हिंदी ब्लॉगिंग, अच्छे दिन और गूगल हैंगआउट…खुशदीप

(2 मार्च 2015 को गुड़गांव में गूगल के ऑफिस में हैंगआउट)…
दोस्तों, करीब
तीन महीने के अंतराल के बाद कोई पोस्ट लिख रहा हूं…क्षमाप्रार्थी हूं, अपनी
व्यस्तताओं की वजह से नियमित ब्लॉगिंग नहीं कर सका…अब प्रयत्न करूंगा कि कुछ ना
कुछ लिखता रहूं….अतीत की तरह 
प्रति दिन नहीं लिख पाऊं तो दो-तीन के अंतराल पर
सही…मेरा आप सब से भी अनुरोध है कि हिंदी ब्लॉगिंग का सुनहरा दौर
लौटाने के लिए प्रयास करें, जैसा कि आज से 5-6 साल पहले था…
जैसा कि आप जानते
हैं कि पिछले 6-7 महीने में गूगल ने हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कदम
उठाए हैं…इनमें हिंदी के लिए एडसेंस शुरू करना भी शामिल है…हालांकि इस दिशा
में
  गूगल से अब भी बहुत कुछ अपेक्षित है…लेकिन गूगल ने पहल की
है इसलिए उसका स्वागत किया जाना चाहिए…मुझे याद है जब मैंने 2009 में ब्लॉगिंग
शुरू की थी तब ब्लॉगर्स में बहुत उत्साह था…इसकी एक वजह चिट्ठा-जगत और ब्लॉगवाणी
जैसे अच्छे एग्रीगेटर्स (संकलक) की उपस्थिति थी…चिट्ठा जगत में ब्लॉगर्स की
रैंकिंग की वजह से ब्लॉगर्स में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा रहती थी…



ब्लॉग्स पर
टिप्पणियां भी खूब आती थीं, जो ब्लॉगर्स के लिए ट़ॉनिक की तरह काम करती थी…उस
वक्त हिंदी ब्लॉगर्स को ये उम्मीद भी थी कि हिंदी के लिए गूगल शीघ्र एडसेंस की
सुविधा प्रारंभ करेगा…लेकिन ये प्रतीक्षा बनी ही रही…एक और वजह ये भी रही कि
फेसबुक का प्रादुर्भाव…ब्लॉग्स पर जो टिप्पणियां आती थीं वो फेसबुक की तरफ़
शिफ्ट हो गईं…फेसबुक कंटेंट की वजह से नहीं अधिकतर दोस्त-रिश्तेदारों के बीच हल्के-फुल्के
संवाद, एक-दो पक्तियों की पोस्ट्स, फोटो पर लाइक्स और कमेंट्स की भरमार की वजह से
तेज़ी से लोकप्रिय हुआ…ट्विटर ने भी अपनी अच्छी स्पेस बनाई…इससे ऐसा आभास हुआ
कि हिंदी ब्लॉगिंग आईसीयू में पहुंच गई है…
डॉक्टर साहब का ऐसा मानना ग़लत नहीं है…निश्चित रूप से इस
उदासीनता के लिए हम उत्तरदायी हैं…लेकिन मैंने ये भी देखा कि कुछ ब्लॉगर्स
टिप्पणियों या पाठकों की घटती संख्या से विचलित हुए बिना भी लगातार ब्लॉग लेखन
करते रहे…उनके लिए अच्छा कंटेंट महत्वपूर्ण था…उन्हें पाठक भी मिलते
रहे…दरअसल ब्लॉगर्स को यही समझना चाहिए…
Content
is King
…आपका लेखन यूज़र्स फ्रेंडली होना चाहिए….अगर आपकी किसी पोस्ट से पाठकों
को कोई नई बात, नई जानकारी या किसी जिज्ञासा का निवारण होता है, तो उस पोस्ट को
वर्षों बाद भी सर्च इंजन से आने वाले पाठक मिलते रहेंगे…
गूगल से पिछले कुछ अर्से से मुझे संवाद
करने का अवसर मिला है…जहां तक मैं समझ पाया हूं कि गूगल यही चाहता है हिंदी में
अच्छा और ओरिज़नल कंटेट अधिक से अधिक सामने आए…अगर आप ऐसा करते हैं तो गूगल को
भी आपके ब्लॉग्स को प्रोत्साहित करने में प्रसन्नता होगी…आर्गेनिक सर्च में
रैंकिंग में आपका पेज़ ऊपर दिखाई दे तो इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण यही है कि आप किस
तरह कंटेंट उपलब्ध कराते हैं…



यहां कुछ ऐसी भ्रांतियां हैं कि आप एसईओ (सर्च
इंज़न ऑप्टिमाइज़ेशन) को हायर कर घटिया कंटेंट के ज़रिए भी सर्च में ऊपर आ सकते
हैं…ऐसा कुछ नहीं हैं…बल्कि गलत तरीके अपनाने वालों को गूगल बहुत ज़ल्दी पकड़
लेता है…हो सकता है कि ऐसा करने वालों के ब्लॉग और साइट गूगल सर्च में बिल्कुल
दिखने ही बंद हो जाएं…ऐसे में सलाह यही है कि आप खुद एसईओ के बारे में जानकारी लें…गूगल
ने इसके लिए दिशानिर्देश तैयार कर रखे हैं…इसे आसानी से समझने के लिए विडियो भी
बना रखे हैं…गूगल अब नियमित तौर पर हैंगआउट्स के ज़रिए भी वेबमास्टर्स (वेबसाइट
संचालक, ब्लॉगर्स) से संवाद कायम कर रहा है…आप में से अधिकतर को ज्ञात होगा कि
गूगल ने हिंदी के लिए एक कम्युनिटी भी बनाई है..जहां आप अपने सवालों के जवाब जान
सकते हैं…
हिंदी ब्लॉगर्स से संवाद की कड़ी में ही गूगल
ने हैंगआउट में हिस्सा लेने के लिए आज गुड़गांव में अपने ऑफिस में आमंत्रित
किया…नवभारत टाइम्स के संपादक (संपादकीय पृष्ठ) चंद्रभूषण जी, भाई सतीश सक्सेनाजी, भाई राजीव तनेजा, प्रतिभा कुशवाहा के साथ तकनीकी ब्लॉग और एसईओ फर्म चलाने
वाले रमेश कुमार और सत्येंद्र के साथ मुझे भी 
इसमें हिस्सा लेने का अवसर मिला…हैंगआउट का संचालन हैदराबाद से गूगल सर्च
क्वालिटी टीम के दिग्गज सैयद मलिक ने किया…सैयद मलिक ने हिंदी में पारंगत ना
होने के बावजूद इतनी सरल और धाराप्रवाह हिंदी में सब कुछ समझाया कि हैरान होने की
हमारी बारी थी…मैं हैंगआउट का लिंक देने से पहले गूगल टीम से दो और सदस्यों का
उल्लेख करना चाहूंगा…ये नाम है बेंगलुरु से मिथिलेश मिश्रा और गुड़गांव से मुकुट
चक्रवर्ती…इन्होंने इस हैंगआउट को सफल बनाने के 
लिए तो अथक परिश्रम किया ही, साथ ही ये हिंदी कम्युनिटी को भी मज़बूत बनाने
में कोई कसर नहीं छोड़ रहे…



हैंगआउट में एसईओ, एडसेंस, एग्रीगेटर्स
समेत अनेक मुद्दों पर विचार हुआ जो आपके ब्लॉग या वेबसाइट की सार्थकता बढाने में
बहुत सहायक हो सकते हैं…अब मैं और फुटेज नहीं खाता…आप खुद ही लीजिए गूगल हैंगआउट
के संवाद का आनंद इस विडियो में…




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Rahul
7 years ago

Wonderful Information!

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक

बिलकुल आपकी बात से पूर्णता सहमत हूँ. हमारे आगे तो बस रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया और गिरकर उठना व उठकर चलना भी था. बाकी अब मैं ब्लॉग तो कम ही लिखता हूँ लेकिन ज्यादात्तर "टिप्पणी" और "लाइक" का लालच किये बिना ही फेसबुक पर लगातार अपने विचारों की अभिव्यक्ति का लेखन करने के साथ ही आज भी अनेक "ब्लॉग" खूब पढ़ता हूँ.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक

बिलकुल आपकी बात से पूर्णता सहमत हूँ. हमारे आगे तो बस रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया और गिरकर उठना व उठकर चलना भी था. बाकी अब मैं ब्लॉग तो कम ही लिखता हूँ लेकिन ज्यादात्तर "टिप्पणी" और "लाइक" का लालच किये बिना ही फेसबुक पर लगातार अपने विचारों की अभिव्यक्ति का लेखन करने के साथ ही आज भी अनेक "ब्लॉग" खूब पढ़ता हूँ.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक

बिलकुल आपकी बात से पूर्णता सहमत हूँ. हमारे आगे तो बस रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया और गिरकर उठना व उठकर चलना भी था. बाकी हम ब्लॉग तो कम ही लिखता हूँ और ज्यादात्तर "टिप्पणी" और "लाइक" का लालच किये बिना ही फेसबुक पर लगातार अपने विचारों की अभिव्यक्ति का लेखन करने के साथ ही आज भी अनेक "ब्लॉग" खूब पढ़ता हूँ.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक

बिलकुल आपकी बात से पूर्णता सहमत हूँ. हमारे आगे तो बस रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया और गिरकर उठना व उठकर चलना भी था. बाकी हम ब्लॉग तो कम ही लिखता हूँ और ज्यादात्तर "टिप्पणी" और "लाइक" का लालच किये बिना ही फेसबुक पर लगातार अपने विचारों की अभिव्यक्ति का लेखन करने के साथ ही आज भी अनेक "ब्लॉग" खूब पढ़ता हूँ.

Rohit Singh
10 years ago

अपन तो अपनी गति से ब्लॉग पर बने हुए हैं..पर सोचता हूं कि अब उसे .COM में बदल लूं…सही रहेगा क्या?

Girish Kumar Billore
10 years ago

आभार जी

विवेक रस्तोगी

हम तो ऑनलाईन भी नहीं देख पाये, पर हाँ अब आपने वीडियो लिंक देकर हमारा काम आसान कर दिया है, जल्दी ही देखते हैं, वैसे बीच में हमारी ब्लॉगिंग की गति धीमी जरूर हुई थी, पर पिछले कुछ महीनों से वापस गति ठीक ठाक है, हाँ अब टिप्पणी जरूर नहीं आती हैं, पर अब स्पॉन्सर्ड पोस्ट मिलती हैं तो लिखने में मजा भी आता है, अपने शौक के कारण कुछ तो कमा भी लेते हैं। बस हिन्दी ब्लॉगिंग को फिर से कोई प्राणदायिनी दे दे, फिर से कोई माहौल बना दे तो मजा आ जाये।

S.M.Masoom
10 years ago

आप सच कह रहे हैं 🙂

Unknown
10 years ago

हिन्दी तथा हिन्दी ब्लोगिंग को बढ़ावा देने का गूगल का प्रयास सराहनीय है। उम्मीद है कि इस प्रकार के वर्तमान क्रिया कलाप शायद फिर एक बार हिन्दी ब्लोगिंग में प्राण फूँक दें।

वाणी गीत
10 years ago

एक सार्थक पहल!
आभार इस सूचना के लिये. शायद दिन बद्लें हिंदी ब्लोगिंग के!

Dr. Zakir Ali Rajnish
10 years ago

दरअसल हिंदी ब्लॉगर्स ने तू मेरी खुजा और मैं तेरी को ही ब्लॉगिंग समझ लिया था, सो नतीजा ये ही होना था। वैसे जो लोग विषय आधारित गंभीर ब्लॉगिंग कर रहे हैं, उनके झंडे और ज़्यादा शान से लहरा रहे हैं। उदहारण के लिए http://www.scientificworld.in को ही देख सकते हैं।

डॉ टी एस दराल

जहाँ तक कंटेंट की बात है , मुझे नहीं लगता कि उसमे कोई कमी आई है ! बस पाठकों की संख्या मे कमी आ गई है ! वर्ना ऐसे लेख पर भी ६ कमेंट क्यों रह जाते — http://tsdaral.blogspot.in/2015/01/blog-post_18.html

डॉ टी एस दराल

यह बात भी कुछ हद तक सही है ! बहुत से लोगों के सामने लिये रोजी रोटी का सवाल खड़ा रहता है !

Satish Saxena
10 years ago

मैंने ब्लॉगिंग कभी नहीं छोड़ी और न मेरा मोह भंग हुआ , जो लोग लेखन से प्यार करते हैं वे कैसे छोड़ेंगे लिखना ?

Harshvardhan Srivastav
10 years ago

लगता है कि गूगल हैंगआउट उम्मीद से बेहतर रहा है, गूगल की इस कोशिश के लिए गूगल टीम के साथ – साथ आप सब भी बधाई के पात्र है। मैं रवि सर की बातों से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि अगर गूगल एडसेंस से हिन्दी चिट्ठाकारों की ठीक – ठाक आय होने लगे, तो चिट्ठाकारिता के वो पुराने दिन स्वयं ही वापस आ जाएँगे। सादर।।

ज्ञान कॉसमॉस

रवि रतलामी

टिप्पणी और पाठकीय संख्या की बातें करना तो बेमानी है. यदि गूगल एडसेंस से ब्लॉगों को नियमित आय होने लगे (जिसे बेवकूफ़ी में गूगल ने सन 2008 में हिंदी वालों के लिए बंद कर दिया था) तो देखिएगा कि लोग फ़ेसबुक-ट्विटर आदि नाले में फेंक कर कैसे दौड़े चले आते हैं. भारत में सामाजिक सुरक्षा नाम की चीज कोई है नहीं, आदमी रोजी-रोटी पालने की जद्दोजहद करता है, ऐसे में यदि उसे सुबह के नाश्ते पानी का जुगाड़ भी ब्लॉग से होने लगे तो परिदृश्य बदल जाएगा. नहीं तो हिंदी की दुनिया व्हॉट्सएप्प और फ़ेसबुक तक ही सीमित बनी रहेगी. 🙁

Khushdeep Sehgal
10 years ago

शुक्रिया डॉक्टर साहब…सच पूछो तो परसों आप की फेसबुक पर पोस्ट हिंदी ब्लॉगिंग को झिंझोड़ देने वाली थी…इंतकाल और क्रियाकर्म जैसे शब्दों का प्रयोग कर आपने अंदर तक हिला दिया था…मैंने आपकी पोस्ट पर टिप्पणी थी कि अब फिर हिंदी ब्लॉगिंग में खुशियों के दीप जलाने का वक्त आ गया है…और ये सब मिलकर प्रयास करने से होगा…

Khushdeep Sehgal
10 years ago

बिल्कु सही कह रहे हैं मासूम भाई…गूगल भी यही कह रहा है…CONTENT IS KING…

Khushdeep Sehgal
10 years ago

शुक्रिया राजीव भाई, मेरे कहने पर इतने ख़राब मौसम के बावजूद आप टाइम से पहुंचे…

Khushdeep Sehgal
10 years ago

और महागुरुदेव…हिंदी ब्लॉगिंग में ऐसा कौन होगा जिसे आप अच्छे नहीं लगते…

Khushdeep Sehgal
10 years ago

जो हुक्म सरदार (हिंदी ब्लॉगिंग)…नहीं खुला तो आपकी शरण में ही आऊंगा…पाबला शरणम् गच्छामि…

Khushdeep Sehgal
10 years ago

हॉलीवुड की ऐसी मूवी जिसे सारा परिवार (ब्लॉगवुड) एक साथ बैठ कर देख सकता है…

डॉ टी एस दराल

खुशदीप भाई , गूगल के प्रयास को सलाम !
ब्लॉगिंग मे उदासीनता पर एक शे'र :
इक हम ही नहीं हैं तन्हा ,
और भी हैं इस गम के सताये हुए !
आजकल ब्लॉग्स पर मुख्यतया वे ही लोग नज़र आ रहे हैं जो किसी तरह फ़ेसबुक के प्रलोभन से बचे रह गए ! लगभग सभी ब्लॉग्स पर टिप्पणियों की संख्या ऐसे घट गई है जैसे दिल्ली विधानसभा मे बी जे पी की सीट्स ! बेशक टिप्पणी ना सिर्फ लेखक को प्रोत्साहन देती है बल्कि पाठकों की दिलचस्पी को भी दर्शाती हैं ! पाठकों की संख्या तो खैर लेखक को अपने ही ब्लॉग पर दिखाई दे सकती है ! लेकिन दोनो की कमी तो खलती ही है !
फिर भी गूगल के प्रयास से एक उम्मीद की किरण नज़र आ रही है ! शुभकामनाएं सभी को …

S.M.Masoom
10 years ago

हिंदी ब्लॉग जगत को चाटुकारिता और इसका व्यापारीकरण खा गया फेसबुक तो एक बहाना है दिल को बहलाने का | जिस दिन तक टिपण्णी अच्छा कंटेंट (लेख) देख के नहीं की जायगी ऐसा ही चलता रहेगा |

राजीव तनेजा

इस हैंग आउट के जरिए काफी कुछ सीखने को मिला

अनूप शुक्ल

बढिया। ब्लॉग लिखना हमेशा अच्छा लगता है मुझे।

BS Pabla
10 years ago

हम जैसों के लिए टिप्पणी डब्बे में Name/ URL का ऑप्शन भी खोलिए

आज तो कर दी गूगल के सहारे टिप्पणी, अगली बार नहीं होगी

Grrrr

BS Pabla
10 years ago

एक घंटा चालीस मिनट!
ये तो हॉलीवुड की मूवी हो गई !!

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