मेरठ रहता था तो फिल्में खूब देखा करता था…खास तौर पर धर्मेंद्र-अमिताभ बच्चन की फिल्में…लेकिन नोएडा आकर सब छूट गया है…पिछले सात-आठ साल में नोएडा में सिर्फ एक ही फिल्म मल्टीप्लेक्स पर जाकर देखी है- जोधा अकबर…वो भी किसी ने आग्रह के साथ कॉम्पलीमेंट्री टिकट पकड़ा दिए थे…अब तो डीवीडी पर भी फिल्में देखने का मन नहीं करता…हां किसी फिल्म की बहुत ज़्यादा तारीफ़ सुनूं तो डीवीडी पर देख लेता हूं…पत्रकार हूं इसलिए हर फील्ड की तरह फिल्मों के बारे में जानकारी ज़रूर रखनी पड़ती है…
अभी एक नई फिल्म के बारे में सुना है…पटियाला हाउस…
टी सीरिज़ वाले भूषण कुमार इस फिल्म का निर्माण कर रहे हैं…निखिल आडवाणी के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में अक्षय कुमार क्रिकेटर की भूमिका निभा रहे हैं…ये रोल इंग्लैंड के पहले सरदार क्रिकेटर मोंटी पनेसर की कहानी से प्रेरित है…अक्षय कुमार को बॉलर के रोल में ढालने के लिए पूर्व भारतीय क्रिकेटर्स पारस महाम्ब्रे और बलविंदर सिंह संधू ने क़ाफ़ी मदद की है…फिल्म में अक्षय कुमार के पिता की भूमिका में ऋषि कपूर हैं…वो अपने देश भारत को जी-जान से चाहने वाले सरदार हैं…वो नहीं चाहते कि उनका बेटा इंग्लैंड की टीम से खेले…और एक दिन ऐसा भी आए कि उसे भारत के ख़िलाफ़ ही खेलना पड़े…मुझे ये प्लॉट दिलचस्प लग रहा है…वैसे भी इंग्लैंड या दूसरे देशों में जो भारतीय रहते हैं, उनके सामने अक्सर ये सवाल आता है कि वो क्रिकेट या हॉकी या अन्य किसी खेल में भारत की टीम का समर्थन करें या उस देश का जहां के अब वो नागरिक हैं और जहां से उन्हें रोज़ी-रोटी मिलती है…पटियाला हाउस में अक्षय कुमार के साथ अनुष्का लीड रोल में हैं…अक्षय की मां की भूमिका उनकी रियल लाइफ़ में सास डिंपल कपाड़िया निभा रही है…ऋषि कपूर और डिंपल अरसे बाद फिर इस फिल्म में साथ दिखेंगे…
निखिल आडवाणी की अक्षय कुमार के साथ बनाई पिछली फिल्म चांदनी चौक टू चाइना सुपरफ्लॉप रही थी…मेरे ख्याल से वो हिंदी सिनेमा की निकृष्टतम फिल्मों में से एक थी…अब देखना है कि पटियाला हाउस में ये जोड़ी कुछ चमत्कार कर पाती है या नहीं…वैसे भी अक्षय कुमार का सितारा पिछले काफ़ी वक्त से साथ नहीं दे रहा है…अक्षय कुमार की लास्ट हिट फिल्म सिंह इज़ किंग थी…फराह ख़ान की फिल्म तीसमारखां अभी रिलीज हुई है…उसकी रिव्यू रिपोर्ट अच्छी नहीं आई हैं…हां शीला की जवानी गाने ने ज़रूर फिल्म को धुआंधार प्रचार दिला दिया है…
सिंह इज किंग में अक्षय कुमार सरदार बने थे…वैसे ये देखा ये गया है कि जिस फिल्म में भी हीरो सरदार बनता है वो अक्सर हिट हो जाती है…जैसे धर्मेंद्र की जीवन मृत्यु, उनके बेटे सनी देओल की बॉर्डर और गद्दर, सैफ़ अली ख़ान की लव आज कल, सलमान ख़ान की हीरोज़…हां अमिताभ बच्चन अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों और रणबीर कपूर रॉकेट सिंह में भी सरदार बने थे, लेकिन दोनों फिल्में ही पिटी थीं…लेकिन रॉकेट सिंह फिल्म बहुत अच्छी थी…हर मां-बाप को अपने बच्चों को ये फिल्म ज़रूर दिखानी चाहिए…वैसे आप ये सारी फोटो देखकर बताएं कि सरदार के गेटअप में सबसे ज़्यादा कौन फब रहा है…
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सरदार तो सरदार होते हैं खुशदीप जी … अच्छे या बुरे नहीं …
नया साल मुबारक हो …
bahut hi achi jaankari…….
दर्पण से परिचय
सरजी ऐसा है पियो तो इको ही होंदा है जी….ते गरम धरम के होते होर कोई किवें वडा सरदार हो सकदा हे….
खुश दीप भाई ऎसी फ़िल्मे पता नही चलती हे या नही लेकिन इस फ़िल्म की स्टोरी अच्छी लगती हे, ओर जिस का जबाब किसी भी भारतिया( विदेशी ) के पास नही, अब देखे इस फ़िल्म मे क्या जबाब देते हे, क्योकि हमारे लिये तो दोनो देशो की धरती मां समान हे…. ओर ऎसे सवाल का जबाब मेरे पास नही हे,
और हिन्दी ब्लॉगरों के असरदार
सरदार पाबला जी दा जिक्र ही नहीं कीता।
प्याजो की जवानी
जिन्हें नहीं पता उनके लिए सूचना…
दिनेशराय द्विवेदी सर को भी बचपन में सरदार के नाम से ही जाना जाता था…करीबी अब भी द्विवेदी सर को इसी नाम से जानते हैं…
जय हिंद…
हायं यानि कि आपने तो फ़िल्म की समीक्षा पहले ही लिख दी ..
भईया जी इश्माईल …मेरा नया ठिकाना
चित्र में ऋषिकपूर जानदार सरदार लग रहे हैं।
हमें तो सारे सरदार ही असरदार लगते हैं । वैसे ऋषि कपूर जंच रहे हैं ।
नो कमेंट्स क्योकिं आजकल मैंने पिक्चर देखना बंद कर दिया है सिर्फ ब्लागिंग करता हूँ …. हाँ आपके फ़िल्मी ज्ञान की सराहना करना होगी ….
सरदार तो सारे ही असरदार होते हैं अब इनमें भी कौन ज्यादा? यह प्रश्न ही दुरूह है।
सभी सरदार अच्छे लगे, असरदार भी।
सलमान को छोडकर सभी जमे हैं।
ॠषि और रणबीर ज्यादा प्रभावशाली हैं जी
प्रणाम
बिना फ़िल्में देखे ही आपको फिल्मों की इतनी जानकारी कैसे है? हम तो हर हफ्ते फिल्म देखते हैं लेकिन इतनी जानकारी तो हमारे पास भी नहीं…हर हफ्ते थियेटर में जा कर फिल्म देखते हैं डी.वी.डी. पर जो देखते हैं वो अलग है…फिल्मों की पूरी लायब्रेरी है अपने पास…लेकिन जानकारी शून्य…बहुत ना इंसाफी है जानता हूँ लेकिन सच्चाई से मुंह नहीं मोड सकता…
पटियाला हाउस के बारे में मैंने भी पढ़ा है…अब तो बिचारा मोंटी भी इंग्लेंड की टीम से बाहर हो गया है…ये अग्रेज किसी के सगे नहीं होते जी…
नीरज
अच्छी जानकारी…
मुझे तो सभी सरदार अच्छे लग रहे है पर सबसे सुन्दर…टिकाऊ और भरोसेमंद अपने धर्मेन्द्र जी लग रहे हैं… 🙂