भारत भलमनसाहत दिखाते हुए जब भी पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, पाकिस्तान किसी न किसी बहाने कश्मीर को बीच में ले आता है…63 साल से यही कहानी चली आ रही है…दोनों देशों के बीच 176 बार बातचीत हो चुकी है…लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात…
लेकिन जिस मुद्दे को बड़े बड़े तीसमारखां नहीं सुलझा सके, उसे एक समझदार राजनयिक ने कैसे चुटकियों में सुलझा दिया…आप खुद ही पढ़िए…
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक चल रही थी…भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों को भी बैठक को संबोधित करना था…पहले भारतीय प्रतिनिधि ने बोलना शुरू किया…
मैं अपने देश का नज़रिया रखने से पहले ऋषि कश्यप का ज़िक्र करना चाहूंगा…वही ऋषि कश्यप जिनके नाम पर कश्मीर का नाम पड़ा…ऋषि कश्यप ने एक चट्टान पर तीर मारा तो वहां से निर्मल जल का झरना फूट पड़ा…दूध की तरह जल देखकर ऋषि महाराज का नहाने का मन कर आया….उन्होंने चट्टान पर कपड़े उतार कर रखे और झरने में कूद गए…स्नान से अच्छी तरह तृप्त होने के बाद ऋषि बाहर आए, तो ये क्या…उनके कपड़े ही गायब…दरअसल एक पाकिस्तानी ने उनके कपड़े चुरा लिए थे…
भारतीय प्रतिनिधि के मुंह से जैसे ही पाकिस्तान का नाम सुना, आदत के मुताबिक पाकिस्तानी प्रतिनिधि टोकने के लिए झट अपनी सीट से खड़ा हो गया और फुंकारते हुए बोला….
ये क्या बेहूदा झूठे आरोप लगा रहे हैं आप…वहां पाकिस्तानी कहां से आ गए…
भारतीय प्रतिनिधि ने मुस्कुराते हुए कहा….
यही तो मैं अपने काबिल दोस्त को समझाना चाहता हूं…पाकिस्तान कश्मीर में कहां से आ गया…लेकिन न तो ये समझने को तैयार हैं और न ही पिछले छह दशक से इनकी हुकूमत…
भारतीय प्रतिनिधि की बात सुनकर संयुक्त राष्ट्र के बाकी सभी सदस्य मु्स्कुराने लगे और पाकिस्तानी प्रतिनिधि को मायूस होकर अपनी सीट पर बैठना पड़ा…
हो गया कश्मीर का हल…लेकिन ये क्या इतना अच्छा सपना देखते हुए मेरी नींद क्यों खुल गई….
चलिए जाने दीजिए फिलहाल तो कश्मीर पर मेरा पसंदीदा गीत सुनिए….
स्लॉग गीत
कितनी खूबसूरत ये तस्वीर है,
ये कश्मीर है, ये कश्मीर है….
फिल्म….बेमिसाल 1982