रोहिंग्या पर फ़र्जी ट्वीट्स की खुली पोल…खुशदीप

रोहिंग्या को लेकर वैसे तो
पूरी दुनिया भर में बात हो रही है लेकिन भारत में इनके बारे में ज्यादा ही चर्चा है. रोहिंग्या म्यामांर के राखिन प्रांत में रहने वाले वो लोग हैं जिन्हें
म्यांमार ने ही नागरिकता के अधिकार से वंचित रखा हुआ है. रोहिंग्या में नाममात्र
के हिंदुओं को छोड़ बाकी सभी मुसलमान हैं. करीब दस लाख रोहिंग्या म्यामांर में
रहते हैं तो करीब इतने ही रोहिंग्या पलायन के बाद दूसरे देशों में रह रहे हैं.
सबसे अधिक 5-6 लाख रोहिंग्या शरणार्थी के तौर पर बांग्लादेश में शिविरों में रह
रहे हैं. 


40,000 रोहिंग्या भारत में भी है. ये बीते 5-6 साल में भारत आए हैं. ये
रोहिंग्या गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें भारत से डिपोर्ट कर म्यांमार ना भेजा जाए
क्योंकि म्यांमार में उन्हें जान का खतरा है. भारत सरकार का रोहिंग्या को लेकर
कड़ा रुख है. दो रोहिंग्या लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि
उन्हें शरणार्थी के रूप में भारत में ही रहने दिया जाए. वहीं सरकार की ओर से सुप्रीम
कोर्ट मे हलफनामा दाखिल कर कहा है कि रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं और उनका देश में
रहना राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं है.
ये भी कहा जा रहा है कि
रोहिंग्या के जेहादी आतंकियों से करीबी संबंध हैं. अभी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट
का फैसला आना बाकी है.

संयुक्त राष्ट्र
मानवाधिकार प्रमुख जाएद राद अल हुसैन रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर भारत सरकार के
रुख से सहमत नहीं है. उनका कहना है कि वे रोहिंग्या को भारत से निकालने के लिए उठाए जा रहे
कदमों की निंदा करते हैं, वो भी ऐसे वक्त में जब उन्हें अपने देश में भीषण हिंसा का
सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच म्यामांर फौज की ओर से ऐसा दावा भी सामने आया कि
रखाइन में 28 हिंदुओं की सामूहिक कब्र मिली है जिनकी हत्या
ARSA (अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी) के
अतिवादियों ने की.
म्यांमार स्टेट
काउंसलर इंफॉर्मेशन ऑफिस की ओर से ये भी दावा किया गया कि 25 अगस्त को रखाइन
प्रांत में रोहिंग्या ने करीब 100 हिंदुओं का अपहरण कर लिया था, जिनमें से 92 को
मार दिया गया. जो 8 औरतें बचीं उनका धर्मांतरण कर मुस्लिम बना दिया गया और
बांग्लादेश शरणार्थी शिविर में ले जाया गया.

म्यांमार का रखाइन प्रांत
बीते काफी समय से घरेलू हिंसा की चपेट में है. जहां रोहिंग्याओं का आरोप है कि उन्हें
म्यांमार की फौज के साथ बहुसंख्यक बौद्धों के अतिवादी वर्ग के जुल्मों का सामना
करना पड़ता है. रोहिंग्याओं का ये भी कहना है कि म्यांमार की फौज उनके
जातीय सफायेमें लगी है. वहीं म्यांमार
की फौज
ARSA के तार जिहादी नेटवर्क से जुड़े बता कर रोहिंग्याओं के सारे आरोपों को खारिज
करती है. दावे-प्रतिदावे हर तरफ से आ रहे हैं. म्यांमार से आ रहे दावों की सच्चाई
का यहां बैठ कर पता लगाना मुश्किल है.

लेकिन हां यहां भारत में
सोशल मीडिया पर कुछ तत्वों की ओर से जरूर फर्जी तस्वीरों के जरिए कुछ का कुछ बता
कर पेश करने की कोशिश की जा रही है. फैक्ट फाइंड करने वाली कुछ वेबसाइट्स जैसे कि
आल्ट न्यूज, बूम न्यूज ने ऐसे तत्वों के झूठ का पर्दाफाश किया है.      

बीते दो-तीन दिन मे कुछ
बच्चों की तस्वीरों के जरिए रोहिंग्या के संबंध में फर्जी कहानियां पेश करने की
कोशिश की गईं. रविंद्र सांगवान
का @Shanknaad से ट्विटर हैंडल है. इसे रेल मंत्री पीयूष गोयल भी फॉलो
करते हैं. इस ट्विटर हैंडल पर एक छोटी बच्ची का फोटो अपलोड किया गया जिसके हाथ में
एक नवजात है. असल में ये फोटो बीबीसी न्यूज़ वीडियो का एक स्क्रीनशॉट है. सांगवान
ने फोटो के साथ ट्वीट किया-

उसकी मासूमियत को देखिए!!

रोहिंग्या लड़की, 14 साल की
उम्र में दो बच्चे हैं, इसका पति 56 साल का है. उसकी 6 पत्नियां और 18 बच्चे हैं.

सांगवान ने जो लड़की के साथ
कहानी लिखी है वो महज उनके दिमाग की उपज है. ये स्क्रीनशॉट बीबीसी न्यूज़वीडियो

‘In the jungle with Rohingya refugees feeling Myanmar ‘ से लिया गया है जो यू ट्यूब पर अपलोड किया गया था. वीडियो में
बीबीसी संवाददाता संजॉय मजूमदार म्यांमार से बांग्लादेश पलायन कर रहे रोहिंग्या के
साथ ट्रैक कर रहे हैं. इस लड़की को वीडियो में 2 मिनट 6 सेकेंड पर देखा जा सकता है. 



हद तो ये है कि फिर ऐसे फर्जी ट्वीट्स को रीट्वीट भी धड़ल्ले से किया जाता है. 

Will “Human Rights Wala” Look at her innocence!!#Rohingya girl, just 14 has 2 kids. 1 of the six wife’s of her 56yr old husband
Humanity? pic.twitter.com/B4cB3UZHai

— Raman Malik BJP (@ramanmalik) September 24, 2017


   




सांगवान जैसा ही कारनामा
पेशे से वकील प्रशांत उमराव पटेल नाम के वकील ने भी किया. इन जनाब ने अपने ट्वीटर
हैंडल पर एक बच्ची का फोटो शेयर किया. साथ ही लिखा

ये 9-12 साल की प्रेग्नेंट
लड़की म्यांमार के राखिन प्रांत के शरणार्थी शिविर से है. ये
संयुक्त राष्ट्र क्लीनिक
में है और जल्द ही शिशु को जन्म देने वाली है.



अब ये जान लीजिए कि इस
तस्वीर और इस लड़की की सच्चाई क्या है.

इस लड़की से जुड़ी नवंबर
2016 की एक फेसबुक पोस्ट है. जिसमें इस लड़की की कई फोटो हैं.साथ ही पुर्तगाली में
लिखा हुआ है कि सैंडी ब्रांडो (12 वर्षीय) गैराफो डो नोर्टे, पारा
(ब्राजील)  की रहने वाली है और बीलेम के बरोस बारेटो अस्पताल में भर्ती है. गैराफाओ
डो नोर्टे जहां सैंडी रहती है, उस जगह के फेसबुक पेज पर सैंडी की मजबूती और इच्छाशक्ति
के बारे में लिखा गया है और मदद की अपील की गई है. साथ ही उसकी लिवर की बीमारी जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया गया है. फेसबुक पर अपलोड हुए वीडियो में 
सैंडी अपने अस्पताल के बैड से बात कर रही दिखती है बीमारी की वजह
से सैंडी के फूले हुए पेट को भी देखा जा सकता है.
 सैंडी पुर्तगाली में बात करते हुए
ब्राजील के एंटरटेनर रोड्रिगो फारो से मिलने की इच्छा भी जाहिर करती है. म्यामांर
या रोहिंग्या से उसका दूर दूर का कोई नाता नजर नहीं आता. हैरानी है कि ऐसी बच्ची
के बारे में भी कोई फर्जी कहानी गढ़ने की सोच भी कैसे सकता है और उसे प्रेग्नेंट
रोहिंग्या लड़की बता सकता है.



पटेल की फर्जी कहानी पकड़ी
गई तो झट से ट्वीट को डिलीट कर दिया. लेकिन ऐसा करते हुए अपने किए के लिए कोई
माफ़ी नहीं मांगी. पटेल की ओर से पहले भी इस तरह के कई कारनामे किए जा चुके हैं.

The Indian Blogger Awards 2017

कौन क्या है, क्या नहीं, इस
पर बहस से बड़ा सवाल सच का है. सोशल मीडिया पर ऐसा कुछ भी देख कर कोई राय
बनाने से पहले सच की परख करना भी जरूरी है. पहले कहा जाता था कानों सुनी बात गलत भी हो
सकती है. सोशल मीडिया के इस दौर में
आंखों देखीकी भी स्क्रीनिंग करना ज़रूरी है. कुछ समय पहले आने वाला एक
विज्ञापन याद आ गया…’दावों पर ना जाएं, अपनी अक्ल भी लड़ाएं.’ 
 


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