1957 और 2009 का फ़र्क…खुशदीप

आते है लोग, जाते है लोग, पानी में जैसे रेले,
जाने के बाद, आते हैं याद, गुज़रे हुए वो मेले…
यादें मिटा रही है. यादें बना रही है,
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है,
चलना ही ज़िंदगी है, चलती ही जा रही है…
देखो वो आ रही है…देखो वो जा रही है…

गाड़ी बुला रही है…
(इस गाने को ज़रूर लिंक पर सुनिए-देखिए)

ये गाना है सत्तर के दशक में आई धर्मेंद्र की फिल्म दोस्त का.. क्या हमारे जीवन का सार भी इसी गाने में नहीं छिपा है…एक रिले रेस की तरह जीवन की इस दौड़ में हम भाग रहे हैं…अपना चक्कर पूरा हो जाएगा तो हम हाथ में पकड़ा बेटन अगली पीढ़ी को थमा कर अलग हो जाएंगे…फिर वो पीढ़ी दौड़ेगी…इसी क्रम को दोहराने के लिए…ये सिलसिला चलता रहता है…अनवरत..

फिल्म इंडस्ट्री में भी न जाने कितने कलाकार आए…और कितने चले गए…सूरज की तरह चमके और फिर वक्त की धुंध में खो गए…संसार की हर शह का इतना ही फ़साना है, इक धुंध से आना है, इक धुंध में जाना है…लेकिन जीवन के इस शाश्वत सच में भी कुछ ऐसे नाम है जो वक्त गुज़रने के साथ पुरानी शराब की तरह हमारे दिलो-दिमाग पर और गहराते गए…ऐसा ही एक नाम है गुरुदत्त का…गुरुदत्त को दुनिया को अलविदा कहे साढ़े चार दशक से ज़्यादा बीत गए हैं…लेकिन उनका ऑरा विलुप्त नहीं हुआ…

आज इस पोस्ट में सिर्फ दो तस्वीरों से 1957 और 2009 के फ़र्क को समझिए…अगर कुछ पकड़ में आए तो मुझे बताइएगा ज़रूर…

                          पहला दृश्य…

1957

                            दूसरा दृश्य

2009

एक ही पोज़…बस तस्वीरों में 1957 में रिलीज़ प्यासा के गुरुदत्त और वहीदा रहमान की जगह 2009 के आमिर खान और कैटरीना कैफ़ के चेहरे आ गए हैं…लेकिन क्या 2009 के मार्केटिंग के दौर की पहचान आमिर खान और कैटरीना कैफ की तस्वीर में वो सच्चाई, वो पाकीज़गी, वो इंटेन्सिटी है जो 1957 के गुरुदत्त और वहीदा रहमान में दिखती है…

आमिर और कैटरीना ने ये पोज़ सिने ब्लिटज मैगजीन की गोल्डन जुबली होने पर कवर के लिए खास तौर पर दिया…या यूं कहे कि इस पोज़ को गढ़ा गया…आमिर की प्रतिभा पर किसी को शक नहीं है…लेकिन मार्केट के लिए गढ़ा जाना आमिर की मजबूरी है…और गुरुदत्त जो करते थे वो खुद ही लोगों के दिल में गढ़ गया…बिना मल्टीप्लेक्स के अर्थशास्त्र के…

गुरुदत्त पर गंभीर स्लॉग ओवर

ज़माने ने मारे जवां कैसे-कैसे,
ज़मीं खा गई, आसमां कैसे कैसे…

Khushdeep Sehgal
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GURUDATT
13 years ago

IMGURUDATT

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