विगत 4 फरवरी को समीर लाल जी के कनाडा लौटने से पहले दिल्ली में उनसे मिलने के लिए कनॉट प्लेस में कई ब्लॉगर जुटे थे…लेकिन मेरे साथ वहां एक ऐसे शख्स भी थे जिन्होंने तब तक ब्लॉगिंग शुरू नहीं की थी…उनका नाम है राकेश कुमार जी…मुझे पिछले कई साल से उन्हें नज़दीक से जानने का मौका मिला है…
कनॉट प्लेस बैठक में राकेश कुमार जी (सबसे बाएं) अविनाश वाचस्पति, गीताश्री और मेरे साथ |
उनके विचारों से तो आप उनके ब्लॉग से परिचित हो ही जाएंगे…लेकिन उससे पहले मैं ये कहना चाहूंगा कि वो इनसान भी बेजोड़ हैं…दूसरों के दर्द में उनका दिल हमेशा धड़कता है…मैं कई दिनों से प्रयास में था कि अगर राकेश जी ब्लॉगिंग शुरू कर दें तो निश्चित रूप से ब्लॉग जगत को उनसे बहुत कुछ मिलेगा…दुनिया को अच्छी तरह समझने की ये राकेश जी की उत्कंठा ही है कि आपने पहले रूड़की के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेज में बड़े अच्छे नंबरों के साथ डिग्री ली, फिर लॉ किया…भारत के जितने महापुरुष हुए है राकेश जी ने उनके दर्शन को समझा है…अब इसी खज़ाने को वो हमारे साथ बांटेंगे…
राकेश जी की धर्म के विषयों पर ज़बरदस्त पकड़ है…लेकिन ये धर्म वो धर्म है जो लोगों को आपस में जोड़ता है…दूसरे धर्म को मानने वालों का सम्मान करना जानता है…अब मैं ज़्यादा देर तक राकेश कुमार जी और आपके बीच नहीं आता…ये रहा लिंक उनकी पहली पोस्ट का…
आप मेरी इस पोस्ट पर टिप्पणी करें या न करें लेकिन राकेश जी के ब्लॉग पर जाकर ज़रूर अपनी राय व्यक्त करिएगा…मेरा विश्वास रखिए राकेश जी को पढ़ने के बाद आपको कभी मायूस नहीं होना पड़ेगा…ये मेरी गारंटी है….
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