शौरी की शॉक-थिरेपी…खुशदीप

आज से करीब डेढ़ साल पहले 24 अगस्त 2009 को अरुण शौरी ने बीजेपी नेतृ्त्व के लिए हंप्टी-डंप्टी और एलिस इन ब्लंडरलैंड जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था…उस वक्त बीजेपी की कमान राजनाथ सिंह के हाथों में थी…अरुण शौरी ने बीजेपी में रहते हुए ही जिस तरह पार्टी नेतृत्व पर प्रहार किया था वैसा प्रहार तो बीजेपी के विरोधी दलों ने भी कभी नहीं किया…पत्रकारिता में धाक जमा कर राजनीति में आए शौरी शब्दों का इस्तेमाल करना अच्छी तरह जानते हैं…

पूर्व टेलीकॉम मंत्री रह चुके शौरी को अब 21 फरवरी को 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर सीबीआई के सामने बोलना है…सीबीआई इसके लिए उन्हें समन जारी कर चुकी है…ऐसे में बीजेपी परेशान है कि शौरी अब न जाने अपनी ज़ुबान से कौन से गोले छोड़ दें…बीजेपी को ये फिक्र इसलिए भी ज़्यादा है कि उसने भ्रष्टाचार को लेकर मिस्टर क्लीन (प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह) को घेरने की मुहिम के साथ जिस तरह का माहौल अब बनाया है, वैसा मौका उसे पहले कभी नहीं मिला था…2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला, इसरो- एस बैंड स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ घपला, आदर्श सोसायटी घोटाले के साथ महंगाई के मोर्चे पर सरकार की नाकामी ने अंदरूनी मतभेदों से कॉमा में चल रही बीजेपी को बैठे-बिठाए संजीवनी दिला दी…इससे बीजेपी के नेताओं के आपसी टकराव की ख़बरे भी नेपथ्य में चली गईं और बीजेपी फिर मुख्य विरोधी दल वाली फार्म में आ गई…

लेकिन शौरी जिस तरह के तेवर दिखा रहे हैं वो कांग्रेस से ज़्यादा बीजेपी की परेशानी बढ़ाने वाले हैं…शौरी की शॉक थिरेपी बीजेपी को भी ज़ोर के झटके ज़ोर से ही दे रही है…शौरी कहते हैं कि उन्होंने 2-जी स्पेक्ट्रम को लेकर पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के कारनामों की जानकारी सबूतों के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बहुत पहले ही दे  दी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने समय रहते कोई कारगर कदम नहीं उठाया…शौरी अगर प्रधानमंत्री को ही घेरे में लेकर रुक जाते तो बीजेपी से ज़्यादा खुश और कौन हो सकता था…लेकिन शौरी ने लगे हाथ सुषमा स्वराज और अरुण जेटली को भी लपेटे में ले लिया…शौरी ने बेशक नाम दोनों नेताओं का नहीं लिया लेकिन शब्दों की बाज़ीगिरी से साफ कर दिया कि 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सुषमा स्वराज और जेटली ने सब कुछ जानते हुए भी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख नहीं अपनाया…शौरी ने ये संकेत देने में भी कसर नहीं छोड़ी कि जेटली ने वकील होने के नाते कुछ मुवक्किलों की खातिर चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी…

शौरी के इन बाणों के जवाब में बीजेपी बस यही सफाई दे सकी कि अरुण जेटली ने 23 जुलाई 2009 को संसद में दिए अपने बयान में 2-जी स्पेक्ट्रम पर कंपनियों के खेल का हवाला देते हुए सरकार की खिंचाई की थी…बीजेपी अगर चाहे भी तो इस वक्त शौरी के खिलाफ मोर्चा नहीं खोल सकती…एक तो बीजेपी को सरकार पर हमला बोलने के लिए अपना घर एकजुट दिखाने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है…दूसरे बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि शौरी एनडीए सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहने की वजह से ऐसा बहुत कुछ भी जानते होंगे, जिसका खुलासा उन्होंने करना शुरू किया तो फजीहत बीजेपी की ही होगी…

बीजेपी भूली नहीं है कि शौरी ने किस तरह ये कहते हुए बीजेपी पर आत्मघाती गोल किया था कि उन्हें 2009 में बजट भाषण पर चर्चा में मुख्य वक्ता बनने से इसी अंदेशे में रोका गया था कि कहीं उनके किसी बयान से मुकेश अंबानी के हित न प्रभावित हो जाएं…तब अरुण शौरी की जगह एम वेंकैया नायडू को मुख्य वक्ता बनाया गया था…उस वक्त ऐसी चर्चाएं थीं कि अरुण शौरी समाजवादी पार्टी के सहारे राज्यसभा के लिए दोबारा चुने जा सकते हैं…बीजेपी को डर था कि शौरी ऐसा कुछ न बोल दें जो मुकेश अंबानी की जगह अनिल अंबानी को ज्यादा रास आए…खैर वो पुरानी बात हो गई…अब नया ये है कि अरुण शौरी टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले मे 21 फरवरी को सीबीआई के सामने क्या बोलते हैं…ये सुनने का इंतज़ार शायद अब सबसे ज़्यादा बीजेपी को ही होगा…

Khushdeep Sehgal
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RAJ SINH
14 years ago

इस हमाम में सब नंगे !
वैसे दूसरों के बारे में सच और अपने बारे में छिपाना राजनीती है .' राजधर्म ' तो बचा ही नहीं है .

डा० अमर कुमार


पार्टी कैडर के नियमों पर टिके रहने का दुराग्रह लोकतँत्र की अवहेलना है,
ऎसा अलोकताँत्रिक ढाँचा लगभग हर पार्टी में मिलेगा । यदि शौरी जैसी कोई शख़्सियत देशहित को पार्टी प्रतिबद्धता से ऊपर रखती है, तो अच्छा ही है…. बशर्ते कि इसमें ्किसी सौदेबाजी या ब्लैकमेलिंग जैसी नियत न हो… राजनीतिज्ञों का कुछ कहा नहीं जा सकता !
अरूण शौरी के अँदर छिपे पत्रकारिता के कीटाणु सँभवतः अभी भी सक्रिय हैं !

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }

मि.शौरी जब एलिस के साथ वन्डरलैन्ड मे घूम रहे थे तब वह क्यो नही जागे . क्या उस समय गंगा स्वच्छ थी ? उस समय भी घपले हुये और बहुत हुये . जनता बेचारी द्रोपदी है हमेशा चीरहरण की शिकार ही होगी .
भारत में मन्त्री बनने का पैमाना सिर्फ़ चरणवन्दन है और मै दावे से कह सकता हू मि. शौरी भी इसके बिना मंत्री नही बने होन्गे .

राज भाटिय़ा

बोलेगे क्या एक दुसरे को नंगा करेगे, ईमानदार प्रधान मत्री को भी अब ७,८ साल बाद शराफ़त याद आयी, बगुला भी बेचारा ही होता हे, जिसे हम भगत भी कहते हे, बहुत शरीफ़…..

anshumala
14 years ago

सत्ता हो या विपक्ष इनके खाने के और दिखने के दो दांत होते है | ये बखूबी जानते है की क्या चीज कब और कहा कहनी है | मीडिया में आने के लिए ये किसी और कारण ये भले आन और आफ द रिकार्ड ये कुछ भी कह दे किन्तु उन्हें पता होता है की किसी सवैधानिक या न्यायिक मामलों में क्या कब और कितना कहना है | उदाहरन के तौर पर सुषमा स्वराज थामस मामले में हलफनामा दे कर सरकार को अच्छे से फंसा सकती थी किन्तु मीडिया में कहने के बाद भी नहीं किया क्योकि सरकार या विपक्ष दोनों ही एक दूसरे को तकनीकी और न्यायिक रूप से नहीं फ़साते है ऐसे में अपनी ही पार्टी के खिलाफ सी बी आई में शौरी का बोलना नामुमकिन है भले वो मिडिया में कुछ भी बोले |

मुकेश कुमार सिन्हा

sari rajnitik vyavastha hi choupat ho kar rah gayee hai, saare bhrastachari netaon ke jamaat me hain…kinko chune…:(

शिवम् मिश्रा

बहुत बहुत धन्यवाद इस जानकारी से भरी पोस्ट के लिए !
जय हिंद !

प्रवीण पाण्डेय

आगे आगे देखिये होता है क्या।

निर्मला कपिला

रोचक रहेगा 21 फरबरी का ड्रामा। शुभकामनायें।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)

आज से वापसी हो गयी है… मेरी…

जय हिंद..

sonal
14 years ago

एक घोटाला अवार्ड शो भी करवाना चाहिए …आखिर बहुत मेहनत का काम है

Atul Shrivastava
14 years ago

जब देश का प्रधानमंत्री भ्रष्‍टाचार की बात को स्‍वीकार कर ले तो इसे क्‍या कहा जाएगा। अरूण शौरी अब तक तो स्‍ट्रेट फारवर्ड रहे हैं देखना है 21 को वे क्‍या कहते हैं।
अच्‍छा आलेख।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

जो कोई भी हो, लेकिन स्थिति तो साफ होना चाहिये. घोटाला तो घोटाला है…

अजित गुप्ता का कोना

पग-पग पर हो रहे भ्रष्‍टाचार को लेकर प्रधानमंत्री बयान नहीं दे रहे हैं कि भ्रष्‍टाचार देश के लिए घातक है। बस कांग्रेस इसी बात में लगी है कि किसी प्रकार भाजपा को भी उलझा दिया जाए। जिससे देश में यह संदेश जाये कि केवल हम भी भ्रष्‍टाचारी नहीं हैं। जब कि आज समय आया है जब प्रधानमंत्री को आगे आकर यह कहना चाहिए था कि हम सब मिलकर इस दानव से लड़ेंगे। लेकिन वे तो नाम के ही प्रधानमंत्री जो हैं।

डॉ टी एस दराल

शौरी कहते हैं कि उन्होंने 2-जी स्पेक्ट्रम को लेकर पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के कारनामों की जानकारी सबूतों के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बहुत पहले ही दे दी थी, —

लेकिन आज की तरह पब्लिक को नहीं दी ।
जाने इसका क्या मतलब है ?

देवेन्द्र पाण्डेय

रोचक ..

Satish Saxena
14 years ago

ईमानदार लोगों की देश को बहुत जरूरत है जो पार्टी हितों से ऊपर जाकर विचार करने में सक्षम हों !
आपका यह लेख आपके लिए भी मील का पत्थर साबित होगा !
आपकी निष्पक्षता को सलाम खुशदीप भाई !
जय हिंद !!

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