मुल्ला उमर अगर अब भी ज़िंदा है तो उसके लिए मौका अच्छा है, कंधार हाईजैक की नैतिक ज़िम्मेदारी लेकर भारत में आकर सरेंडर कर दे…फिर दस साल तक तो बाल भी बांका न होने की गारंटी है…आखिर मर्सी पेटीशन सिक्वेंस में लगेगी…और ये सिक्वेंस है कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेती…हमरी न मानो तो अफज़लवा से पूछो…
खैर छोड़िए, लादेन और मुल्ला उमर को…आते हैं दो साल 6 महीने से सरकारी मेहमान बने हुए अजमल कसाब पर…अगर मुंबई की आर्थर रोड में जेल में कसाब को कबाब मिलने की ख़बर सही है तो पहले से कितना मोटा हुआ कह नहीं सकता…सेहत तो पहले भी भरपूर थी…
महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि कसाब की सिक्योरिटी पर रोज़ दस लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं…ऊपर से इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस ने ग्यारह करोड़ का बिल और थमा दिया…आईटीबीपी का कहना है कि उसके डेढ़ सौ जवान कसाब की सिक्योरिटी के काम में लगे हुए हैं…अब ग्यारह करोड़ का फटका महाराष्ट्र सरकार के हाथ में आया तो उसका हिलना लाज़मी था…एक ही झटके में ऐलान कर दिया…नहीं चाहिए हमें आईटीबीपी…कसाब की सिक्योरिटी महाराष्ट्र पुलिस ही कर लेगी…महाराष्ट्र के गृह मंत्री आर आर पाटिल ने नाराज़गी जताते हुए ये और कह दिया कि कसाब को संभाल कर रखने की ज़िम्मेदारी पूरे देश की है अकेली महाराष्ट्र सरकार की नहीं…
आर आर पाटिल भूले नहीं हैं कि मुंबई हमले के बाद किस तरह उन्हें डिप्टी सीएम और गृह मंत्री की गद्दी छोड़नी पड़ी थी…पाटिल एनसीपी के हैं इसलिए केंद्र पर वार करने में उन्हें कोई हिचक महसूस नहीं होती…हां, कांग्रेस के होते तो ज़रूर हाईकमान के डंडे का डर सताता…पाटिल साहब ने एक और गजब की बात कही है…आईटीबीपी ने जो ग्यारह करोड़ का बिल भेजा है, उसमें केंद्र सरकार को कुछ कंसेशन करना चाहिए…क्या बात है साहब…हर तरफ बाय वन, गेट वन फ्री का ज़माना है, डिस्काउंट का बोलबाला है तो कसाब की सिक्योरिटी के बिल में क्यों नहीं मिलेगा कंसेशन…यही दुआ कर रहा हूं कि कल को पाटिल साहब नारा लगाना ही न शुरू कर दें…वी वान्ट कंसेशन फॉर कसाब….