इस चेहरे को ज़रा गौर से देखिए…ये हैं विशाल डडलानी…
शेखर के साथ जोड़ी बनाकर जनाब ओम शांति ओम और दोस्ताना जैसी कई सुपरहिट फिल्मों का म्युज़िक कम्पोज़ कर चुके हैं…लेकिन अब विशाल जी ने जो कारनामा कर दिखाया है, इसके लिए उनका नाम गीत-कविता के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जाना चाहिए…विशाल जी ने ऐसी रचना रची है कि देश का बड़े से बड़ा गीतकार उनकी विलक्षण प्रतिभा पर रश्क कर रहा है…गुलज़ार और प्रसून जोशी को भी ताज्जुब हो रहा है कि ऐसा अनमोल हीरा अभी तक कहां छुपा हुआ था…अब तक आप भी बेचैन हो गए होंगे कि विशाल ने ऐसा क्या रच दिया जो मैं उनकी शान में कसीदे पढ़ता जा रहा हूं…तो लीजिए जनाब दिल थाम कर पढ़िए और सुनिए उनकी कालजयी कृति…
आई नो यू वांट इट
बट यू नेवर गॉना गेट इट
तेरे हाथ कभी ना आनी
माने ना माने कोई,
दुनिया ये सारी,
मेरे इश्क की है दीवानी,
हे हे,
आई नो यू वांट इट बट यू नेवर गॉना गेट इट
तेरे हाथ कभी ना आनी
माने ना माने कोई,
दुनिया ये सारी
मेरे इश्क की है दीवानी
अब दिल करता है हौले हौले से
मै तो खुद को गले लगाऊं
किसी और की मुझे ज़रूरत क्या,
मैं तो खुद से प्यार जताऊं
व्हाटस माई नेम
व्हाटस माई नेम
व्हाटस माई नेम
माई नेम इज़ शीला
शीला की जवानी
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
ना ना ना शीला,
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
ना ना ना शीला,
शीला की जवानी,
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
टेक इट ऑन
टेक इट ऑन
टेक इट ऑन
टेक इट ऑन
सिली सिली सिली सिली बॉयस
ओ ओ ओ यू ऑर सो सिली
मुझे बोलो बोलो करते हैं
ओ ओ ओ
हां जब उनकी तरफ़ देखूं,
बाते हौले हौले करते हैं,
है मगर, बे्असर मुझ पर हर पैंतरा
हाय रे ऐेसे तरसे हमको
हो गए सोबर से रे,
सूखे दिल पे मेघापन के तेरी नज़रिया बरसे रे,
आई नो यू वांट इट बट यू नेवर गॉना गेट इट
तेरे हाथ कभी ना आनी
शीला
शीला की जवानी
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
ना ना ना शीला
शीला की जवानी
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
पैसा गाड़ी महंगा घर
आनी ना मैनू कि गिम्मे यूअर दैट
जेबें खाली बढ़ती चल
नो नो आई डोंट लाइक दैट
चल यहां से निकल तुझे सब ला दूंगा
कदमों में तेरे लाके जग रख दूंगा
ख्वाब मैं कर दूंगा पूरे,
ना रहेंगे अधूरे,
यू नो आई एम गोइंग टू लव यू लाइक दैट, व्हाटएवर
हाय रे ऐसे तरसे हमको
हो गए सोबर से रे
सूखे दिल पे भीगापन के तेरी नज़रिया बरसे रे
आई नो यू वांट इट बट यू नेवर गॉना गेट इट
यू नेवर गॉना गेट माई बॉडी
आई नो यू वांट इट बट यू नेवर गॉना गेट इट
तेरे हाथ कभी ना आनी
माने ना माने कोई,
दुनिया ये सारी,
तेरे इश्क की मैं दीवानी,
अब दिल करता है हौले हौले से
मै तो खुद को गले लगाऊं
किसी और की मुझे ज़रूरत क्या,
मैं तो खुद से प्यार जताऊं
व्हाटस माई नेम
व्हाटस माई नेम
व्हाटस माई नेम
माई नेम इज़ शीला
शीला की जवानी
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
ना ना ना शीला,
आई एस जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
ना ना ना शीला,
शीला की जवानी,
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
ओह नो नो शीला
शीला की जवानी
आई एम जस्ट सेक्सी फॉरयू
मैं तेरे हाथ ना आनी
शीला,
शीला की जवानी
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
मैं तेरे हाथ ना आनी
नोबाडी गॉट बॉडी लाइक शीला
एवरीबॉडी वान्ट बॉडी लाइक शीला
ड्राइव मी क्रेज़ी, कॉज (बिकॉज) माई नेम इज़ शीला
ऐन्ट नोबॉडी गॉट बॉडी लाइक शीला
एवरीबॉडी वान्ट बॉडी लाइक शीला
ड्राइव मी क्रेज़ी, कॉज (बिकॉज) माई नेम इज़ शीला
ऐन्ट नोबॉडी गॉट बॉडी लाइक शीला
(फिल्म-तीसमारखां, संगीत- विशाल-शेखर और श्रीश कुंदर, प्लेबैक- सुनिधि चौहान, विशाल डडलानी, गीतकार-विशाल डडलानी)
यहां तक पढ़ते पढते मुझे यकीन है कि आप ज़रूर चकरा गए होंगे…मार्डन युग की कालजयी रचना ऐसे ही होती हैं…विशाल जी के सिर से सारे बाल ऐसे ही नहीं उड़ गए हैं…बेचारों ने कितनी रात जाग जाग कर ऐसी अप्रतिम कृति देश को समर्पित की है…धन्य हो विशाल जी, अपने नाम की तरह ही आपका कैनवास बड़ा विशाल है… मेरा तो प्रस्ताव है कि विशाल डडलानी को इस रचना के लिए विश्वकवि घोषित कर दिया जाना चाहिए…
स्कूल के पाठ्यक्रम में रामधारी सिंह दिनकर, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, धर्मवीर भारती, हरिवंशराय बच्चन, दुष्यंत कुमार, गोपालदास नीरज को पढ़ता था…हसरत जयपुरी, साहिर लुधियानवी, कवि प्रदीप के फिल्मी गीत सुनता था…अब सोचता हूं पुराने ज़माने के लोगों ने सच में क्या मिस किया…आधुनिक कविता के श्लाका पुरुष विशाल डडलानी आप इस दुनिया में पहले क्यों नहीं आए…
आज विशाल का ज़िक्र करते-करते मुझे कुंदन लाल सहगल भी याद आ गए…भारतीय संगीत ने सहगल साहब के साथ शुरुआत की थी और बाबा सहगल तक आ पहुंचा…
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bhai khus deep ji aap ki is post par kal hum do line likhe ge .
वाह क्या साहित्य है, अब शायद ऐसे ही साहित्य की जरुरत है।
आप चिंता न करें अभी भी स्कूल के बच्चे पाठ्यपुस्तकोँ में वही कवितायें पढते है जो आपने हमने पढी ( लेकिन यह सुनना मजबूरी है ) सो इस अपसंस्कृति के खिलाफ आवाज़ उठाना भी ज़रूरे है । आपने इस ओर ध्यान दिलाया यह भी विरोध की दिशा मे एक कदम है ।
ौसे ब्लागवुड मे बुला लो खूब कमेन्ट्स मिलेंगे।संगीत का बेडा गर्क कर दिया ऐसे लोगों ने। क्या कहें। आशीर्वाद– उसे नही तुम्हें।
खुशदीप जी
आप भी है न … बस !
अजी नई पीढी इन महान कृतियों पर जान छिड़क रही है , और आप हैं कि …
🙂
कहां रह गया है अब नई पीढ़ी के भाग्य में सुरीला फिल्म संगीत ?
ज़माना अभिशप्त हो गया है , आप-हम उसकी क़िस्मत के कंकर बीन नहीं सकते ।
… और साहित्य में भी
खोटे सिक्कों की जमी , बाज़ारों में धाक !
खरे नोट की काट ली , बीच राह में नाक !!
सूर कबीरा मिल गए , रोते ' बीच बज़ार !
उनके घर में घुस गए कुटिल भांड लठमार !!
अवसरवाद को आत्मा स्वीकार न कर पाए तो … , लिखता रहे कोई हम जैसा; ऐसे ही मेरी तरह ! आपकी तरह !!
शुभकामनाओं सहित
– राजेन्द्र स्वर्णकार
साहित्य और फिल्लम में फ़र्क होता है… समझा करो जानम 🙂
मेरा तो प्रस्ताव है कि विशाल डडलानी को इस रचना के लिए विश्वकवि घोषित कर दिया जाना चाहिए…
मेरा भी प्रस्ताव है कि इस रचना को बुकर पुरस्कार या ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना चाहिए:)
ऐसे ही लोग आजकल चारो तरफ छाए हुए रहतें हैं………आजकल भ्रष्ट मंत्री,उद्योगपति और भडुए जिसपर मेहरबान वो गधा सबसे बड़ा पहलवान……
ओह तो विसाल बाबू हैं सीला के गार्जियन …ओहो हो तब्बे ..किसी के हाथ नहीं आनी ..चलिए जी बढियां है …आखिर मुन्नी को एतना बदनाम होने और सीला को एतना जबान होने का ख्याति इससे पहिले मिल नहीं न पाया था ….एक्सपोजर का जमाना है बाबू …सीला , मुन्नी , चंपा, रेखा , जूमा ….सूची बेकाबू ….
यह सुबह ही ल्योर कर रहा था अच्छा हुआ यह वेदोच्चार सुना पढ़ा नहीं ..सारा दिन खराब होता ,अब रात तो खराब होने के लिए होती ही है !
आपकी जय हो♥
ये गाना उस दिन थोडा सा सुना तो ही लगा ये है क्या ? बिल्कुल जी अब ऐसे ही कवियों का बोलबाला होना है ……………………एक शीला कम थी नाक मे दम करने के लिये जो ये दूसरी भी रच दी…………जय हो।
I hate self proclaimed intellectuals.
Nothing in this world should be critically analysed but only voilence.
Pankaj Upadhyay
खुशदीप सर, आपमें कालजयी रचनाएं और गीत ढुंढने का नायाब हुनर है…. सही बताएं तो ऐसे गीत रोज टीवी पर बाज़ रहे होते है. पर बोल समझ भी नहीं आते….. एक तेज शोर होता है…
आज के सबसे ज्यादा खोजे जाने वाले सभी शब्दों का अच्छा समावेश कर डाला |
पहले राजाओं के जमाने में चारण भाट हुआ करते थे जो उनकी विरदावलियां गाया करते थे लेकिन आज भांड हो गए हैं। ताली पीट-पीटकर जो भी गाया जाए उसे गाने की श्रेणी में ला दिया है। पैसे ऐसे टुच्चे काम से ही कमाए जाते हैं।
आप सच कह रहे हैं। आपकी मुहिम का साथ देते हुए मैं पोस्ट लिख रिया हूं।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
@दराल सर,
आपने मेरी चूक की ओर ध्यान दिलाया, शुक्रिया…अब लिंक पर गाने का ऑडियो भी डाल दिया है…आप अब
इस कालजयी कृति को सुन भी सकते हैं…
जय हिंद…
जय हो इस साहित्यिक विजय की।
शीला की जवानी,
आई एम जस्ट सेक्सी फॉर यू
अब इससे ज्यादा क्या कहें …..बस सोचा जा सकता है …शुक्रिया
ओह ! सचमुच सर चकरा गया ।
अभी तो खाली पढ़ा है , सुनेंगे तो क्या होगा ।
खुशदीप भाई …. आपको याद तो होगा ही …. " पैसा खुदा नहीं … पर खुदा कसम खुदा से कम भी नहीं !! "
बस सब उसका ही जलवा है …. शीला तो बेकार में मुन्नी की तरह बदनाम हो रही है !
😛
🙂
😉
vaaakai vishkavi ka darja diya jaa sakta hai.
bachpan m nani se sunte the parion ki khani wah wah……….
bachpan m nani se sunte the parion ki khani wah wah……….
or
.
.
.ab
bade hokra hum sun rahe h
"sheela ki jawani"