सैफ़ अली ख़ान पर दोहरी मार, अब 15,000 करोड़ की पुश्तैनी प्रॉपर्टीज ख़ोने का ख़तरा

 

 

-खुशदीप सहगल

नई दिल्ली (22 जनवरी 2025)|

भोपाल स्थित खानदानी संपत्ति ‘एनेमी प्रॉपर्टीज’, सैफ़ की याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में खारिज़

सैफ़ की ग्रेट ग्रैंडमदर नवाब बेगम सुल्तान जहां ने 1901-30 में बदल दी थी भोपाल की तस्वीर

एक्टर सैफ़ अली ख़ान की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं. अभी वो जानलेवा हमले से पूरी तरह उभरे भी नहीं कि अब उन के हाथ से भोपाल स्थित 15,000 करोड़ रुपए की पुश्तैनी प्रॉपर्टीज़ निकलती नज़र आ रही है. ये संपत्तियां भोपाल के आखिरी नवाब से जुड़ी हैं जिन पर मध्य प्रदेश सरकार अब कभी भी कब्ज़ा ले सकती है. सरकार की ओर से इन्हें शत्रु संपत्ति या एनेमी प्रॉपर्टीज़ घोषित कर रखा है. सैफ़ अली ख़ान लीलावती अस्पताल में छह दिन इलाज के बाद छुट्टी मिलने पर 21 जनवरी को घर वापस आ गए. अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही सैफ़ ने पहला काम अपनी सिक्योरिटी टीम को बदलने का किया. अब एक्टर रोनित राय की ऐस सिक्योरिटी एंड प्रोटेक्शन कंपनी सैफ़ और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराएगी. इस स्टोरी में देशनामा भोपाल के नवाब परिवार के बारे में आपको सब कुछ बताएगा. कैसे इसका पटौदी ख़ानदान से नाता जुड़ा. कौन थीं सैफ़ की ग्रेट ग्रैंडमदर नवाब बेगम सुल्तान जहां जिन्होंने  1901-30 में बदल दी थी भोपाल की तस्वीर. जानिए सब कुछ. क्या है ये सारा माज़रा, कौन सी हैं ये प्रॉपर्टीज, सैफ़ अली ख़ान का क्या है इनसे कनेक्शन?

सैफ़ अली ख़ान लीलावती अस्पताल में छह दिन इलाज के बाद छुट्टी मिलने पर 21 जनवरी को घर वापस आ गए. 16 जनवरी की आधी रात को सैफ़ पर बांद्रा स्थित उनके घर में चाकुओं से हमला किया गया था. हमलावर को मुंबई पुलिस ने तीन दिन बाद गिरफ्तार किया. मुंबई पुलिस ने हमलावर की शिनाख्त बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहज़ाद के तौर पर की. अपने छोटे बेटे ज़ेह उर्फ़ जहांगीर को हमलावर से बचाने के लिए सैफ़ उससे भिड़ गए. गंभीर रूप से घायल सैफ को फिर लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया. 21 जनवरी को अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही सैफ़ ने पहला काम अपनी सिक्योरिटी टीम को बदलने का किया. अब एक्टर रोनित राय की ऐस सिक्योरिटी एंड प्रोटेक्शन कंपनी सैफ़ और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराएगी. इसी कंपनी के पास अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और आमिर ख़ान जैसे बड़े स्टार्स की सिक्योरिटी का ज़िम्मा भी है.

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अब बात सैफ़ के ख़ानदान से जुड़ी भोपाल स्थित 15,000 करोड़ की संपत्ति की. सैफ़ के लिए लीगल प्रॉब्लम 2014 में शुरू हुई जब कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट ने नोटिस जारी कर भोपाल में पटौदी परिवार की संपत्तियों को एनिमी प्रॉपर्टी घोषित कर दिया. सैफ ने इस नोटिस को 2015 में हाईकोर्ट में चैलेंज किया और इन प्रापर्टीज़ पर स्टे ले लिया. लेकिन 13 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट ने सैफ की याचिका खारिज कर दी और स्टे हटा दिया. हालांकि हाईकोर्ट ने सैफ़ को अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील करने के लिए एक महीने की मोहलत दी. लेकिन ये समयसीमा समाप्त हो गई और सैफ़ या उनके परिवार में से किसी ने भी अपीलेट ट्रिब्यूनल का रुख नहीं किया.

लीगल प्रोसेस के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार अब इन प्रॉपर्टीज पर कब्जा ले सकती है. भोपाल ज़िला प्रशासन इसमें एक्टिंग अथॉरिटी की तरह काम करेगा. भोपाल में 15,000 करोड़ की ये प्रॉपर्टीज कोहेफिजा से चिकलोड तक फैली हैं. भोपाल 1949 तक एक मुस्लिम स्टेट रहा. भोपाल को 1956 में मध्य प्रदेश से जोड़ा गया.

आइए अब आपको एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट 1968 के बारे में बताते हैं जिसके तहत सैफ़ की ख़ानदानी प्रॉपर्टीज एक्वायर की जाएंगी.

क्या है एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट, 1968? 

एनिमी प्रॉपर्टी या शत्रु संपत्ति ऐसे संसाधनों को कहा जाता है जो उन लोगों के नाम हैं जो पार्टिशन के दौरान पाकिस्तान चले गए थे, और बाद में जिन्होंने भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी. एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट 1968 में संसद से पास हुआ. इसमें सरकार को हक दिया गया कि वो भारत स्थित एनिमी प्रापर्टीज़  के तहत आने वाली संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सकती है.

अब जानते हैं कि सैफ़ के खानदान से जुड़ी भोपाल की प्रॉपर्टीज़ कैसे एनिमी प्रॉपर्टीज के तहत आईं. सैफ़ के दादा और आठवें नवाब ऑफ पटौदी इफ्तिखार अली खान की शादी भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला  ख़ान की बेटी साजिदा सुल्तान से 1939 में बड़ी धूमधाम से हुई थी. साजिदा की छोटी बहन आबिदा पार्टिशन के बाद 1950 में पाकिस्तान चली गईं और वहां जाकर फारेन सर्विस ज्वाइन की. 1960 में हमीदुल्ला खान के इंतकाल के बाद साजिदा को उनका वारिस घोषित किया गया तो कराची में रहते हुए आबिदा ने इस फैसले को चुनौती दी और भोपाल की संपत्ति पर अपना भी दावा ठोका. यही बड़ी वजह है जो भोपाल की नवाबी संपत्ति को एनिमी प्रॉपर्टीज के तहत लाई.

सैफ़ अली ख़ान की पड़ पड़ दादी नवाब बेगम सुल्तान जहां जिन्होंने भोपाल पर 1901 से 1930 तक राज किया

सैफ के दादा इफ्तिखार अली खा के ससुर हमीदुल्ला खान 1930 में भोपाल के नवाब बने थे. इससे पहले उनकी मां सुल्तान जहां उर्फ सरकार अम्मान भोपाल की आखिरी महिला नवाब रहीं. अपने माता-पिता की इकलौती संतान सुल्तान जहां ने 1901 से 1930 तक भोपाल स्टेट पर रूल किया. उन्हें नवाब बेगम ऑफ दार-उल-इकबाल-ए-भोपाल के नाम से जाना जाता था. रिश्ते में सैफ़ की पड़ पड़ दादी लगीं नवाब बेगम सुल्तान का नाम पिछली सदी के शुरू में भोपाल में शुरू किए गए अभूतपूर्व सुधारों के लिए जाना जाता है. उन्होंने खास तौर पर लड़कियों की शिक्षा पर बहुत ज़ोर दिया. नवाब बेगम ने भोपाल में कई अहम शिक्षण संस्थान शुरू करने के साथ प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य बनाया. 1920 में नवाब बेगम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की चांसलर बनीं. ये किसी भी भारतीय यूनिवर्सिटी की पहली महिला चांसलर थीं.

शिक्षा के अलावा नवाब बेगम ने टैक्सेशन, आर्मी, पुलिस, न्यायपालिका, जेल ढांचे में भी कई अहम सुधार किए. उन्होंने शराब पर बैन लगाया. नवाब बेगम ने 1922 में भोपाल में एक्जेक्यूटिव एंड लेजिसलेचर स्टेट काउंसिल स्थापित की. साथ ही म्युनिसपैल्टीज के लिए ओपन इलेक्शन का एलान किया. नवाब बेगम सुल्तान का सपना भोपाल का मेकओवर यूरोपियन स्टाइल में करने का था. उन्होंने भोपाल में यैच क्लब खोलने के साथ लॉर्ड मिंटो हाल, सेंट्रल लाइब्रेरी और बाग़ फराहत अफ्ज़ा बनवाए. नवाब बेगम को रोल्स रॉयस कारें बहुत पसंद थीं. जब पूरी दुनिया में इक्कादुक्का रईसों के पास ही ये कार होती थीं, तब नवाब बेगम के पास तीन रोल्स रायस कारें थीं.

बहरहाल अब देखना होगा कि मध्य प्रदेश सरकार कब तक सैफ की खानदानी संपत्तियों को एक्वायर करती है या सैफ़ इन्हें बचाने के लिए ऊपरी कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं.

 

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