नए साल के माथे पर सार्थक तिलक…खुशदीप

अलविदा 2011
स्वागत 2012
नववर्ष है…नवहर्ष है…


कामना यही कि नए साल में आप सब को मिले आपका उत्कर्ष है…

नए साल के माथे पर तिलक के साथ कुछ सार्थक…

बीस रुपये का नोट बहुत ज़्यादा लगता है जब गरीब को देना हो, मगर स्टैंडर्ड के रेस्तरां में वेटर को टिप देना हो तो यही बीस का नोट बहुत कम लगता है…

तीन मिनट के लिए भगवान को याद करना कितना मुश्किल है, और घंटों तक फिल्म, सीरियल या क्रिकेट मैच देखना कितना आसान…

पूरे दिन ज़ुबान चलाने में हमें कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन घर लौटने पर मां-बाप से दो मिनट बात करना भी कितना भारी लगता है…

वेलेनटाइन्स डे  का पूरे साल  इंतज़ार किया जाता है, लेकिन मदर्स डे कब आकर निकल जाता है, पता ही नहीं चलता…

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चेतन भगत के दो बेहतरीन कोट्स…

कड़ी मेहनत करो…लेकिन अपनों के लिए, परिवार के लिए, दोस्तों के लिए वक्त भी निकालो…क्योंकि दुनिया से विदा होने के वक्त आपकी मार्कशीट्स, डिग्रीस, और प्रोफेशनल प्रेज़ेन्टेशन्स को कोई याद नहीं करेगा…

दुनिया से जाने पर आपका जितना भी बैंक-बैंलेस होगा, वो सबूत है आपके ज़रूरत से ज़्यादा काम का, जो कि आपको नहीं करना चाहिए था…

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एक रोटी नहीं दे सका कोई उस मासूम को, लेकिन उसकी तस्वीर लाखों में बिक गई जिसमें रोटी के लिए वो उदास बैठा है…

नए साल पर मस्ती करना कितना आसान है, और ऊपर लिखे  पर मंथन कितना मुश्किल…

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