ये पढ़कर ब्लॉगर नाम पर शर्म आ रही है…खुशदीप

क्या हम इसी ब्लॉगिंग का हिस्सा है…आज इस पोस्ट को पढ़ कर शर्म से सिर झुक गया…किसी धर्म विशेष के लोगों का कार्टून के साथ मज़ाक बनाने की चेष्टा पोस्ट लेखक की सोच को खुद ही जाहिर कर देती है, आखिर ये जनाब कहना क्या चाहते हैं…इन्होंने पहले भी हास्य का नाम लेते हुए एक और धर्म को निशाना बनाया था…तुर्रा ये कि बाद में बाकायदा वोटिंग कराके अपनी करनी को जायज़ भी ठहराया था…ये महाशय ताल ठोक कर कहते हैं कि ये मेरा ब्लॉग है…जिसे पसंद है, पढ़ने आए…जिसे पसंद नहीं है, न आए…बिल्कुल सही कह रहे हैं जनाब…लेकिन ये मत भूलिए कि आपकी पोस्ट एग्रीगेटर पर भी है…जो कि एक सार्वजनिक मंच है…सार्वजनिक मंच पर इस तरह की हरकत का क़ानूनी अंजाम या तो आप जानते नहीं या जानना ही नहीं चाहते…अगर आप इसे ही हास्य मानते हैं तो मुझे यही प्रार्थना करनी होगी…आपको भगवान, वाहेगुरु, अल्लाह, जीसस सन्मति दें…

मैंने इस पोस्ट को लिखने से पहले सौ बार सोचा कि कहीं मैं इनकी पोस्ट का लिंक देकर अनजाने में पाप का भागी तो नहीं बन रहा…लेकिन फिर सोचा कि तटस्थ बने रहने से भी ऐसी बेजा हरकतों को बढ़ावा मिलता है…इनकी जमकर भर्तस्ना की जानी चाहिए, इसलिए मैं अपने ब्लॉग को माध्यम बना रहा हूं…अन्यथा ऐसे ही असंवेदनशील (खुद को ब्लॉगर कहने वाले) लोगों के साथ एग्रीगेटर को शेयर करना है तो ब्लॉगिंग को हमेशा के लिए राम-राम कह देना ही ज़्यादा बेहतर होगा…इनके लिंक को आप तक पहुंचाने का थोड़ा-बहुत पाप मेरे माथे पर भी आता है, उसके लिए मैं आप सबसे एडवांस में ही माफ़ी मांग लेता हूं…

एक प्रार्थना चिट्ठाजगत के संचालकों से भी, क्या किसी धर्म विशेष के लोगों को हास्य के नाम पर निशाना बनाने वाली पोस्ट को एग्रीगेटर पर स्थान दिया जाना चाहिए, आशा है आप इस सवाल पर गंभीरता से विचार करेंगे…

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