamic country is creating probs for us we are not against islaam amd INDIA IS A PLACE FOR BEST COEXISTANCE of ALL RELIGIONS

कृष्ण मुरारी प्रसाद

नमस्कार….

सञ्जय झा
14 years ago

हमी हम हैं तो क्या हम हैं…तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो…दम तो तब है जब दोनों मिलकर हम बनें…

YE SAHI HAI….

Khushdeep Sehgal
14 years ago

अजित जी,
फिर साबित होगा कि भारत गौतम और गांधी की धरती है…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
14 years ago

रोहित बोले तो बिंदास,
टकराव के रास्ते चल रही दुनिया को फिर भारत अमन का संदेश देगा…

जय हिंद…

दीपक बाबा

काश ऐसा "वो लोग" भी सोचते.

अमीन.

राम राम साब

Mangesh Singh
14 years ago

प्यार बांटते चलो,प्यार बांटते चलो,
क्या हिन्दू ,क्या मुसलमान ,क्या सिख और क्या इसाई
हम सब है भाई भाई………….

सञ्जय झा
14 years ago

हमी हम हैं तो क्या हम हैं…तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो…दम तो तब है जब दोनों मिलकर हम बनें…

je ye bat ho jaye …. to koi bat bane ……
gar aisa kuch ho jaye …… to koi bat nane..

pranam.

निर्मला कपिला

यही पैगाम हमारा है। बहुत बहुत आशीर्वाद।

अजित गुप्ता का कोना

आप सच कह रहे हैं, हमें भी ऐसा ही लग रहा है कि इस महान देश से आज एक महान संदेश दुनिया में जाएगा कि भारत की मिट्टी में ही सभी को गले लगाने की तासीर है। भारत भूमि ही त्‍याग की भूमि है और यहाँ प्रत्‍येक व्‍यक्ति देश के लिए त्‍याग करने को तत्‍पर रहता है।

दिनेशराय द्विवेदी

फैसला आए, तमाम आशंकाओं को समाप्त कर देश में अमन का इतिहास कायम करे।

Satish Saxena
14 years ago

बढ़िया सन्देश ….
शुभकामनायें खुशदीप मियां !

डॉ टी एस दराल

हमी हम हैं तो क्या हम हैं…तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो…दम तो तब है जब दोनों मिलकर हम बनें…

दूरस्त । सदबुद्धि आएगी , ऐसा विश्वास है ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)

इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

वाणी गीत
14 years ago

इन्सान से इंसान का हो भाईचारा …
यही पैगाम दुनिया के हर इंसान का होना चाहिए …मगर सिर्फ इंसानों के लिए …!
अच्छी पोस्ट ..!

Apanatva
14 years ago

hum sabhee kee ye hee manokamna hai………..
manavdharm sarvoparee hai .

Rohit Singh
14 years ago

आमीन। फैसला न हंसाएगा न रुलाएगा। बस बरसों पुराने मामले को किसी तरह निपटाने का होगा। ये तो तय है कि आपसी विचार के बाद ही फैसला होगा। हो सकता है सुप्रीम कोर्ट में फैसले की नौबत ही न आए। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट तक तो खैर पहुंचेंगे ही लोग, पर उसके बाद अगर बातचीत का रास्ता अख्तियार नहीं किया गया तो ये पूरे भारतवंशियों के लिए शर्म से डू़ब मरने की बात होगी। अब पांच सौ साल हो गए हैं टकराव के। मगर जरुरी है कि फैसले को फैसले की तरह ही लें लोग, जीतने का जश्न औऱ हारने का ग़म न मनाने लगे। यही वो समय है जब फिर से अच्छाई और अमन का रास्ता देश पकड़ सकता है।

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