देवा रे देवा…यहां भी राजनीति…ब्लॉगिंग के शैशव-काल में ही कदम-कदम पर उखाड़-पछाड़ की शतरंज…मोहरे चलाने वाले परदे के पीछे…और मोहरे हैं कि कारतूस की तरह दगे जा रहे हैं…ठीक वैसे ही जैसे कस्बे-गांवों के मेलों में बंदूकों से गुड़िया, मोमबत्ती, सिक्का पर निशाना लगाया जाता है…100 में 99 शाट्स या तो खाली जाते हैं या पीछे चादर की दीवार पर लगे गुब्बारों को शहीद कर आते हैं…
अभी कांग्रेस के सर्वज्ञानी पंडित जयराम रमेश को दिव्यज्ञान हुआ था कि वो गांधी में ब्रह्मा, नेहरू में विष्णु और जिन्ना में महेश को देखते हैं…जयराम रमेश के मुंह से ये निकला ही था कि हर कोई लठ्ठ लेकर उनके पीछे पड़ गया…आखिर ये कहा कैसे…जयराम की सोच थी कि गांधी ने देश का निर्माण किया, इसलिए सृष्टि के रचयिता की तरह वो ब्रह्मा हुए…नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता यानि पालनहार तो उन्हें विष्णु का दर्जा दिया…और जिन्ना ने देश का विभाजन कराया, इसलिए संहारक की तरह वो महेश हुए…
ये जयराम रमेश का विज़न था…उन्हें नागरिक की हैसियत से अपना विज़न रखने का उतना ही अधिकार है जितना कि हमें और आपको…खैर ये तो राजनीति की बातें हैं…जिसमें कोई नीति न हो, वो राजनीति…
लेकिन ब्लॉगिंग में राजनीति क्यों…हिंदी ब्लॉगिंग ने तो अभी चलना ही सीखा है…दौड़ने के लिए रफ्तार पकड़ने से पहले ही एक-दूसरे की टांग खिंचाई क्यों…क्यों कुछ को महेश बनना पसंद आ रहा है…वो ब्रह्मा-विष्णु बनकर हिंदी ब्लॉगिंग को उस मुकाम तक क्यों नहीं ले जाते, जिसकी वो हकदार है…ताकि फिर कोई विदेशी एडसेंस वेंस अंग्रेजी से लाडली और हिंदी से सौतेली जैसा व्यवहार करने की जुर्रत न कर सके…
बड़ों को जैसा करते देखते हैं, बच्चे भी वैसा सीखते हैं…ब्लॉगिंग के हम रंगरूट भी अपनी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा देने की जगह विध्वंस में ही मौज ढूंढने लगेंगे…छोटा मुंह बड़ी बात होगी…ज़्यादा कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन फरियाद पर गौर ज़रूर किया जाए मी-लॉर्ड…
स्लॉग ओवर
विदेश में किसी जगह तमाम देशों से क्रैब (केकड़े) मंगाकर प्रोसेस किए जा रहे थे…सभी देशों के क्रैब डब्बों में बंद होकर आए थे…लेकिन जो क्रैब भारत से आए थे उनके डब्बों के ढक्कन ही नहीं थे…ये देखकर सुपरवाइजर बड़ा हैरान हुआ…शिकायत करने यूनिट इंचार्ज के पास पहुंचा…कहा, ये भारत की कंपनी ने क्रैब के डब्बे खुले ही क्यों भेज दिए…अगर ये निकल कर भाग जाते तो…यूनिट इंचार्ज ने पूछा…क्या कोई क्रैब भागा…सुपरवाइजर ने कहा…नहीं, सर…
यूनिट इंचार्ज ने कहा… तो फिर तू क्यों हलकान हुए जा रहा है…अरे बेवकूफ ये भारत के केकड़े हैं…ये बाहर नहीं निकल सकते…एक निकलने की कोशिश करेगा…तो बाकी के दस इसकी टांग खींचकर फिर नीचे ले जाएंगे…
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