सोचो क्या पाया इन्सां होके…खुशदीप



गुगल ने एक एड जारी किया  है…किस तरह बंटवारे के वक्त बिछड़े दो दोस्त गूगल सर्च की  मदद से मिल जाते हैं…इसके लिए पहल करती है एक दोस्त की बेटी….पोस्ट के नीचे गूगल के आभार से वो वीडियो डाल रहा हूं…एक बार ज़रूर देखिए…




पंछी, नदियाँ, पवन के झोंके,
कोई सरहद ना इन्हें रोके,
सरहद इंसानों के लिए है,
सोचो, 

तुमने और मैंने, 
क्या पाया इन्सां होके…

जो हम दोनों पंछी होते, तैरते हम इस नीले गगन में, पंख पसारे,
सारी धरती अपनी होती, अपने होते, सारे नज़ारे,
खुली फिजाओं में उड़ते,
अपने दिलों में हम सारा प्यार समो के,
पंछी, नदियाँ, पवन…

जो मैं होती नदिया और तुम पवन के झोंके, तो क्या होता,
पवन के झोंके नदी के तन को जब छूते हैं,
लहरें ही लहरें बनती हैं,
हम दोनों जब मिलते तो कुछ ऐसा होता,
सब कहते ये लहर-लहर जहाँ भी जाएं, इनको ना, कोई टोके,
पंछी, नदियाँ, पवन…



(ये वीडियो देखिए, दावा है कि बार-बार देखने के बाद भी जी नहीं भरेगा) 


(साभार गूगल )