आज सुबह से तबीयत ढीली है…बुखार के साथ शरीर में हरारत है…इसलिए आज ज़्यादा लिखने की हिम्मत नहीं है…बस एक माइक्रोपोस्ट…
मक्खन को अपने भाई टिल्लू का बरसों बाद पता चल गया…मक्खन ने टिल्लू से कहा आकर मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी-लिंक ब्रिज पर मिले…बड़े भाई का संदेश पाकर टिल्लू का भी लहू जोश मारने लगा…आखिर लहू ने लहू को जो पुकारा था…मक्खन के बताए टाइम पर टिल्लू सी-लिंक पहुंच गया…
अब मक्खन ने छोटे भाई को देखने के बाद शेखी बधारने के लिए कहा…देखो, मेरी तरफ़, देखो…मेरे पास कोठी है, बंगला है, कार है, बैंक बैलेंस है…तुम्हारे पास क्या है…क्या है तुम्हारे पास…
टिल्लू कुछ सोचने के बाद…मेरे पास भी कोठी है, बंगला है, कार है, बैंक बैलेंस है…
मक्खन…कंजर दे पुतर, फेर मां किदे कोल वे….(कंजर के बेटे, फिर मां किसके पास है…)
स्लॉग गीत
मेरी पसंद का ये गीत सुनिए…फिल्म स्वामी (1977) के लिए किशोर कुमार ने राजेश रोशन के संगीत निर्देशन में इसे गाया था…
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