वैष्णोदेवी से लौटने के बाद…खुशदीप

पिछले दो दशक से आदत बनी हुई है, हर साल कम से कम एक बार वैष्णोदेवी तीर्थ पर जाने की…मेरे लिए इसका महत्व धार्मिक से ज़्यादा मन की शांति है…वहां हो आने के बाद पूरा साल अच्छा महसूस करता हूं…पहले तो कभी भी प्रोग्राम बन जाता था…लेकिन अब बच्चों की स्कूल की छुट्टी का भी ध्यान रखना पड़ता है…शायद यही वजह है कि गर्मियों में स्कूल की छुट्टियों के दौरान ही सबसे ज़्यादा श्रद्धालु वैष्णोदेवी दर्शन के लिए पहुंचते हैं…इसलिए इन दिनों में ट्रेन में जम्मू तक का रिज़र्वेशन चाहते हैं तो कम से कम डेढ़-दो महीने पहले ही ये काम कर लेना चाहिए…

दिल्ली के पास रहने का ये आराम है कि अब यहां से ट्रेन के स्लीपर जैसी सुविधा के साथ ही आरामदायक एसी-नॉन एसी बसें रोज़ाना चलती हैं…लालकिले के पास दिल्ली-कटरा डेली बस सर्विस चलाने वाले ऑपरेटर्स की भरमार है…यहां पांच सौ रूपये में सीट और सात सौ रुपये में स्लीपर मिल जाता है…एसी में स्लीपर के लिए हज़ार-बारह सौ खर्च करने पड़ सकते हैं…..बस सर्विस वाले ये ऑपरेटर भी ज़रूरत के हिसाब से रेट वसूल करते हैं…जैसे आपका आज ही प्रोग्राम बना तो ये आपसे सीट और स्लीपर के लिए ज़्यादा पैसे झटक सकते हैं….इसलिए यहां भी आप तीन-चार दिन पहले ही बुकिंग करा लें तो कम खर्च होगा…

ये बस शाम छह से आठ बजे तक दिल्ली से चलती हैं और अगले दिन सुबह नौ से ग्यारह बजे के बीच कटरा पहुंचा देती हैं…इसलिए अगर आपको ट्रेन से रिज़र्वेशन नहीं भी मिल पाया तो बस का ये अच्छा विकल्प मौजूद है…बस से जाने का एक और फायदा है….ट्रेन आपको सिर्फ जम्मू तक ही पहुंचाती है…वहां से कटरा जाने के लिए आपको या तो बस या टैक्सी की सेवाएं लेनी पड़ती हैं…लेकिन दिल्ली से चलने वाली बस आपको सीधे कटरा ले जाती है…

कटरा शहर

जिन्हें पहली बार वैष्णोदेवी की यात्रा पर जाना है, उनके लिए ध्यान रखने योग्य कुछ बातें हैं…माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड इस तीर्थ की सारी व्यवस्था संभालता है…लेकिन श्रद्धालुओं की हर साल बढ़ती तादाद को देखते हुए उसकी भी कुछ सीमाएं हैं…आपको कटरा पहुंचने के बाद सबसे पहले यात्रा के लिए पर्ची बनवा लेनी चाहिए…ये निशुल्क बनती है…इस पर्ची में लिखा जाता है कि आप के ग्रुप में कुल कितने यात्री हैं…इस पर्ची के आधार पर ही आपको ऊपर वैष्णोदेवी भवन पहुंचने के बाद दर्शन के लिए ग्रुप नंबर मिलेगा…ये पर्ची नहीं होगी तो आप दर्शन नहीं कर सकते…इसलिए कटरा में ये पर्ची लेना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है…

कटरा पहुंचने के बाद आपको बस के सफ़र की थकान उतारने और फ्रेश होने के लिए सबसे पहले कहीं टिकने की ज़रूरत होगी…कटरा में हर बजट के होटल मौजूद है…जैसी आपकी ज़ेब इजाज़त देती है, वैसी आपको सुविधा मिल जाएंगी…लेकिन मैं हमेशा बस अड्डे के पास श्राइन बोर्ड के ही निहारिका गेस्ट हाउस में ठहरना पसंद करता हूं…यहां आपको टू बेड वाला रुम पांच सौ में और एसी रूम सात सौ में मिल जाएगा…चार बेड वाला रुम सात सौ और एसी नौ सौ रुपये में मिल जाएगा…यहां एक अलग भवन में डोरमैटरी सुविधा भी है, जहां साठ रुपये में एक बेड मिल जाता है…इन सारी सुविधाओं में चेक आउट टाइम अगले दिन बारह बजे का होता है…लेकिन कम ही यात्री इतनी देर के लिए यहां रुकते हैं…ज़्यादा से ज़्यादा चार पांच घंटे ही यहां रुकने के बाद आपको पैदल यात्रा के लिए चढ़ाई (करीब तेरह किलोमीटर) शुरू करनी होती है…इसलिए यहां आप पूरे दिन की बुकिंग कराने की जगह शार्ट स्टे वाले ऑप्शन को चुनें….इससे आपको कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे…

निहारिका के बाहर लगा साइन बोर्ड

यहां भीड़ वाले दिनों में बुकिंग मिलना बहुत मुश्किल होता है….इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि श्राइन बोर्ड की वेबसाइट https://www.maavaishnodevi.org/new1/index.html पर जाकर पहले से ही ऑनलाइन बुकिंग करा लें…एक और बहुत ज़रूरी बात…निहारिका से ही ऊपर भवन पर ठहरने के लिए रुम और डॉरमेटरी की भी बुकिंग होती है…ऊपर श्रद्धालुओं की भीड़ ज़्यादा होने की वजह से ये बुकिंग कराना कभी मत भूलिएगा…खास तौर पर अगर महिलाएं और बच्चे भी आपके साथ हैं…ऊपर भी रुम सुविधाएं मौजूद हैं…मनोकामना भवन में डॉरमेटरी में 80 रुपये में एक बेड मिल जाता है…ठंड के दिनों में यहां मुफ्त कंबल की सुविधा भी होती है…इसके लिए आपको प्रति कंबल के हिसाब से सौ रुपये जमा कराने होते हैं…कंबल वापस करने पर आपको वो सौ रुपये वापस मिल जाते हैं….

ऊपर भवन पहुंचने के बाद आपको नीचे कटरा से ली हुई पर्ची पर ग्रुप नंबर लेना होता है…इसी से आपको पता चलेगा कि कितनी देर बाद दर्शन के लिए आपका नंबर आएगा…चढ़ाई पर जितना कम से कम सामान अपने साथ रखें उतना ही अच्छा रहता है…प्रशाद, भेंट भी ऊपर भवन पर श्राइन बोर्ड के स्टॉल से मिल जाती है…इसलिए वहीं से खरीदना सही रहता है…

पैदल यात्रा इसी दर्शनी दरवाज़े से शुरू होती है

दर्शन पर जाने से पहले अपना सारा कीमती सामान लॉकर में रखकर अपना ताला लगा देना चाहिए…ये लॉकर कटरा में निहारिका गेस्ट हाउस और ऊपर भवन पर भी मौजूद होते हैं…ये मैं इसलिए बता रहा हूं कि तीन चार साल पहले मैं दूसरों पर ज़रूरत से ज़्यादा विश्वास करने का खामियाजा भुगत चुका हूं…दरअसल डॉरमेटरी में हम दर्शन पर जाने से पहले वहां रुके एक नये शादीशुदा जोड़े को अपने सामान का ध्यान रखने का आग्रह कर गए थे…आए तो वो जो़ड़ा चंपत था…साथ ही हमारे कैमरे, मोबाइल और नकदी भी…इसलिए धार्मिक स्थल पर सारे लोग नेक इरादे से ही आते हैं, ये समझने की भूल कभी मत करिएगा…

इस बार वैष्णोदेवी यात्रा के दौरान एक चीज़ ने मुझे और चौंकाया…आप वहां कटरा से सांझी छत तक हेलीकॉप्टर सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं…एक तरफ की यात्रा के लिए प्रति यात्री सिर्फ सात सौ रुपये ही खर्च आएगा…जबकि वहीं वृद्ध और चढ़ाई न चढ़ सकने वाले लोगों के लिए पैदल रास्ते से आप अगर पालकी की सुविधा लेंगे तो उसके लिए आपको चार हज़ार रुपये प्रति यात्री खर्च करने पड़ेंगे…वैसे यहां पैदल रास्ते से जाने के लिए आपको घोड़े भी मिल जाएंगें….

एक और चीज़ मैंने यहां नोट की, श्रद्धालु जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से माता के जयकारे लगाने लगते हैं…लेकिन वैष्णोदेवी तीर्थ जिन त्रिकुटा की पहाड़ियों पर हैं, वो बहुत परानी हैं…इसलिए यहां कुछ जगह पत्थर गिरने का ख़तरा रहता है…इसलिए वहा साइन बोर्ड भी लगे रहते हैं कि वहां बैठ कर विश्राम न करें…ऐसे में यहां ज़ोर ज़ोर से जयकारे लगाना भी खतरे से खाली नहीं…फिजिक्स का स्टूडेंट रहा होने की वजह से जानता हूं कि रेसोनेंस की वजह से पत्थर गिरने का खतरा और बढ़ जाता है…फ्रीक्वेंसी को एक स्तर पर टालने की वजह से ही पुल से गुज़रते वक्त फौजी कभी कदमताल नहीं करते…अगर वहां भी कदमताल करें तो रेसोनेंस की वजह से ही पुल के गिरने का खतरा हो जाता है…ऊपर वैष्णोदेवी की गुफ़ा मे तो साइनबोर्ड लगे हैं कि मन में ही जयकारे लगाएं…लेकिन यात्रा के दौरान भी जहां पत्थर गिरने वाले संभावित जगह है, वहां भी लोगों को जागरूक करने के लिए श्राइन बोर्ड को साइन बोर्ड लगाने चाहिए…

रात में जगमगाता वैष्णोदेवी भवन

आपको इस पोस्ट में एक बात अखरेगी कि मैं यात्रा के बारे में लिख रहा हूं लेकिन वहां खिंची हुई कोई फोटो साथ नहीं लगा रहा…जो फोटो लगा रहा हूं वो नेट से ही ली हुई हैं…दरअसल जब यात्रा पर जाता हूं तो सारा ध्यान वहीं लगाता हूं, इसलिए कैमरा वगैरहा साथ ले जाने से बचता हूं…आप वैष्णोदेवी यात्रा के संबंध में और कोई जानकारी चाहते हैं तो टिप्पणी के ज़रिए पूछ सकते हैं…

Read at en.deshnama.com-

18+…An Adult joke…Power of Media…Khushdeep

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Pankaj
12 years ago

4 साल के छोटे बच्चे के लिए क्या ID PROOF होगा ?
स्कूल का ID PROOF भी नहीं है …

Pankaj
12 years ago

4 साल कॆ छोटे बच्चे के लिए क्या ID PROOF चाहिए होगा ?
स्कूल का ID Proof भी नहीं है ..

विवेक रस्तोगी

आज आ पाये इस पोस्ट पर जब माता के दर्शन को जाना है, एक छोटा सा सवाल जिसका जबाब कहीं नहीं मिला, अगर मैं केवल कटरा से सांझीछत तक का हेलिकॉप्टर सुविधा लेता हूँ तो क्या मुझे वीआईपी पर्ची दर्शन की मिलेगी ? आने में हम पैदल ही आयेंगे, अगर आपको इस बारे में पता हो तो जल्दी बताईयेगा ।

दिनेशराय द्विवेदी

यात्रा की सफलता के लिए बधाई। देशाटन मुझे भी बहुत प्रिय है। लेकिन कहाँ जाना हो पाता है। बेटा और बेटी अलग अलग अपने अपने ग्रुपों में वहाँ हो आए हैं। हम से पत्नी जिद ही नहीं करती। फिर भी देखते हैं कब मौका लगता है?

ASHOK BAJAJ
13 years ago

सुखद,सफल एवं आनंददायी धार्मिक यात्रा का सजीव चित्रण . कभी महाप्रभु वल्लभाचार्य की नगरी चंपारण में भी पधारें.

http://www.ashokbajaj.com/2011/06/blog-post_24.html

rashmi ravija
13 years ago

बहुत ही बढ़िया वर्णन …जय माता दी

डॉ टी एस दराल

आपकी श्रद्धा को नमन ।
अन्य श्रद्धालुओं के लिए बहुत उपयोगी रहेगी यह जानकारी ।

नीरज गोस्वामी

बहुत लाभपूर्ण जानकारी दी है आपने…धन्यवाद.

नीरज

Anil Pusadkar
13 years ago

jay mata di.taqdeer wale ho bhaiya,har saal darshan,yahan to bulawa hi nahi aaya hai abhi taq.

sonal
13 years ago

बढ़िया वर्णन ..जय माता दी

Unknown
13 years ago

अब इतनी जानकारी के बाद सबको सुविधा रहेगी।

jai baba banaras…

अजित गुप्ता का कोना

कई बार कार्यक्रम रद्द हो चुका है, भगवान समझ गए हैं कि इनकी भक्ति में अभी झोल है, तो अनावश्‍यक भीड़ क्‍यों बढ़ानी? देखो क‍ब जाना होता है?

निर्मला कपिला

बहुत उपयोगी जानकारी है। जय माता दी।

Sushil Bakliwal
13 years ago

इस मार्गदर्शक जानकारी के लिये आपको धन्यवाद सहित यात्रा की साल-दर-साल पुनरावृत्ति हेतु बधाईयाँ…
मेरी जानकारी में तो यह आया था कि हेलीकाप्टर तीन सप्ताह पहले यदि बुक न करा लिया जावे तो भीड जो वहाँ बारहों महिने करीब-करीब एक जैसी रहती है के कारण आप इस विकल्प के बारे में नहीं सोच सकते ।

संजय कुमार चौरसिया

मार्गदर्शक पोस्ट, ……जय माता दी

राजीव तनेजा

बढ़िया जानकारी….
जय माता दी

Satish Saxena
13 years ago

बहुत सालों से नहीं जा पाया हूँ आपकी पोस्ट पढ़कर दुबारा मन हो रहा है की एक बार शीघ्र जाऊं !
हार्दिक शुभकामनायें !

ब्लॉ.ललित शर्मा

अच्छी रही आपकी यात्रा
माता रानी की जय ।

निशांत मिश्र - Nishant Mishra

बहुत अच्छी जानकारी. हम इस साल मार्च में गए थे लेकिन बारिश और पत्थर गिरने की घटनाओं ने हमारी यात्रा मुश्किल बना दी. वह तो अच्छा हुआ कि हमारा प्रोग्राम कुल तीन दिंनों का था इसलिए तीसरे दिन हम लोग भवन तक जा सके. फिर भी हमें राह में एक दुर्घटना देखने को मिली जिसमें दो पिठ्ठू अपनी जान गँवा दिए.
अभी कटरा में काफी सुधार की गुंजाइश है. वहां बारिश होने पर बहुत गन्दगी हो जाती है. श्राइन बोर्ड को भवन तक जानेवाले मार्ग को पूरी तरह ढंकने के लिए भी प्रयास करने चाहिए.

वाणी गीत
13 years ago

पोस्ट पढ़ते हुए पतिदेव से शिकायत करने का मन बन गया था की हर साल वहां जाने के बाद भी कोई तस्वीर क्यों नहीं है …आगे पढ़ा तो समझ आया यही भी तस्वीर खुद की नहीं है …
रोचक वृतांत और जानकारी !

Archana Chaoji
13 years ago

शुक्रिया…

Rohit Singh
13 years ago

welcome back……जय माता दी…यहां तो जचकारा लगा ही सकते हैं…

प्रवीण पाण्डेय

मार्गदर्शक पोस्ट, अब इतनी जानकारी के बाद सबको सुविधा रहेगी।

Rahul Singh
13 years ago

व्‍यवस्थित, उपयोगी और सिलसिलेवार.

डा० अमर कुमार

.आनन्दम !
मेरे साथ तो कुछ ऎसा हुआ कि जब भी माँ वैष्णों जाने की सोची कोई न कोई विघ्न आ ही गया ।
अब सँकल्पित हूँ, कि अगले वर्ष अवश्य जाऊँगा… इस आलेख से बहुत उपयोगी मार्गदर्शन मिला… ज़रूरत पड़ने पर सम्पर्क करूँगा.. आख़िर तुम किस मर्ज़ की दवा हो !

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