ज़माना बदल गया है…
पहले रिश्ते प्यार के लिए होते थे, चीज़ें इस्तेमाल करने के लिए..
अब चीज़ों को प्यार किया जाता है और रिश्तों को इस्तेमाल…
ज़िंदगी की इस कड़वी हक़ीक़त को छोड़िए, इस तस्वीर को देखिए…
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अब तो मानेंगे बदल रहा है ज़माना…
स्लॉग ओवर..
मक्खन ढक्कन से…दस साल पहले जब मेरी मक्खनी से शादी हुई थी तो उसकी फिगर कोकाकोला की पुरानी बाटल जैसी थी..
स्लॉग ओवर..
मक्खन ढक्कन से…दस साल पहले जब मेरी मक्खनी से शादी हुई थी तो उसकी फिगर कोकाकोला की पुरानी बाटल जैसी थी..
और अब…
ढक्कन…अब क्या…
मक्खन…है तो अब भी कोकाकोला जैसी ही, लेकिन…
2.5 लीटर की बाटल जैसी…
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Ha HaHa…bahut khoob ji
अदा जी,
एक बात और, स्लॉग ओवर किस मायने में जुड़ा है, ये भी मेरी समझ से बिल्कुल परे हैं…आपने टिप्पणी में ये ज़िक्र किया तो मेरी हैरत और बढ़ गई…
एक निवेदन फिर, दुनिया में अगर हर बात को अपने से जोड़ कर देखा जाए, फिर तो जीना ही मुश्किल हो जाएगा…
जय हिंद…
अदा जी,
पहली बात तो ये कि किसी भी चीज़ को अपने से जोड़ना सही नहीं है…
मैं आप को इंगित कर क्यों लिखूंगा ? मैंने आपके नाम से आई फर्जी ई-मेल के बारे में पूरी ब्लॉगर बिरादरी को सचेत करना ज़़रूरी समझा…क्योंकि इससे इंटरनेट पर सक्रिय जालसाज़ किसी ब्लॉगर को भी झांसे में ले सकते थे…
मैंने जब किसी ब्लागर के लिए पोस्ट लिखी है या लिखूंगा तो साफ़ तौर पर उसके नाम का उल्लेख किया है या करूंगा…
स्पेन वाली पोस्ट को छोड़ बाकी दोनों पोस्टों का आपसे कोई लेना देना नहीं है…
एक पोस्ट में अपना नाम देखकर दंग ज़रूर हुआ था…खैर किसी के मन में गलतफहमी होगी तो इस प्रकरण से दूर हो गई होगी…
ब्लॉगर बिरादरी के सदस्य होने के नाते आपसे पोस्टों पर विचारों और टिप्पणियों का आदान-प्रदान मेरे लिए अच्छा अनुभव रहा है…आपके लेखन और ज्ञान का मैं सम्मान करता हूं…आपके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
खुशदीप जी,
आपसे मैंने आपसे अनुरोध किया था..कि आप ये बात साफ़ करें कि यहाँ मेरी बात नहीं हो रही है…
आपकी सेन्स ऑफ़ ह्यूमर और चेहरे पे मुस्कान लाने की कोशिश यहाँ नाकाम हो रही है…आशा है…आप अपने उद्धेश्य को हासिल करने के लिए थोड़ी और कोशिश करेंगे और सिर्फ इतना कहेंगे कि ये तथाकथित स्लोग ओवर मुझ पर नहीं है…
मुझे ख़ुशी है कि आप अपने परिवार में सुखी हैं…और जहाँ तक मैं समझती हूँ…मैंने किसी भी तरह से आपके निजी जीवन का ज़िक्र करने को नहीं कहा भी नहीं है …आपके इस कथन का अभिप्राय ही मुझे समझ नहीं आया…जिस तरह आप सुखी हैं…मैं भी बहुत सुखी हूँ….बस यहाँ आपसे निवेदन है…कि आप साफ़ साफ़ लिख दें कि ये बातें मेरे लिए आपने नहीं कही है….अगर कोई ग़लतफ़हमी है तो उसे दूर करके आगे बढ़ने में क्या हर्ज़ है…. और जब आपकी पोस्ट की ऐसी कोई मंशा ही नहीं थी तो कहने में क्या हर्ज़ है….आप छोटे तो नहीं हो जायेंगे..!! इस तरह आपका बात को तवज्जो नहीं देना और गोलमोल जवाब देना कुछ अच्छी छाप नहीं छोड़ रहा है….
हाय रे कोकाकोला और मख्खनी!!
कमबख्त सेंस आफ ह्यूमर भी गुनाह हो गया लगता है इस ज़माने में…
मैं हमेशा अपनी सोच और परसेप्शन में क्लियर रहा हूं…इसलिए मैं किसी को भी सफ़ाई देने की ज़रूरत नहीं समझता…
जब से मैंने ब्लागिंग शुरू की है तब से स्लाग ओवर इसका अभिन्न अंग रहा है…हमेशा कोशिश रही है कि किसी के चेहरे पर मेरी कही बात से मुस्कान आ जाती है तो मेरे लेखन का उद्देश्य सफल हो जाए…
अगर कोई गलत मायने लगा लग रहा है तो ये उसकी प्राब्लम है, मेरी नहीं…
मैं अपने पारिवारिक जीवन में बहुत खुश हूं और निजी डोमेन का ब्लागिंग जैसे सार्वजनिक मंच पर ज़िक्र करने के हक़ में कतई नहीं हूं…
जय हिंद…
मक्खन भी ना….
खुशदीप जी,
आपकी पोस्ट आज बड़ी गोलमोल सी है…
५ फरवरी को आपकी एक पोस्ट आई '
अदा जी, स्पेन में मुसीबत में हैं ?….खुशदीप
आपका बहुत शुक्रिया….
फिर कल आपने एक पोस्ट डाली
'अभिन्न' का मतलब यह होता है, 'हाँ नहीं तो'…खुशदीप
जिसे मैं मेरी 'अभिन्न मित्रता' वाली पोस्ट के जवाब में मान रही हूँ.. (हालांकि आपने मेरे नाम का नहीं, तकिया-कलाम का इस्तेमाल किया और आपके लेबल में वही सारे शब्द मैं जिनका मैंने अपनी पोस्ट में इस्तेमाल किया है )…इस सारी बातों से इतनी बात समझ में आती है कि वो पोस्ट मेरे पोस्ट के जवाब में लिखी गयी थी….और आज आपने पोस्ट लिखी
सच ! ज़माना बदलता है…खुशदीप
….आपने रिश्तों के इस्तेमाल पर बात कह दी..
'ज़माना बदल गया है…
पहले रिश्ते प्यार के लिए होते थे, चीज़ें इस्तेमाल करने के लिए..
अब चीज़ों को प्यार किया जाता है और रिश्तों को इस्तेमाल…
आपने आज भी किसी का नाम नहीं लिया है….और आपकी पिछली पोस्ट रिश्तों पर ही आधारित हैं….इससे कहीं लोग ये ना समझें कि ये बातें आप मेरे लिए लिख रहे हैं….क्योंकि इसके पहले की दो पोस्ट्स भी बिना नाम लिए हुए थी और वो दोनों यकीनन मेरे लिए थी….ये आपने जान बूझ कर लिखा है या अनजाने में, मैं नहीं जानती…लेकिन आप इस बात को स्पष्ट करें तो अच्छा रहेगा….क्योंकि मैं नहीं चाहती, लोग गलत समझें…ख़ास करके आपका ऐसा लिखना बिना वजह लोगों को कुछ और सोचने को विवश कर सकता है…इसलिए उम्मीद है आप इसे स्पष्ट करेंगे कि ये मेरे लिए नहीं है….मुझे बेनामियों-सुनामियों, और दूसरों की उतनी परवाह नहीं है…क्योंकि उनकी बातों का मतलब सभी जानते हैं…आप एक जिम्मेदार इंसान हैं…आपकी इस पोस्ट से हमारे सम्बन्ध बिला-वजह संदेह के घेरे में आ रहे हैं…और लोगों को गलत सन्देश जा रहा है….
sach kaha aapne ab chizo se pyar kiya jaata hai or rishto ko istmaal kia jata hai
बड़ी तेजी से बदल रहा है. सोच रहा हूँ कि अगली बॉटल कैसी होगी…
जमाना वाकई बदल गया:)
बढिया …..
भार संरक्षण का नियम
जमाना निरन्तर बदलता है।