IPL के अंधियारे में सीता और राजू…खुशदीप

पहले दो रियल हीरोज़ की बात…

मध्य प्रदेश के रीवा की सीता साहू….और अहमदाबाद का राजू भरवाड़…

सीता साहू ने एथेंस में 2011 के स्पेशल ओलंपिक्स में दो कांस्य पदक जीते…200 मीटर और 1600 मीटर की दौड़ में…सीता के पिता चाट का ठेला लगाते हैं…पिछले दिनों पिता बीमार हो गए तो घर का खर्च चलाने के लिए सीता को खुद गोलगप्पे बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा…

सीता का स्कूल भी छूट गया…सीता को इस स्थिति में लाने के लिए कुछ हद तक मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार भी ज़िम्मेदार है…दरअसल सरकार के पंचायत और सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने एथेंस स्पेशल ओलंपिक्स से पहले ऐलान किया था कि जो भी खिलाड़ी पदक जीत कर लायेगा, उसे नकद इनाम दिया जाएगा…स्वर्ण पर एक लाख, रजत पर 75 हज़ार और कांस्य पर 50 हज़ार…इस हिसाब से एथेंस ओलंपिक्स के बाद सीता को एक लाख रुपये मिल जाने चाहिए थे जो नहीं मिेले…सीता की गोलगप्पे बेचने वाली तस्वीरें मीडिया के ज़रिए सामने आईं तो मुख्यमंत्री नींद से जागे और सीता के लिए आनन-फ़ानन में एक लाख रुपये दिलाने का प्रबंध किया…मीडिया में बात आ गई तो कांग्रेस भी अपना सामाजिक चेहरा दिखाने में कहां पीछे रहने वाली थी…केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सीता के लिए नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन की ओर से पांच लाख रुपये और एक मकान दिलवाने का ऐलान किया…चलो किसी भी तरह सीता की किस्मत बदली तो सही…बहुत अच्छा हुआ…

अब अहमदाबाद के राजू भरवाड़ की बात…ऑटो रिक्शा चला कर परिवार का गुज़ारा करने वाला राजू दिन में मुश्किल से दो-तीन सौ रुपये कमा पाता है…पिछले दिनों राजू को गुजरात औद्योगिक विकास निगम की ओर से एक करोड़ नब्बे लाख रुपये का चेक मिला…ये चेक उसे साणंद के पास पुश्तैनी ज़मीन के मुआवज़े के तौर पर मिला…मां और अपने नाम चेक देखकर राजू चौंका…राजू जानता था कि जिस ज़मीन का उसे चेक मिला वो उसके दादा ढाई दशक पहले नब्बे हज़ार रुपये में बेच चुके थे…वहां कुछ और परिवार भी रहने लगे…लेकिन सरकारी कागज़ों में ज़मीन राजू के परिवार के नाम ही रही…राजू चाहता तो चेक की रकम से उसके पूरे परिवार की किस्मत बदल सकती थी….लेकिन राजू ने वो चेक अगले दिन ही गुजरात औद्योगिक विकास निगम को ले जाकर लौटा दिया…ये कहकर कि वो चेक रखकर पूरी ज़िंदगी अपनी आंखों में शर्मिंदा नहीं रह सकता था…राजू ने ये भी कहा कि ये उन परिवारों के साथ भी अन्याय होता जो उस ज़मीन पर रह रहे हैं…उन्हें वहां से बेदखल होना पड़ता…

आपने सीता और राजू की कहानियां पढ़ ली…

अब आइए अरबों रुपये के तमाशे इंडियन प्रीमियर लीग पर…कहने को देशवासियों को क्रिकेट और एंटरटेनमेंट का हेवी डोज़…ये भी दलील कि इससे नए प्रतिभावान खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है…खेलते तो आईपीएल मैचों में लाखों-करोड़ों की नीलामी में खरीदे गए खिलाड़ी ही हैं…लेकिन इन्हें नचाने वाले होते हैं उद्योगपति, धन्ना सेठ, फिल्म स्टार्स…इस तमाशे की डोर बीसीसीआई के हाथ में ही रहती है…इस बीसीसीआई के पदाधिकारियों में देश के कई नामी राजनेता भी शामिल है…बीसीसीआई के चुनावों में बोर्ड की राज्य स्तर की इकाइयों के पदाधिकारी हिस्सा ले सकते हैं…इसलिए राज्यों के नामी नेता ही इन इकाइयों पर काबिज़ हैं…होना तो चाहिए राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व क्रिकेटर्स के हाथों में इस खेल का नियंत्रण रहे…लेकिन अब ये क्रिकेट रहा ही कहा है…ये तो पैसे की महालूट का खेल बन चुका है…

कांग्रेस के राजीव शुक्ला आईपीएल कमिश्नर हैं तो बीजेपी के अरुण जेटली बीसीसीआई की अनुशासन समिति के सर्वेसर्वा…इनके अलावा और भी कई नेता क्रिकेट प्रशासन से जुड़े हैं…यहां दलीय राजनीति को पीछे छोड़कर सब एकजुट होकर क्रिकेट की भलाई के नाम पर खुद मलाई काटने में लगे हैं…कीर्ति आज़ाद या अजय माकन जैसे इक्का-दुक्का लोग बीसीसीआई पर लगाम लगाने की बात करते भी हैं तो पॉवरफुल लॉबी के आगे उनकी बात नक्कारखाने में तूती बन कर रह जाती है…

वरना कौन नहीं जानता कि एन श्रीनिवासन बीसीसीआई के अध्यक्ष भी बने रहते हैं…साथ ही अपनी कंपनी इंडिया सीमेंट्स के ज़रिए चेन्नई सुपरकिंग्स का मालिकाना हक़ भी अपने पास रखते हैं…इस टीम की कप्तानी भी वही महेंद्र सिंह धोनी करते हैं जो भारत की भी कप्तानी करते हैं…इन्हीं श्रीनिवासन साहब के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को बुकीज़ से संपर्क और फिक्सिंग में भूमिका के शक में मुबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार रात को तीन घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया…बुकीज़ से संपर्क रखने के आरोप में गिरफ्तार अभिनेता विंदू दारा सिंह ने माना है कि मयप्पन खुद सट्टेबाज़ी पर मोटी रकम लगाते रहे हैं…अब इस सारे घटनाक्रम को जानने के बाद क्या ये मुमकिन नहीं कि पूरा आईपीएल ही फिक्स्ड है…बीसीसीआई खुद पूरी दुनिया में सबसे मालदार बोर्ड है लेकिन फिर भी इसके सबसे ऊंचे ओहदेदार का दामाद खुद ही फिक्सिंग की फांस में है…और ये दामाद कोई ऐरा-गैरा नहीं बल्कि देश के सबसे पुराने फिल्म प्रोडक्शन हाउस एवीएम का वारिस है…चार्टर्ड प्लेन पर घूमने की हैसियत रखता है…

खिलाड़ियों को अपने इशारों पर नचाने के लिए आईपीएल मैचों के बाद रात भर होने वाली पार्टीज़ में सुरा और सुंदरी का भी भरपूर इंतज़ाम रहता है…इसी चक्कर में बताया जाता है कि श्रीसंत जैसा प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी अपने मुंह पर फिक्सिंग की कालिख पुतवा बैठा…ये वही श्रीसंत है जिसे राजस्थान रॉयल्स ने दो करोड़ रुपये की फीस में 2011 में खरीदा था…लेकिन दिल्ली पुलिस के मुताबिक पैसे की हवस और अय्याशी के चक्कर ने श्रीसंत को कहीं का नहीं छोड़ा…

अब तो विदेशों से आईं चीयरलीडर्स को लेकर भी उंगली उठ रही हैं…कहीं ये भी खिलाड़ियों या अम्पायर्स को फांसने का चक्कर तो नहीं…पाकिस्तान के अंपायर असद रऊफ का नाम अय्याशी में पहले भी सामने आया था, अब फिक्सिंग में भी वो जांच के घेरे में हैं…आईसीसी ने बिना वक्त गंवाए असद रऊफ़ को जून में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है…ऐसी ही ठोस कार्रवाई बीसीसीआई करे तो कैसे करे…उसके तो खुद मुखिया श्रीनिवासन के हाथ ही जले हुए हैं…श्रीनिवासन का खुद का बेटा अश्विन एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने जीजा मयप्पन को फिक्सिंग का गुरु बता रहा है…साथ ही अपने पिता पर भी सवाल उठा रहा है कि वो क्यों अपने छोटे विमान के लिए दुबई में चार घंटे रुककर ईंधन भरवाना पसंद करते है…अश्विन पूछ रहा है कि वो कौन से लोग हैं जिनके साथ उनके पिता दुबई हाल्ट के दौरान गोल्फ खेलना पसंद करते हैं…

कोई बड़ी बात नहीं कि कराची और दुबई में बैठे देशविरोधी तत्व फिक्सिंग और सट्टेबाज़ी के सिंडीकेट के ज़रिए देश की आस्तीन में बैठे सांप-सपोलों की मदद से अरबों रुपये कूट रहे हों…और फिर इसी पैसे का इस्तेमाल देश में आए-दिन आतंक की नई इबारतें लिखने में भी होता हो…

एक तरफ़ धनपशु पैसे के लालच में कुछ भी करने को तैयार है…वहीं अहमदाबाद में एक राजू भरवाड़ की  मिसाल है…छह हज़ार रुपये महीना कमाने के बावजूद 1.90 करोड़ रुपये की रकम को ठुकराने में एक मिनट की देर नहीं लगाता…क्योंकि उसे अपनी नज़रों में शर्मिंदा नहीं होना है…एक तरफ़ देश में आईपीएल नुमा तमाशे में सट्टे, फिक्सिंग और सेक्स का नंगा नाच है…सब क्रिकेट के नाम पर…वहीं इस क्रिकेट की चकाचौंध (या अंधियारा) में रीवा में सीता साहू जैसी लड़की भी है जो स्पेशल ओलंपिक्स में दो मेडल जीतने के बाद भी पानीपूरी बेचती है….क्या ये देश में क्रिकेट की बेशर्मी के आगे और सभी खेलों की मौत का सबूत नहीं है…

स्लॉग ओवर

एक तौलिया उतारना रणबीर कपूर को कहां से कहां पहुंचा देता है…

एक तौलिया कमर पर लगाना श्रीसंत को कहां से कहां पहुंचा देता है…

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Tamasha-E-Zindagi
11 years ago

लाजवाब और विचारों की सटीक अभिव्यक्ति | आभार

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

अजित गुप्ता का कोना

खेल मनोरंजन के साधन होते हैं, खिलाड़ियों पर अनावश्‍यक धन लुटाना ठीक नहीं है। इन्‍हें केवल मनोरंजन के कारण ही देखना होगा। जैसे फिल्‍म उद्योग को देखा जाता है। जनता का पागलपन कम होगा तो स्‍वयं ही समस्‍याएं उत्‍पन्‍न नहीं होंगी। रही राजनेताओं की बात तो हमने राजनेताओं को तो भगवान मान लिया है, क्‍या खेल और क्‍या साहित्‍य और क्‍या पत्रकारिता सभी में तो राजनेता घुसे हुए हैं। आम जन भी हमेशा राजनेताओं को ही सर माथे पर रखती है।

डॉ टी एस दराल

आम जनता में ऐसे हीरो बहुत मिल जायेंगे। बस उनका नाम सामने नहीं आ पाता।
लेकिन ऊंची जगह पर बैठे इन महानुभावों के कर्म सारे देश को शर्मसार कर रहे हैं।

प्रवीण पाण्डेय

हमने ही आँखों में चढ़ाया है इसे, अब किरकिरी बन गयी है।

Khushdeep Sehgal
11 years ago

जिस दिन देश जाग कर इनकी पहचान कर लेगा, सब सही हो जाएगा…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
11 years ago

यहां तो पूरे कुंए में ही भांग घुली है…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
11 years ago

रणबीर कपूर का तौलिया बड़ा था, श्रीसंत का छोटा…बस यही फ़र्क था…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
11 years ago

कम से कम इस तमाशे में तो कांग्रेस और बीजेपी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं…

यहां कोई किसी से इस्तीफ़ा नहीं मांगेगा…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
11 years ago

अब तो जिन्हें दौलत-रूतबे पर गुमान है, वहीं बस यहां हैं…

जय हिंद…

Khushdeep Sehgal
11 years ago

और छदम् नायक या खलनायक हर जगह जाने जाते हैं…

जय हिंद…

राजेश सिंह

असली नायक और खलनायकों की सच-सच पहचान

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

भ्रष्टाचारी थोड़े होते तो काबू पाया जा सकता था लेकिन!

Satish Saxena
11 years ago

बढ़िया विश्लेषण के लिए आपका आभार !
स्लॉग ओवर में आनंद आया !
शुभकामनायें आपको !

ताऊ रामपुरिया

तौलिये अवश्य ही चमत्कारी होंगे.:)

रामराम.

ताऊ रामपुरिया

सीता और राजू की हकीकत अनुकरणीय है.

रामराम.

anshumala
11 years ago

देश में एक ही तो खेल था जिसमे देश की कुछ पहचान थी राजनेताओ ने वहा भी सब बंटाधार कर दिया होना तो ये चाहिए की सभी खेल संघो में छोटे से छोटा पद उन्हें ही मिलना चाहिए जो कभी न कभी इस खेल को खेले हो खिलाडियों के आलावा एनी को हर खेल से दूर कर देना चाहिए , ऐसा करने से कोई राम राज तो नहीं आयेगा किन्तु इतनी बुरी हालत भी न होगी , किन्तु अब लगता है की बहुत देर हो चुकी है क्रिकेट अब अन्दर तक खोखला हो चुका है बस हमें ऊपर से कुछ कुछ ठीक ठाक दिखा रहा है |

chander prakash
11 years ago

जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं . .

देश में सीता और राजू की कमी नहीं हैं लेकिन थोड़े से भ्रष्टाचारियों नें पूरी इंसानियत की नाक में दम कर रखा है । सबसे बड़ी चिंता यह है कि इन बेइमानों की तादाद बढ़ने लगी है ।

Rahul Singh
11 years ago

अजाने ही रह जाते हैं कई असल नायक.

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