लो, पप्पू सीख गया राजनीति…खुशदीप

पप्पू का अगले दिन राजनीति शास्त्र का पेपर था…अपने पापा से बोला, मुझे राजनीति सिखाओ…

अब पूरे साल पप्पू पढ़ा नहीं…पापा परेशान…ऐन टाइम पर इसे कैसे सिखाऊं…तब भी पापा ने कोशिश की…सोचा घर के सदस्यों के ज़रिए ही इसे राजनीति समझाई जाए…

बताना शुरू किया…

पप्पू, किसी देश की पहचान उसकी अर्थव्यवस्था से होती है…ये समझ लो मैं कमा कर लाता हूं तो मैं इस घर की अर्थव्यवस्था हूं…अब किसी देश को चलाने के लिए अर्थव्यवस्था से मिला पैसा सरकार संभालती है…ठीक वैसे ही जैसे मैं जो पैसा लाता हूं वो मम्मी संभालती है…तो मम्मी कौन हुई...

पप्पू झट से बोला…सरकार….

पापा…शाबाश…अब घर की जो मेड (नौकरानी) है उसे हम मम्मी के हाथों तनख्वाह देते हैं, ठीक वैसे ही जैसे सरकार अपने किसी कर्मचारी को देती है…इसलिए मेड कर्मचारी हुई…

पप्पू को इस तरह राजनीति सीखते मज़ा आने लगा…सवाल पूछा…फिर मेरा छोटा भाई क्या हुआ…

पापा बोले….हूं…समझ लो, वो देश का भविष्य है…

अब तक घर में रहने वाले सभी सदस्यों के बारे में पापा बता चुके थे, सिवाय पप्पू के…

पप्पू ने फिर पूछा…पापा, मैं रह गया, मैं कौन हुआ…

पापा ने जवाब दिया…तुम सब कुछ देख रहे हो इसलिए तुम जनता हुए…

पापा से ये पाठ पढ़कर पप्पू बड़ा खुश हुआ…सोचने लगा चलो अब सो जाता हूं…पप्पू का छोटा भाई भी उसके साथ ही कमरे में सो रहा था…कुछ घंटे बाद पप्पू की अचानक नींद खुली तो उसने देखा लाइट नहीं आ रही थी…अंधेरे में छोटा भाई साथ ही सोते दिखा…पप्पू टार्च लेने के लिए पापा-मम्मी के कमरे में गया…वहां, मम्मी तो गहरी नींद सो रही थी लेकिन पापा का कहीं अता-पता नहीं था…पप्पू टार्च लेकर अपने कमरे की ओर लौटने लगा तो उसे किचन के साथ मेड के रूम से खुसर-पुसर की आवाज़ सुनाई दी…पप्पू ने ध्यान लगाकर सुना तो अंदर से मेड के साथ पापा की भी आवाज़ आ रही थी…थोड़ी देर पप्पू वहीं खड़ा रहा और फिर अपने कमरे में आकर सो गया…

पप्पू सुबह उठा तो देखा पापा-मम्मी डाइनिंग टेबल पर बैठे चाय पी रहे थे…पप्पू पापा को देखकर बोला…पापा, अब मैं राजनीति अच्छी तरह सीख गया हूं…

पापा हैरान…पूरा साल नहीं पढ़ा और पांच मिनट बताने से ही ये सब सीख गया…फिर भी पप्पू को टेस्ट करने के लिए पूछा…अच्छा बताओ, क्या सीखा…


पप्पू का जवाब था…

देश का भविष्य अंधकार में था…अर्थव्यवस्था कर्मचारी का शोषण करती रही…सरकार कुंभकर्ण की नींद सोई रही…और जनता चुपचाप खड़ी सब देखती रही, वो बेचारी और कर भी क्या सकती थी…



(प्रताप सिंह फौजदार के किस्से पर आधारित)

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बेनामी
बेनामी
14 years ago

और कर भी क्या सकती है जनता!?

शिवम् मिश्रा

जनता और कर भी क्या सकती है … खुशदीप भाई … बस ऐसे ही लतीफो पर हंस लीजिये … सच तो इन में भी है … और अपने दिल में भी है !

जय हिंद !

बेनामी
बेनामी
14 years ago

मजेदार व्यंग्य ….

किलर झपाटा

आप बड़े वो हैं खुश्शू भैया। कैसे सैट कर लेतें हैं ये सब आप ?
पप्पू का व्यंग्य अद्भुत था। नमस्कार।

Alokita Gupta
14 years ago

bhankar vyang hai

A S BINDRA
14 years ago

An interesting lesson on politiks.

बेनामी
बेनामी
14 years ago

अरे वाह!
यह तो खुशशबरी के साथ-साथ देश की खुशनसीबी भी है!

नीरज गोस्वामी

gazab…

डॉ टी एस दराल

हा हा हा ! यह प्रताप सिंह फौजदार भी ना –जैसा दिखता है , वैसा है नहीं ।

मुकेश कुमार सिन्हा

he he he ………..:D
ye vyangya kabhi dekha tha sayad Sony pe…par aapka parosane ka andaaj…….subhan allah:P

दिनेशराय द्विवेदी

व्यंग्य अच्छा है।

सुज्ञ
14 years ago

तथ्यपरक व्यंग्य!! वाकई राजनिति का शानदार अर्थघटन

राज भाटिय़ा

मस्त कर दित्ता जी….

एस एम् मासूम

वाह खुशदीप भाई मज़ा आ गया… सत्य भी कुछ ऐसा ही है…..सीख लेना चाहिए
एक्सक्यूज़ मी, क्या मैं भी मियां मिट्ठू बन सकता हूँ ?

Satish Saxena
14 years ago

और खुशदीप सहगल ऐसी बातें लिख लिख कर देश का माहौल खराब कर रहे हैं …
🙂

anshumala
14 years ago

"सब विरोधियो की चाल है इसका बदला लिया जायेगा"

जनता को पीट के |

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

कटु सत्य है..

सञ्जय झा
14 years ago

yun to ye aap sahit dusre jaghon pe padha hoon….
lekin…..iski rochakta itni jada frequency liye
hue hai….ke thahake barbas hi nikal aate hain …….

'magambo' khush hua……

pranam.

अजित गुप्ता का कोना

इसमें विपक्ष की चाल है।

संजय कुमार चौरसिया

bahut majedaar , kintu aaj ki raajneeti ka 100% sach

प्रवीण पाण्डेय

जय हो, कितने रोचक ढंग से सच्चाई बयाँ कर दी।

ZEAL
14 years ago

badhiya vyang !

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