शर्मिला के साथ ये क्या-क्या हो रहा है…खुशदीप

14 सितंबर को पोस्ट लिखी थी…क्या शर्मिला को प्रेम का हक नहीं…उस पोस्ट में मणिपुर में पिछले ग्यारह साल से आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट को हटाने की मांग को लेकर अनशन कर रही शर्मिला इरोम चानु की दुविधा का ज़िक्र किया था…दुविधा थी गोवा मूल के ब्रिटिश नागरिक डेसमंड कॉटिन्हो के प्रति शर्मिला के समर्थकों के व्यवहार को लेकर…शर्मिला इच्छा जता चुकी हैं कि अपने आंदोलन में सफलता मिलने के बाद वो डेसमंड से शादी करना चाहेंगी…इसी बाबत कोलकाता के एक अखबार में छपे शर्मिला के इंटरव्यू को लेकर मणिपुर में काफी उबाल भी रहा…खैर ये तो रही पुरानी बात…लेकिन अब जो शर्मिला को लेकर नई ख़बर सामने आई है, वो और भी हिलाने वाली है…

पिछले ग्यारह साल में पहली बार शर्मिला ने अपनी मां से मिलने की इच्छा जताई है…लेकिन शर्मिला की 78 वर्षीय मां शाखी देवी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है…शाखी देवी का कहना है कि जब तक शर्मिला को एएफएसपीए कानून को हटाने के मिशन में सफलता नहीं मिल जाती, वो उससे नहीं मिलेंगी…उनकी दलील है कि मेरे शर्मिला के मिलने से उस पर भावनात्मक रूप से बुरा असर पड़ेगा और वो अपनी लड़ाई को लेकर कमज़ोर पड़ेंगी…मैं ऐसा होते नहीं देखना चाहती…शर्मिला ने जब 5 नवंबर 2000 को इम्फाल में अनशन शुरू किया था तो प्रण लिया था कि जब तक अनशन जारी रहेगा वो अपनी मां से नहीं मिलेंगी…

कुछ ही मीटर की दूरी पर रहने के बावजूद पिछले ग्यारह साल में सिर्फ एक मौका ऐसा आया है जब शर्मिला ने अपनी मां शाखी देवी को देखा, जब उन्हें 2009 में दमे के अटैक के बाद कोमा में आने पर इम्फाल के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था…शर्मिला भी इसी अस्पताल में आत्महत्या की कोशिश के आरोप के चलते नज़रबंद हैं और यहीं उसे नाक से फीड कराया जा रहा है…शर्मिला के भाई इरोम संघजीत ने उस वाकये का ज़िक्र करते हुए बताया कि उसी दौरान शर्मिला को शक हुआ कि उसकी मां की मौत हो चुकी है…आधी रात को वो मां के वार्ड में जाकर उनके चेहरे के पास झुकीं तो मां चेतनावस्था मे थीं…मां ने शर्मिला को फौरन अपने कमरे में जाने का आदेश दिया…शर्मिला ने अपनी मां के आदेश का बिना कोई तर्क दिए पालन किया….मां ने उस वक्त कहा था…जब तुम अपने आंदोलन में सफल हो जाओ, उसी दिन मुझसे मिलने आना…मैं तुम्हारे घर लौट कर मेरे लिए खाना बनाने का इंतज़ार करूंगी…

अभी कुछ दिन पहले शर्मिला ने जस्ट पीस फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी आनंदी को भेजे संदेश में मां से मिलने की इच्छा जताई है…फाउंडेशन के सदस्यों और शर्मिला के भाई ने अब मणिपुर सरकार से शर्मिला के हाई सिक्योरिटी प्रिस्न वार्ड में जाकर मिलने के लिए इजाज़त मांगी है…शर्मिला के भाई भी पिछले दो-तीन साल से उससे मिलने से बच रहे हैं…शर्मिला के एक सहयोगी बबलू लोएटोन्गबाम का कहना है कि दुनिया से कट कर रह रही शर्मिला की ज़िंदगी में काफी कुछ हो रहा है….ऐसे में हम उससे मिलकर बहुत कुछ विचार करना चाहते हैं…अगर अनुमति मिली तो शर्मिला की मां को भी उससे मिलने के लिए तैयार होने को मनाने की कोशिश की जाएगी…

ये सब जानकर कोई भी अंदाज़ लगा सकता है कि शर्मिला इस वक्त मानसिक और भावनात्मक तौर पर कैसे अंतर्द्वन्द्व से गुज़र रही होंगी….ऐसे में यही प्रार्थना है कि शर्मिला की ज़िंदगी में जल्दी से जल्दी खुशियां और सुकून वापस आए और वो एक सामान्य इनसान की तरह दोबारा ज़िंदगी शुरू करें….