हर आदमी सुख की तलाश में मारा-मारा फिरता है…यही चाहता है कि दुख का उस पर या उसके परिवार पर साया भी नहीं पड़े…लेकिन सुख और दुख में बड़ा महीन फर्क होता है…अगर उस फर्क को कोई समझ ले तो पूरी ज़िंदगी सुख के साथ बिता सकता है…
सुख को दुख से अलग करने वाला ये फर्क है सिर्फ एक रुपये का…जी हां…सिर्फ एक रुपये का…आप कहेंगे कि एक रुपये में आता ही क्या है…जो ये हमें सुखी बना देगा…मेरा कहना है बना सकता है ये आपको सुखी या दुखी…
बस इसका इतना सा फलसफा है कि मानिए अगर आपकी महीने की आमदनी 100 रुपए (सिर्फ मानिए) है और आपका खर्च 99 रुपए है तो आप ज़िंदगी भर सुखी रहेंगे…लेकिन अगर आपकी आमदनी 100 रुपए ही रहती है और आपका खर्च 101 रुपए होता है तो आप जीवन में हमेशा दुखी रहेंगे…है न सिर्फ एक रुपये का फर्क…अब ये हमारे हाथ में ही है अपने को सुखी या दुखी रखना…
स्लॉग ओवर
शहर के माचो लड़कों की क्या ख्वाहिश होती है…
220 सीसी पल्सर
या
225 सीसी करिज्मा
या
350 सीसी रायल एनफील्ड्स
या
1300 सीसी हायाबूसा ब्रैंड की सुपरबाइक खरीदना…
जानते हैं क्यों…
सिर्फ एक 80 सीसी की स्कूटी का पीछा करने के लिए…
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