संस्कृति एक्सप्रेस ले लो, आतंक एक्सप्रेस दे दो…खुशदीप

रेल बजट आ गया…आपने अब तक जान भी लिया होगा…ममता दी की रेल ने बंगाल की बम-बम कर दी…आप खुश है कि किराए नहीं बढ़े…एसी में तो कहीं बीस रुपये की छूट भी मिल गई है…54  नई गाड़ियों में जितनी ज़्यादा से ज़्यादा ममता दी बंगाल ले जा सकती थीं ले गईं…हल्ला मच रहा है कि…दी ऐसा क्यों किया…2011 में ममता दी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ना है…आपको नहीं लड़ना…फिर क्यों गले का ऑक्टेन हाई किए हुए हो…

आभार…हिंदुस्तान टाइम्स

ममता दी बंगाल को दी जाने वाली गाड़ियां सिर्फ बंगाल तक ही सीमित नहीं रखना चाहती…वो एक कदम आगे बढ़ाना चाहती हैं…गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के 150वें जयंती वर्ष में ममता उनकी यादों से जुड़ी जगहों का तीर्थ कराने के लिए संस्कृति एक्सप्रेस चलाना चाहती हैं…गुरुदेव ने अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा बांग्लादेश (तब भारत का ही भाग) में बिताया था…ममता भारत के साथ बांग्लादेश में भी उन सभी जगहों तक संस्कृति एक्सप्रेस ले जाना चाहती हैं जहां जहां गुरुदेव के चरणकमल पड़े थे…चलिए मान लीजिए संस्कृति एक्सप्रेस चल भी गई लेकिन बांग्लादेश की ज़मीन पर पाकिस्तान से खाद-पानी लेकर पनप रहे आतंकवादी संगठन कुछ और ही चाहते हैं…वो अपनी आतंक एक्सप्रेस को भारत के हर उस कोने तक ले ले जाना चाहते हैं, जहां वो आतंक की एक से बड़ी एक इबारत लिख सकें…

ये सच है कि ममता अगर संस्कृति एक्सप्रेस की योजना को परवान चढ़ाना चाहती हैं तो उनके जेहन में बांग्लादेश के वो आम नागरिक भी हैं जो गुरुदेव के रवींद्र संगीत और रवींद्र गीति में वैसे ही आनंद का अनुभव करते हैं, जैसा कि पश्चिम बंगाल में किया जाता है…दूसरी ओर बांग्लादेश में सक्रिय आतंकी संगठन हरकत उल जेहाद अल इस्लामी (हूजी) जैसे आतंकी संगठन हर उस आदमी को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं जो भारत को दुश्मन नंबर एक मानता है…


ज़ाहिर है हूजी को पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की शह है…इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक आमिर रज़ा ख़ान ने भी कोलकाता से निकलने के बाद बांग्लादेश का रुख किया था…बाद में पाकिस्तान भाग गया…

पिछले आठ साल में भारत में हुई पचास से ज़्यादा आतंकी वारदातों में हुजी का नाम सामने आया…11 जुलाई 2006 को मुंबई में हुए सीरियल लोकल ट्रेन ब्लास्ट को अंजाम देने के पीछे भी हुजी का हाथ मान जाता रहा है….असम में हिंसा के ज़रिए आंदोलन चलाने वाले संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को भी छिपने और घात लगाकर दुश्मन पर हमले की ट्रेनिंग लेने के लिए बांग्लादेश की ज़मीन सबसे ज़्यादा रास आई…उल्फा का प्रभाव बांग्लादेश के छह ज़िलों में है…यहीं नहीं उल्फा का प्रमुख नेता अनूप चेतिया बांग्लादेश में ही कैद है…इन सब संगठनों का पैसा भी बांग्लादेश के बैंकों के ज़रिए ही आता है….ऐसे में क्या गारंटी कि ममता दी जो संस्कृति एक्सप्रेस बांग्लादेश ले जाना चाहती है उसका इस्तेमाल हूजी जैसे संगठन आतंक की आंधी भारत भेजने में नहीं करेंगे…सवाल बड़ा है लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है…ममता दी के पास भी नहीं…

स्लॉग गीत

खैर छो़ड़िए ये सब टंटे आप तो एक प्यारा सा लोकगीत सुनिए…इस गीत का लिंक कल पीडी भाई ने टिप्पणी के ज़रिए मेरी पोस्ट पर दिया था…पीडी भाई को यूनुस जी की ओर से उपलब्ध कराया गया ये गीत इतना मस्त है कि न जाने कितनी बार सुन चुका हूं, फिर भी मन नहीं भर रहा…यकीन नहीं आता तो इस पोस्ट पर जाकर आप खुद ही सुन लीजिए…

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