Good Bye…सबको राम-राम…खुशदीप

कसम खाई है कि कल दिल्ली में हुए प्रोग्राम के बारे में कुछ नहीं लिखूंगा…लिखूंगा क्या,हिंदी ब्लॉगिंग में तो संभवत मेरी ये आखिरी पोस्ट है…आप सब ने जो बीस महीने में मुझे इतना प्यार दिया, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया…बस और कुछ नहीं कहना…कल के प्रोग्राम पर भड़ास के यशवंत जी की ये रिपोर्टिंग पढ़ लीजिए….

ब्लागरों की जुटान में निशंक के मंचासीन होने को नहीं पचा पाए कई पत्रकार और ब्लागर

Khushdeep Sehgal
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कुमार राधारमण

एक नई शुरूआत की उम्मीद लिए बैठा हूं- हर स्तर से।

मुकेश कुमार सिन्हा

khushdeep bhaiya..hame to bas itna kahna hai, aapse mila aapki aatmiyata se mugdh ho gaya….!! thanx!! aisa hi pyar banaye rakhna…:)

दर्शन कौर धनोय

खुश दीप जी मै नई हूँ किसी को नही जानती –आपसे कुछ दिन हुए मुलाक़ात हुई है –इतनी जल्दी हमारा साथ न छोड़े –आपसे बहुत कुछ सीखना है !

राम त्यागी

बहुत दिनों से परदे के पीछे था – एक पाठक था ! समय की कमी के चलते (और आलस्य में भी) बस पढ़े जा रहा था , परिचर्चा और लिखने के लिए समय ही नहीं दे पा रहा था, कई बार वापस आने की सोची पर नही लेखनी उठा पाया !

जब रविन्द्र जी का सन्देश कार्यक्रम के बारे में आया तो खुशदीप भाई का सहारा लिया और जब आज कुछ ब्लॉग पढ़े तो कार्यक्रम के बाद बहुत दुःख और आघात पहुंचा इसलिए कि आप ब्लॉग लिखना छोड़ रहे हैं 🙁 मैं आपके ब्लॉग का एक नियमित पाठक और आपकी लेखनी को पसंद करने वालो में से एक हूँ ! तो आपके इस निर्णय से मुझे दुःख पहुंचना स्वाभाविक था 🙁

ब्लोग्गिंग हमारे फक्कडपन और व्यक्तित्व और विचारों का अपने चाहने वालो , पाठकों और आलोचकों के साथ बांटने का एक तरीका है और वो भी आप हिन्दी में लिखते है तो एक तरह से आप हिन्दी को जीवित रखने में भी सहयोग कर रहे हैं जब हर कोई अंग्रेजी के मायाजाल में हिन्दी में व्यक्त करना ही भूल गया है ! कार्यक्रम के आयोजन में समय की पाबन्दी बहुत जरूरी है और ब्लॉग्गिंग जैसे कार्यक्रम में फक्कडपन होना चाहिए पर हम प्रायोजकों और अन्य चीजों के चक्कर में कभी कंभी थोडा भटक जाते हैं , पर फिर भी आप सब लोग , रवींद्र प्रभात , अविनाश जी सब लोग इस आयोजन के लिए बधाई के पात्र है , हिन्दी ब्लोग्गिंग को परिपक्व होना है और इस तरह की गलतियों से सीखने की जरूरत है न कि खिजियाने की !

पुण्य प्रसून जी की वजह से और कुछ अन्य वजहों से मैं आपका क्षोभ समझ सकता हूँ पर फिर भी पुनः प्रार्थना करूँगा कि आप लिखना न छोडें !

फिर से सोंचे और जल्दी ही वापस आयें , अपनी सेहत को जल्दी से चुस्त दुरुस्त करके !

इन्तजार रहेगा पोस्ट का 🙂

Astrologer Sidharth
13 years ago

गांव वालों एक ही बात गूंज रही है बंदा टंकी पर है 🙂

Rakesh Kumar
13 years ago

anshumala ji

बिल्ली की म्याओ एक बार
कुत्ते की भों भों दो बार
अब बन्दर की 'खों खों' और
बकरी की 'मैं मैं' भी और हो जाये
तो कुछ आये हंसी खुशदीप भाई को.

anshumala
13 years ago

भौ भौ- 2

हर इन्सान को खुद से पूछना चाहिए और ईमानदारी से खुद को जवाब देना चाहिए की क्या वास्तव में वो खुद इतना ईमानदार है दुसरे बेईमान का बहिष्कार कर सके या उसके हाथो पुरुस्कार लेने से परहेज कर सके मुझे लगता है की यदि कोई इस दर्जे का ईमानदार है तो सबसे पहले वो एक काम करेगा की कोई भी पुरुस्कार लेने से ही इंकार कर देगा | क्योकि की ये बात सभी जानते है की दुनिया में कोई भी पुरुस्कार पूरी ईमानदारी से नहीं बाटे जा सकते है चयन करने वाले की निजी पसंद ना पसंद और रिश्ते उसे प्रभावित जरुर करते है | असली ईमानदारी तो यही है की चाहे सरकारी पुरुस्कार हो या निजी उसे लेने से ही इंकार कीजिये यदि ईमानदार बने रहना है तो निष्पक्ष बने रहना है तो |

anshumala
13 years ago

भौ भौ -1

मै बेईमानी और ईमानदारी का पैमाना भी जानना चाहूंगी की कितने और किस तरह के बेईमान के साथ पुरुस्कार लेने और मंच साझा करने से परहेज करना चाहिए और किस तरह के बेईमानो से पुरुस्कार ले कर उसे अपने ब्लॉग पर गर्व से सजाना चाहिए | मुझे तो लगता है बेईमानी में भी लोगो की औकात देखी जाती है यदि बेईमानी करने वाला प्रधानमंत्री है या उसको नाचने वाला कोई है तो उसकी बड़ी बेईमानी को अनदेखा कर देना चाहिए और यदि बेईमान उससे निचे का है तो उसे बेईमान कह दूर भाग जाना चाहिए | यहाँ भी मजेदार बात है दिल्ली का जो बड़का पत्रकार किसी राज्य के मुख्यमंत्री को बेईमान कह पास नहीं जाना चाहता (क्योकि अब उसकी पहुँच तो प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मंत्रियो तक है भाई ) उसी मुख्यमंत्री के आगे पीछे छुटके राज्य स्तर के पत्रकार घूमते रहते है ,ये पिरामिड ऐसे ही निचे तक बना होता है |

anshumala
13 years ago

म्याऊ म्याऊ

काफी कम समय में काफी ब्लोगिंग कर ली है आप ने एक ब्रेक तो आप का बनता ही है दूसरो की न सुनिए कुछ हफ्तों का ब्रेक तो ले ही लीजिये | ब्रेक के बाद आइये तब तक इन विवादों का गुस्सा की शांत हो चूका होगा और नए विचार नए तरीके के विचार भी मन में पनप चुके होंगे | ब्लोगिंग में वापस से आन्नद आने लगेगा |

Atul Shrivastava
13 years ago

मैं अभी इस क्षेत्र में नया हूं। ज्‍यादा गणितबाजी नहीं समझता। सिर्फ अपने लिए लिखता हूं। कोई टिपियाये तो ठीक न टिपियाये तो ठीक।
हां जितना मैंने समझा है उसके अनुसार यह कह सकता हूं कि यहां टांग खिंचाई में कोई कमी नहीं होती। गुटबाजी बनी हुई है , पर मैं खुद को उससे अलग रखने की कोशिश करता हूं।
अपना लिखता हूं। जिसका पसंद आता है उसका पढता हूं।
खुशदीप जी आपको कुछ समय से पढने का मौका मिला। आपकी लेखनी वास्‍तव में नैसर्गिक है।
इसे चंद लोगों की नाराजगी के कारण न बंद करें…. ये तो ऐसा होगा जैसे आप उन लोगों की फिक्र ज्‍यादा करते हैं बनिस्‍बत…. उनके जो आपको पसंद करते हैं।
आपको लिखा आशुतोष जी का पत्र पढा। और कमेंट पढे।
आपसे इतनी ही गुजारिश की हमें महरूम न करें अपने कलम से….

shikha varshney
13 years ago

टिप्पणियों से माजरा समझ में आया. परन्तु गलतियों का सुधार मैदान में रहकर ही संभव है .पलायन तो इसका हल नहीं. हिंदी ब्लोगिंग को आप जैसे लोगों के सख्त जरुरत है. उम्मीद है अपनी जिम्मेदारियों से नहीं हटेंगे आप.

आशुतोष की कलम

@खुशदीप जी..
आप वरिष्ठ हैं तो ज्ञान मुझसे बहुत ज्यादा होगा मगर एक श्लोक साझा करना चाहूँगा गीता का..

हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः ,,
.
मुझे लगता नहीं बाकी लोगों की तरह आप चाटुकार हैं.शायद आप में ये गुण नहीं था इसलिए स्थापित होने के बाद भी आप ने निर्णय ले लिया अलविदा कहने का..आप इसे सिर्फ ब्लोगिंग के नजरिये से न देखें..कुछ लोग ब्लोगिंग को बकवास कह कर अपनी दुकान चला लेंगे ..
शायद आप के अन्दर प्रतिभा है तो वो हिंदी ब्लोगिंग की मुहताज नहीं रहेगी…आप कहीं न कहीं सफल हैं और आगे भी जाएँगे…मगर यदि आप ऐसा करते हैं तो मेरे जैसे व्यक्ति के एक तरफ चाटुकार मिलेंगे जो हिंदी भवन में किलो के भाव मिल गए….और दूसरी तरफ निज स्वार्थ से युक्त एक व्यक्ति..वो होंगे आप ..
जो जरा सी बात पर रणछोर बनने चले हैं..उसी रणछोर ने गीता का ज्ञान भी दिया है जो आप मुझसे बेहतर जानते होंगे,..
क्या आप पलायनवादी हो गए हैं ??आप का कोई कर्तव्य नहीं बनता उन लोगों के लिए जो आप के ब्लॉग आ कर अपनी उंगलिया घिस घिस के आप से विचार साझा करते थे??? ….आप की लेखो से कुछ प्रेरणा लेते थे या शायद आप की स्वस्थ आलोचना करते थे..क्या वो खुशदीप सहगल के चाटुकार हैं????
हिंदी भवन में शयद ४-६ चाटुकार थे जिन्होंने प्रलोभनों के सहायता से कुछ सहयोगी इकट्टा कर लिए..मगर आप अपने कर्तव्य से भागकर उन लोगो को बढ़ावा देते हुए चाटुकारों की नयी पीढ़ी का शंखनाद कर रहें हैं……
आप ने कहा तो एक तरफ धर्म युद्ध और सत्य के पांचजन्य का शंखनाद किया दूसरी ओर किनारा किये जा रहें हैं…ये सही नहीं है ..आप उन गद्दारों की श्रेणी में नाम मत लिखवाइए…नहीं तो अगले साल हिंदी ब्लोगिंग में राखी सावंत पुरस्कार बाटेंगी सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार का… और चाटुकारों की ब्लॉगर फ़ौज हिजड़ों की तरह ताली बजाएगी..
अब बस इतना कहूँगा की की इसे छोटे भाई की प्रार्थना या एक ब्लोगर की व्यथा कथा,या एक मित्र की सलाह या अनवर जमाल की चुनौती समझकर लेखनी का ये धर्म युद्ध पुनः शुरू करें…
ब्लोगिंग के शिखंडी खुद ही किनारे हो जाएँगे.हम सभी आप के साथ हैं और उससे भी ज्यादा हमें आप के साथ की जरुरत है..

@अनवर भाई: आप की टिपण्णी में मुझे खुशदीप जी के ब्लोगिंग में वापस आने का भय स्पष्ट दिख रहा है..

बेनामी
बेनामी
13 years ago

अभी भिलाई वापस पहुंचा हूँ
आता हूँ कुछ खा-पी कर

बेनामी
बेनामी
13 years ago

मेरी प्रतिक्रिया – 5

'ये ब्लॉगिंग व्लॉगिंग सब बकवास है, फालतू है'
'ब्लॉगिंग से समाज को क्या फायदा होता है, यह सब तो चोंचले हैं, कोई मतलब नहीं इस पर समय देने से'!

यही कहा था ना पुण्य प्रसून बाजपेयी जी ने मुझसे, आप तो गवाह रहे हैं!
क्या यही कहने की कोशिश में आना था उन्हें मंच पर? इस न्यू मीडिया के नाम पर?

बेनामी
बेनामी
13 years ago

मेरी प्रतिक्रिया -4

जब आपने ब्लॉगिंग शुरू की तो 15 दिनों के भीतर ही आपको बेस्ट प्रोड्यूसर का अवार्ड मिला, आपने ब्लॉगिंग को धन्यवाद दिया
आज आपको ब्लॉगिंग में अवार्ड मिला तो ब्लॉगिंग छोड़ कर जा रहे

ज़रा बताईएगा कि बेस्ट प्रोड्यूसर का अवार्ड आपने किनके हाथों से ग्रहण किया था और वह भ्रष्टाचार जैसे स्केल पर कहाँ खडा है आम नागरिक की नज़रों में

बेनामी
बेनामी
13 years ago

मेरी प्रतिक्रिया – 3

जब तक दम में दम है, चिठ्ठे ठेलना जारी रहे… ये कामना हर ब्लॉगर साथी के लिए है…वैसे ब्लॉगर कभी रिटायर होने की सोचे भी क्यों…ब्लॉगर्स कभी रिटायर नहीं होते…आखिर क्यों हो रिटायर.

जब और माई के लाल आसानी से रिटायर होने को तैयार नहीं होते तो ब्लॉगर्स़ क्यों लाए मन में ऐसी बात..

यह आपने ही लिखा था ना?

बेनामी
बेनामी
13 years ago

मेरी प्रतिक्रिया -2

ब्लॉगिंग हमें ड्राइव कर रही हैं या हम ब्लॉगिंग को ड्राइव कर रहे हैं…?

यह भी आपने ही पूछा था ना ?

बेनामी
बेनामी
13 years ago

मेरी प्रतिक्रिया -1

देवा रे देवा…यहां भी राजनीति…ब्लॉगिंग के शैशव-काल में ही कदम-कदम पर उखाड़-पछाड़ की शतरंज…मोहरे चलाने वाले परदे के पीछे…और मोहरे हैं कि कारतूस की तरह दगे जा रहे हैं…ठीक वैसे ही जैसे कस्बे-गांवों के मेलों में बंदूकों से गुड़िया, मोमबत्ती, सिक्का पर निशाना लगाया जाता है…100 में 99 शाट्स या तो खाली जाते हैं या पीछे चादर की दीवार पर लगे गुब्बारों को शहीद कर आते हैं…

नागरिक की हैसियत से अपना विज़न रखने का उतना ही अधिकार है जितना कि हमें और आपको…खैर ये तो राजनीति की बातें हैं…जिसमें कोई नीति न हो, वो राजनीति…

लेकिन ब्लॉगिंग में राजनीति क्यों…हिंदी ब्लॉगिंग ने तो अभी चलना ही सीखा है…दौड़ने के लिए रफ्तार पकड़ने से पहले ही एक-दूसरे की टांग खिंचाई क्यों…क्यों कुछ को महेश बनना पसंद आ रहा है…वो ब्रह्मा-विष्णु बनकर हिंदी ब्लॉगिंग को उस मुकाम तक क्यों नहीं ले जाते, जिसकी वो हकदार है..

बड़ों को जैसा करते देखते हैं, बच्चे भी वैसा सीखते हैं…ब्लॉगिंग के हम रंगरूट भी अपनी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा देने की जगह विध्वंस में ही मौज ढूंढने लगेंगे…छोटा मुंह बड़ी बात होगी…ज़्यादा कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन फरियाद पर गौर ज़रूर किया जाए मी-लॉर्ड.

यह आप ही के लिखे हुए शब्द हैं ना?

निर्मला कपिला

ुन्मुक्त जी ने सही कहा और मेरा हुक्म है कि कल पोस्ट लगनी चाहिये जो हो गया उससे सबक लें और आगे बढें विवाद तो चलते ही रहेंगे। मुझे तो किसी बात की भनक तक नही लगी। खैर कल पोस्ट आनी चाहिये हर हाल मे। आशीर्वाद।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

I request you to reconsider your decision…
Whatsoever happened there, I would not like to discuss, but your decision is hurting me. You have already seen that there are some persons who are more interested in back-stabbing. And, undoubtedly, your decision will help them…

Gyan Darpan
13 years ago

जो भी हुआ दुर्भाग्यपूर्ण

दिगम्बर नासवा

खुश्दीप जी … मुझे अफ़सोस है आप मेरे पुरूस्कार की खातिर अपने मन का नही कर पाए …आप रुके रहे …. ये आपका बड़प्पन है …
पर मुझे लगता है ऐसी किसी भी ग़लत बात का विरोध व्यवस्था के बीच बने रहते हुवे ही करना ज़रूरी है नही तो जीत उन्ही की है जो ऐसा चाहते हैं …आप जम कर विरोध करें … जो ग़लत है वो हमेशा ग़लत ही रहता है और सब आपके साथ हैं … आपका लिखना सभी को अछा लगता है .. जागरूकता लाता है … अतः आपसे अनुरोध है की लिखना जारी रखें …

सतीश पंचम

PD की टिप्पणी को मेरी भी माना जाय।

बाकि जो कुछ मुझे कहना था इस प्रकरण पर, एक पोस्ट के माध्यम से कह चुका हूं। ये रहा लिंक –

http://safedghar.blogspot.com/2011/05/v-s.html

Arvind Mishra
13 years ago

अब आरोप प्रत्यारोप का दौर चलेगा ही ,इसमें अपनी ऊर्जा जाया न करके हिन्दी ब्लागिंग को समृद्ध करते रहिये …
हर व्यक्ति /समूह के अपने अपने इंटरेस्ट होते हैं ….आप जिस मनोभाव में हैं मैं समझ सकता हूँ …
शेख जी यूं महफ़िल छोड़के मत जाईये ,
अब आ ही गएँ तो दो घूँट पी लीजिये
बिन पिए लौट जाना बुरी बात है …..

उन्मुक्त

मेरे विचार से किसी सम्मेलन के कारण हिन्दी चिट्ठाकारी छोड़ने के लिये निर्णय लेना ठीक नहीं।

यदि सम्मेलन से दुखी हैं तब उस तरह के सम्मेलन में न जांय। लेकिन हिन्दी चिट्ठाकारी छोड़ देना तो ठीक न होगा।

लिखना जारी रखें।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }

होये वही जो राम रचि राखा ……
अब आपको पढने के लिये अंग्रेजी सीखनी पडेगी ..मेरे लिये तो बहुत कष्ट्प्रद है अंग्रेजी सीखना .
आखिरी बात ………..
ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना

DR. ANWER JAMAL
13 years ago

एक भविष्यवाणी : खुशदीप जी बहुत जल्द लौट आएंगे।
सैद्धांतिक आधार : सच्चा ब्लॉगर ब्लॉगिंग छोड़ना भी चाहे तो ब्लॉगिंग खुद ही उसे छोड़ने को तैयार नहीं होती।

रश्मि रविजा जी से सहमत।

हमने इस पूरे प्रकरण को ब्लॉग जगत के सामने जैसे रखा था यह ठीक वैसे ही घटित हुआ है। इसे आप देख सकते हैं निम्न लिंक पर
अगर किसी को बड़ा ब्लॉगर बनना है तो क्या उसे औरत की अक्ल से सोचना चाहिए ? Hindi Blogging

और अंत में एक प्यारा सा शेर आप सभी की नज़्र करता हूं

झील हो, दरिया हो, तालाब हो या झरना हो
जिस को देखो वही सागर से ख़फ़ा लगता है

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद

जीवन के सफ़र में तरह तरह के लोग मिलते हैं… किस किस से भागते फिरोगे दोस्त 🙂

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)

जी…. भैया… दोबारा आता हूँ सोच कर…..

क्या करूँ…. अपनों के साथ कुछ हो तो गुस्सा आना वाजिब है…

Khushdeep Sehgal
13 years ago

महफूज,
तुझे कितनी बार समझाना पड़ेगा भाषा को हमेशा संयत रखना चाहिए…मैं जानता हूं कि मेरे लिए तू क्या सोचता है…लेकिन भाषा की मर्यादा का पालन हमेशा करना चाहिए…इस टिप्पणी से असंसदीय शब्द जो भी है, उन्हें निकालकर दोबारा टिप्पणी प्रकाशित कर…ये मेरा आदेश है, और मुझे विश्वास है, तू मेरी बात को मानेगा…

जय हिंद…

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

Khushdeep Sehgal
13 years ago

आशुतोष,
यही तो मैं कहना चाह रहा हूं तुम्हे सिर्फ एक दो मिनट ही पुण्य प्रसून जी से बात कर कितना फायदा हुआ…अगर जैसा आयोजकों ने कार्यक्रम निर्धारित किया था कि दूसरे सेशन में देश को जागरूक करने में न्यू मीडिया की भूमिका विषय पर संगोष्ठी होगी…इसमें पुण्य प्रसून जी मुख्य अतिथि की हैसियत से अपने विचार प्रकट करते तो देश-विदेश से आए ब्लॉगरों को कितना अच्छा लगता है…लेकिन चाटुकारिता और निजी हितों की वजह से पूरे प्रोग्राम को एक नेता ने हाईजैक सा कर लिया…और आप अभी भी देखिए कार्यक्रम की जितनी पोस्ट या प्रेस नोट जारी किए जा रहे हैं उसमें भी मुख्यमंत्री का ही शुरू से आखिर तक गुणगान है…

जय हिंद…

आशुतोष की कलम

में तो अभी नया नया था श्रीमान मगर ये ज्यादा से ज्यादा एक मार्केटिंग इवेंट बन के रह गया..अच्छा हुआ तो प्रयोजको ने अपना स्टार दिखा दिया आगे से ब्लोगेर सावधान हो जाएँगे..ये कौन सी ब्लोगेर मिट हुए..कोई पूछने वाला ही नहीं ब्लोगर को..भीड़ जुटाने का अच्छा जुगाड़ था..
धन्यवाद् ये है इसी टाइम मेनेजमेंट के चक्कर में मुझे पुण्य प्रसून जी से कुछ बातें एवं अनुत्तरित प्रश्न साझा करने का मौका मिला…कार्यक्रम में जाने की उपलब्धि यही रही..

Shah Nawaz
13 years ago

खुशदीप भाई, अपनी सेहत का ख़याल रखिये… बाकी जज़्बात अपनी जगह दुरुस्त हैं…

गलतियाँ लोगो से हो जाया करती हैं. मानता हूँ की अपनों की गलतियाँ दिल को ज्यादा ठेस पहुंचाती हैं… कोई बात नहीं, थोडा आराम करिए, सब ठीक हो जाएगा.

Archana Chaoji
13 years ago

खुशदीप जीआपकी ही एक पोस्ट से ली गई पंक्तियाँ है ये —
"…यही अपनापन मुझे ब्लॉगजगत में भी शिद्दत के साथ देखने को मिला…दूरियों की वजह से बेशक हम मिल न पाएं लेकिन विचारों से हम हमेशा एक-दूसरे के आसपास रहते हैं…"
.जो मन कहे वो जरूर लिखिए पर न लिखना..आपका इन्तजार रहेगा..अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए..

Unknown
13 years ago

khushdeep ji !

zyada toh kya kahoon, bas itta bhar nivedan hai ki bahut kam log aise hain jinhen main niymit baanchta hoon aur unme aap shaamil hain

aap bahut achha likhte hain

kisi doosare ki laaparwaahi ka dand aap apne pathak ko kyon den ?

baki all is well !

-albela khatri

Rakesh Kumar
13 years ago

खुशदीप भाई आपको दिल से चाहने वालों की कमी नहीं.क्या आप उन सभी का दिल तोडेंगे? आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा और बेशक ब्लोगिंग कुछ कम कर दें पर बंद न कीजियेगा.आपकी ब्लोगिंग सार्थक और समाज हित में रहे यही हम सब की चाहत है.

नई सुबह
13 years ago

खुशदीप जी,
आपकी निराशा और हताशा कुछ अजीब लगी… ब्लाग लिखने का मतलब ब्लॉगरों की जमात में शामिल होना नहीं होता.. मैं मानता हूं कि ये मंच आपकी डायरी की तरह है… आप जो सोचते हैं, जिंदगी के जिन उतार चढ़ाव और समाज के जिन चेहरों को आप पढ़ते हैं… उसे अभिव्यक्त करने का एक बेहतर ज़रिया है ब्लॉग… जानता हूं कि इस जमात में भी राजनीति, खेमेबाज़ी और ऊल जुलूल लोगों की भरमार है… जो इस आधुनिक माध्यम के ज़रिये भी अपना हित साधते हैं और जिनकी 'रचनात्मकता' और 'सोच' महज दिखावा है… ऐसे लोगों के चक्रव्यूह में फंसा ही क्यों जाए.. मंच का इस्तेमाल अपनी रचनात्मक सुकून के लिए करें तो क्या बुरा है…
सोचिएगा।
अतुल सिन्हा

honesty project democracy

खुशदीप भाई आप बहुत संवेदनशील ब्लोगर हैं और आप जैसे लोगों की ब्लॉग जगत को बहुत जरूरत है ..रही बात कुछ आलोचना प्रत्यालोचना की तो ये हर आयोजन का हिस्सा होता है…लेकिन आप ब्लोगिंग के इतिहाश को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करते उस "हिंदी ब्लोगिंग -अभिव्यक्ति की नई क्रांति " किताब को एक बार ध्यान से पढ़ें ,क्या आपको यह प्रयास ब्लोगिंग को सचमुच उचाईयों की ओर ले जाता हुआ नहीं दिख रहा है…? ये अलग बात है की इसमें अभी बहुत सारे ब्लोगिंग के अनमोल मोती जैसे प्रवीन पाण्डेय जी जैसे कई लोगों को भी जोड़ने की जरूरत है…तभी ये ब्लोगिंग का इतिहाश पूरा हो पायेगा…और इसमें आप जैसे सच्ची सोच वाले लोगों के प्रयास व सहयोग की आवश्यकता हमेशा परेगी..इसलिए हिंदी ब्लोगिंग को आप अपनी हार्दिक सेवा कृपा कर जारी रखें…

vandana gupta
13 years ago

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

डा० अमर कुमार

.
खुशदीप भैय्ये, यह तो पलायन हुआ ।
मैं नहीं समझता कि यह कोई हल है !
मेरी सोच यह है कि ब्लॉगिंग के मसले
पर इसे अपदस्थ करने की कुचाल है ।
मेरी सलाह यही रहती है कि ब्लॉगर
को अपनी व्यक्तिगत पहचान पर ही
कायम रहना चाहिये, मँच या सँगठन
आदि से दूरी बना कर रहना चाहिये !
यदि कोई उद्देश्यपूर्ण फोरम हो तो उसे
अपनाया जा सकता है !
तुम अवश्य ही आहत हुये होगे.. इसके
ज़ायज़ कारण भी होंगे,,,मैं यही कहूँगा
"तुम अपना रँज़ोगम, अपनी परेशानी मुझे दे दो"
पार्सल की प्रतीक्षा में….:)

Udan Tashtari
13 years ago

तबीयत का ध्यान रखो.

फिर स्वस्थ तन और मन से वापस लौटो.

समझा और समझाया बहुत कुछ जा सकता है मगर पलायन कोई मार्ग नहीं.

बस, इतना जान लो कि इन्तजार करुँगा.

Padm Singh
13 years ago

खुशदीप जी
आप से बहुत बार मिला हूँ, आपके विचार सुने हैं, आप जितने संवेदनशील हैं उतने कृतप्रतिज्ञ भी… मेरे विचार से आपका यह निर्णय संभवतः किन्हीं अन्य शक्तियों द्वारा प्रभावित है, क्योंकि जब आप समारोह में आये थे तो आप ऐसी मनोदशा में नहीं थे… हमें ब्लागिंग पक्ष के हित की तरफ देखना चाहिए…और यदि गलतियाँ होती हैं तो उनके सुधार भी होते हैं… जो हुआ उसे धनात्मक दृष्टिकोण से लें…

rashmi ravija
13 years ago

@खुशदीप भाई,
क्या आप बिना लिखे रह सकते हैं??

नई-नई बातें मस्तिष्क में आती हैं….उनपर विमर्श करने का मन होता है…ब्लॉग्गिंग इसीलिए तो है.

यहाँ तो मैं एक ब्रेक लेने की सोच रही हूँ…'डूब कर एक काहनी लिखने को.." वो नहीं हो पा रहा…और आप अलविदा की बात कर रहे हैं.

नाराज़गी अपनी जगह….पर इसके लिए खुद को…और पाठको को सजा देना कहाँ तक उचित है??

राज भाटिय़ा

मुझे पहले ही शक था, क्योकि जहां यह मत्री शंत्री घुस जाये वहा पबित्रता रह ही नही सकती, लेकिन आप जाओ नही… दुख तो होता हे, लेकिन किसी ओर की गलती की सजा सब भाईयो को देना अच्छा नही, हम फ़िर सब मिलेगे बहुत प्यार ओर सम्मान से.. कल( आज रात) आप की पोस्ट की इंतजार करुंगा.

रचना
13 years ago

आप जब ब्लॉग लिखने आये थे तो क्या आप को पता था की यहाँ संगठन भी हैं ? क्या आप को पता था यहाँ गुट भी हैं ? आप ब्लॉग लिखने क्यूँ आये थे ?? आप को पुरूस्कार मिला , आप ने लिया कारण कोई भी था पर लिया तो . जब आप को पहले ही पता था ये एक निजी पार्टी टाईप प्रोग्राम हैं तो आप शुरू से ही वहाँ क्यूँ गए और इस सब का आप के बेचारे ब्लॉग से क्या लेना देना ?? ये इच्छा मृत्युं उसने तो नहीं मांगी .
मोह भंग आप का हुआ , तो बेहतर तरह से रिपोर्ट देते , सच्चाई सामने लाते जो एक मीडिया कर्मी का फर्ज हैं , पलायन क्यूँ ताकि संबंधो पर आंच ना आये , यही से परिवारवाद का जनम होता हैं और भ्रष्टाचार बढ़ता हैं .
ब्लॉग पर सच लिख दे लोगो को पता चले की क्या हुआ .
हो सकता हैं आपकी छवि ब्लॉगजगत में विघ्नसंतोषी की बना जाए तो क्या हुआ कम से कम आप सच के साथ तो होगे , आत्मा से जब आप का साक्षात्कार होगा तो आप खुद को विजयी महसूसेगे

रचना
13 years ago

आप जब ब्लॉग लिखने आये थे तो क्या आप को पता था की यहाँ संगठन भी हैं ? क्या आप को पता था यहाँ गुट भी हैं ? आप ब्लॉग लिखने क्यूँ आये थे ?? आप को पुरूस्कार मिला , आप ने लिया कारण कोई भी था पर लिया तो . जब आप को पहले ही पता था ये एक निजी पार्टी टाईप प्रोग्राम हैं तो आप शुरू से ही वहाँ क्यूँ गए और इस सब का आप के बेचारे ब्लॉग से क्या लेना देना ?? ये इच्छा मृत्युं उसने तो नहीं मांगी .
मोह भंग आप का हुआ , तो बेहतर तरह से रिपोर्ट देते , सच्चाई सामने लाते जो एक मीडिया कर्मी का फर्ज हैं , पलायन क्यूँ ताकि संबंधो पर आंच ना आये , यही से परिवारवाद का जनम होता हैं और भ्रष्टाचार बढ़ता हैं .
ब्लॉग पर सच लिख दे लोगो को पता चले की क्या हुआ .
हो सकता हैं आपकी छवि ब्लॉगजगत में
विघ्नसंतोषी
की बना जाए तो क्या हुआ कम से कम आप सच के साथ तो होगे , आत्मा से जब आप का साक्षात्कार होगा तो आप खुद को विजयी महसूसेगे

PD
PD
13 years ago

खुशदीप जी.. जब आपका यह पोस्ट पढ़ा तो मुझे लगा की एक और ब्लोगर टंकी पर चढ गया.. 🙂
मगर जब उधर भड़ास फॉर मीडिया से होकर आया तो यही लगा कि अब अगर आप यहाँ से गए तो यह मैदान छोड़ने जैसा ही होगा..

थोड़ी कड़वी बात – मैं 2006 से हिंदी ब्लोगिंग कर रहा हूँ और लगभग सभी को फोलो कर रहा हूँ कि कहाँ क्या लिखा जा रहा है और क्या बकवास टाईप के विवाद हो रहे हैं.. इस बीच कई लोगों को आते देखा और सदा के लिए जाते भी.. मैं अपनी तरफ से कहूँ तो अगर आप चले जायेंगे तो मैं आपको मिस नहीं करूँगा.. बाकी लोग जो आपको और आगे भी लिखने के लिए बोल रहे हैं, वे भी दो-चार दिन में आपको भूल जायेंगे, अधिक से अधिक उन्हें नाम याद रहेगा कि कोई खुशदीप जी थे.. जो सच में आपको मिस करने वाले लोग हैं वे ताउम्र आपसे मेल से या फोन से या आमने-सामने बने रहेंगे..
अब यह आपको तय करना है की आप क्या करना चाहते हैं? खुद को "मैदान छोड़ कर भागने वाला" के तौर पर याद किये जाना चाहते हैं या फिर किसी और तौर पर!!

Khushdeep Sehgal
13 years ago

तन्वी जी,
मैंने स्टेज पर जाने का कारण ऊपर लिखी टिप्पणी में स्पष्ट कर दिया है…

कार्ड पर क्रार्यक्रम के दो हिस्सों का विभाजन स्पष्ट तौर अंकित था…ये भी स्पष्ट था कि कौन कौन से महानुभाव सम्मानित अतिथि के तौर कौन से कौन से कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे…

ये भी कार्ड में कहीं नहीं लिखा था कि पुरस्कार मुख्यमंत्री के हाथों बाटें जाएंगे…

इस सम्मान के बारे में और कुछ जानने के लिए पिछले साल अगस्त में लिखी मेरी इस पोस्ट के लिंक पर भी जाना होगा…
वर्ष के चर्चित उदीयमान ब्लॉगर

जय हिंद…

मनोज पाण्डेय

खुशदीप भाई मैं काफी दूर लगभग 1200 किलामीटर की यात्रा करके बिहार से इस कार्यकम में हिस्‍सा लेने आया थाऔर रात को नौ बजे तक डटारहा पूरे काय्रक्रम का साक्षी हूं, वहां उपस्थित होने वाले देश के सभी हिस्‍सो के ब्‍लोगरों के बीच पूरी आत्मियता के साथ विचारों का ऐसा आदान प्रदान मैंने आज तक नहीं देखा। यह हिंदी ब्‍लोगिंग की जबरदस्‍त शक्‍ती को दरशा रहा है। आयोजकों मे हिंदी साहत्यि निकेतन मुखय थाइसलिए उनके 50वां वर्षगांठ के कार्यक्रम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था फिर भी पूरा कार्यक्रम हिंदी ब्‍लोगिंग पर केन्द्रित दिखाई दिया. दो अन्‍य आयोजक अविनाश वाचस्‍पति जी और रविन्‍द्र प्रभात जी ब्‍लोगर वर्ग से थे एक मंच से उद्ाोषित करते हुए हिंदी ब्‍लाेगिंग के विविध आयाम को सामनेला रहे थे वही अविनाश जी मंच के अतिरिक्‍त पूरे सभागार में पूरे कार्यक्रम में लोगों से मिलते जुलते और उनके दर्द को महसूस करते दिखाई गए और वे कह रहे थे कि इस आयोजन की कमियों को अपने ब्‍लोगों पर लिखएिगा ताकि आगे हम सीख सकें और प्रगति करते हुए अच्‍छये आयोजन कर सकें। आप ब्‍लोगिंग छोड़ देंगे तो फिर तो हिंदी ब्‍लोगिंग का बंटाढार हो जाएगा, आप ही तो एक अकेली श‍क्‍ती हैं,, आप गए तो खुशियां चली जांएगी। यह जानने पर की आप बीच में चले गए हैं मुे दोनों आयोजक दर्द में दिखे, वे कई बार आपको फोन मिल रहे थे पर आपसे बात न होने पर बहुत टेंसन में दिखे। आप उनकी भी भावनाओं को महसूस करे और अपना फेसला रोक दें।

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