अभी अभी अमेरिका के न्यू मैक्सिको के स्पेसपोर्ट पर वर्जिन गैलेक्टिक एलएलसी की फ्लाइट से इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से लौटा हूं…वर्जिन एयरलाइंस के मस्तमौला मालिक सर रिचर्ड ब्रैन्सन का भला हो जिन्होंने स्पेस में जाना ऐसा आसान बना दिया है जैसे लखनऊ के नाका टोला से रिक्शा पकड़ कर गणेशगंज होते हुए अमीनाबाद जाना…
हां, तो मैं एक सीक्रेट मिशन पर इंटरनेशनल स्पेस सेंटर गया था…दरअसल बड़े दिनों से जादू के स्पेस से मैसेज आ रहे थे…अब ये मत पूछिए कि कौन जादू…अरे वही एलियन जादू जिसने राकेश रोशन और ऋतिक रोशन की खातिर फिल्म कोई मिल गया के लिए धरती पर स्पेशल एपीयरेंस की थी…तो जादू मुझसे कह रहा था कि बहुत ज़रूरी काम है, मेरे ग्रह पर आकर मिलो…मैंने कहा, जादू भैया तुम्हे काम है तो तुम धरती पर आओ…अब जादू ने परेशानी बताई कि एक बार ही धरती पर आने का खामियाजा भुगत रहा हूं…धूप में सन-बर्न की वजह से फेस-वैल्यू खराब हो गई…इसलिए दोबारा धरती पर आने का जोखिम नहीं ले सकता...मुझे जादू का लॉजिक समझ आ गया…लेकिन मैं भी जादू के ग्रह पर जाने का रिस्क कैसे ले सकता था…पता नहीं मुंह पर कैसी थूथनी लगा दे…धरती वालों को क्या जवाब दूंगा…
फिर जादू ने ही मेरी हिचक का निवारण किया…जादू ने प्रपोज़ किया कि न धरती पर, न मेरे ग्रह पर…बीच स्पेस में इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर मिलते हैं...जादू ने सर रिचर्ड ब्रैनसन से डिस्काउंट पर टिकट लेकर मेरे लिए वर्जिन गैलेक्टिक एलएलसी स्पेसक्राफ्ट से टिकट भी बुक करा दी…फ्लाइट का दिन आ गया तो राम-राम करता स्पेसक्राफ्ट पर चढ़ा…सारे रास्ते महामृत्युंजय पाठ करता गया…इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पहुंचा तो जादू स्पेसवाक करता हुआ पहले से ही मेरे स्वागत के लिए तैयार था…
दुआ-सलाम के दौर के बाद मैंने ही जादू से पूछा कि भैया ऐसा कौन सा काम मुझसे आन पड़ा...जादू ने कहा कि अभी कुछ स्पेसफूड वगैरहा छक कर आराम कर लो…थकान उतरने के बाद अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताऊंगा…बस इतना समझ लो कि ये प्रोजेक्ट धरती और मेरे ग्रह के समस्त ब्लॉगरों की भलाई के लिए है…अब इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में लेटना तो हवा में तैरते हुए ही था…स्पेस स्लीपिंग सूट में घुसते ही मैं खर्राटे भरने लगा…
क्रमश: