सरकारें हमेशा बुरा ही काम नहीं करती…कभी-कभार भूले-बिसरे अच्छा काम भी कर लेती हैं…राजधानी दिल्ली की सरकार ने ऐसा ही एक कदम उठाया है…एक ऐसी अनूठी मुहिम शुरू की है, जिसका समाज पर बहुत अच्छा असर पड़ सकता है…खास कर उन युवक-युवतियों पर जो जल्दी ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं…
अब दिल्ली में हर शादी पर दूल्हा-दुल्हन को अग्नि को साक्षी मान कर एक दूसरे का साथ देने के सात वचन लेने के साथ आठवां वचन भी लेना होगा…आठवां वचन यानि प्रतिज्ञा बिटिया को कोख़ में कत्ल न होने देने की…प्रतिज्ञा कन्या भ्रूण को बचाने के लिए घर-परिवार, बिरादरी, समाज किसी के भी दबाव में न आने की…दिल्ली सरकार की इस मुहिम के तहत शादी कराने वाले पंडित, निकाह कराने वाले मौलवी, गुरुद्वारों में आनंद कारज कराने वाले ग्रंथी और चर्च में मैरिज सेरेमनी कराने वाले पादरी ही दूल्हा-दुल्हन को ये शपथ दिलाएंगे…समाज को इस बुराई से बचाने के लिए हर धर्म के लोगों ने पूरा साथ देने का वादा किया है…
यही नहीं शादियों को क़ानूनी जामा पहनाने के लिए अगर मैरिज रजिस्ट्रार के सामने कोर्ट मैरिज भी की जाती है तो भी नवदंपति को इसी आशय की शपथ दिलाई जाएगी…प्रयोग के तौर पर इस मुहिम को दिल्ली के वेस्ट डिस्ट्रिक्ट में शुरू किया जा रहा है…जल्दी ही इस पर पूरी राजधानी में अमल किया जाएगा…
मेरा यहां सवाल है दिल्ली में ही क्यों, पूरे देश में क्यों नहीं…पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में तो खास तौर पर इसे तत्काल शुरू करने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहन देने चाहिए…दिल्ली की एक करोड़ 68 लाख की आबादी में हर 1000 लोगों पर 866 महिलाओं का अनुपात है…हर हज़ार पुरुषों पर पंजाब में 893 और हरियाणा में 877 महिलाएं हैं….जहां तक देश का सवाल है तो यहां हर एक हज़ार पुरुषों पर 940 महिलाओं का अनुपात है…देश में सिर्फ केरल, पुडुचेरी और मणिपुर ऐसे राज्य है जहां पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज़्यादा हैं…हर 1000 पुरुषों पर केरल में 1084, पुडुचेरी में 1038 और मणिपुर में 1043 महिलाओं का अनुपात है…दमन और दीव देश में ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है जहां अनुपात सबसे खराब है…यहां हर हज़ार पुरुषों पर सिर्फ 618 महिलाएं हैं….
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