आज तक नहीं कहा, आज कहता हूं इसे ज़रूर पढ़ें…खुशदीप

वक्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है….


सरफ़रोशी की तमन्ना वाली भगत सिंह के दौर की ये पंक्तियां शिद्दत के साथ आज मेरे दिमाग में गूंज रही है…दरअसल मुझे आज एक नुक्कड़ नाटक देखने का सौभाग्य मिला…अरविंद गौड़ जी के निर्देशन में अस्मिता थिएटर ग्रुप की प्रस्तुति- भ्रष्टाचार…इस नाटक में नौजवान खून के जोश को देखकर मेरे मन में युवा पीढ़ी को लेकर जो भी भ्रम थे, सभी एक झटके में मिट गए…और फिर याद आया कि इकबाल ने कभी हिन्दुस्तान के लिए क्यों ये कहा था-

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़मां हमारा…


वाकई कुछ तो खास है इस मिट्टी में…इसकी तासीर में…कम से कम युवा पीढ़ी के जोश को देखकर तो मुझे यही लगता है…हम भले कहते रहें कि देश का सारा सिस्टम सड़ चुका है…भ्रष्टाचार इसे निगल चुका है…टॉप टू बॉटम और बॉटम टू टॉप…लेकिन हम ये नहीं सोचते कि ऐसी स्थिति देश में बनी क्यों…क्या इसके लिए हम खुद भी ज़िम्मेदार नहीं…हम वोट देते हैं और फिर पांच साल सरकार को अपना नसीब मानकर होंठ सी लेते हैं, कभी प्रतिकार नहीं करते…भ्रष्टाचारी देश को बेचकर खा जाएं लेकिन हमें क्या…हमारे शहर में कुछ भी हो जाए हमें क्या…हमारे मोहल्ले में भी कुछ गलत हो, कोई लुट रहा हो तो हमें क्या…हां हम तब ज़रूर चीखेंगे जब हमारे घर में कोई घुस आएगा…लेकिन अगर सभी इस सोच पर चलते रहे तो याद रखिए कि फिर आपकी तरह आपकी चीख सुनकर भी कोई आपको बचाने नहीं आएगा…क्योंकि सिर्फ अपनी अपनी निपेड़ते रहने में सब का ख़ून कोई ख़ून थोड़े ही रहा होगा, पानी बन चुका होगा…

भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाते इस नुक्कड़ नाटक में ऐसा ही पैगाम था भारत के हर नागरिक के नाम…नुक्कड़ नाटक करने वाली युवा-शक्ति का जोश देखते ही बनता था…न कोई माइक, न किसी साज का साथ…बस हाथों की ज़ोरदार तालियों के साथ उछलते लड़के-लड़कियां…गले की पूरी ताकत के साथ संवादों की अदायगी…सटीक और पिन-पाइंट…सेंट्रल किरदार करने वाली शिल्पी मारवाह का खास तौर पर मैं नाम लेना चाहूंगा…नुक्कड़ नाटक को जीवंत बनाने के लिए उसने जो कुछ भी किया, उसके लिए मैं बस उसे सैल्यूट ही कर सकता हूं…

 

अन्ना हज़ारे



इस नाटक का उद्देश्य जन-जन में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जागरूकता लाना तो था ही…साथ ही ये बताना भी था कि अगली 5 अप्रैल सुबह 10 बजे से देश के प्रसिद्ध समाज-सेवी अन्ना हज़ारे दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन शुरू करने जा रहे हैं…वही अन्ना हज़ारे जिन्होंने 1965 के युद्ध में अपनी यूनिट के सारे सिपाही शहीद होने के बाद अपनी नई ज़िंदगी समाज के नाम कर दी….शादी नहीं की…संपत्ति के नाम पर पर बस कपड़ों की कुछ जोड़ियां हैं…न कोई बैंक बैलेस…एक मंदिर में रहते हैं…अन्ना हज़ारे ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जन लोक-पाल की तर्ज़ पर सख्त बिल पास किया जाए…जिसमें भ्रष्टाचारियों को जल्द और सख्त सज़ा देने का प्रावधान हो….करो या मरो के उद्घघोष के साथ अन्ना ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए आमरण अनशन का रास्ता चुना है…ऐसे में हर ईमानदार, देशभक्त और सच्ची सोच वाले इनसान का फर्ज बनता है कि वो अन्ना की इस मुहिम को अपना समर्थन दे…

आज़ादी की दूसरी लड़ाई की अन्ना की मुहिम और भ्रष्टाचारियों के मन में डर बैठाने के लिए जन लोकपाल बिल के बारे में ज्यादा जानने के लिए आपको बस 02261550789 नंबर पर मिसकॉल करना है…इस संबंध में ब्लॉग परिवार के अहम सदस्य जय कुमार झा जी (09810752301) से भी संपर्क किया जा सकता है…

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