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नया रोज़गार ढूंढ लिया है मैंने |
वन डे वर्ल्ड चैंपियन टीम इंडिया आस्ट्रेलिया में ट्राई सीरीज़ से करीब करीब बाहर हो चुकी है…श्रीलंका से मैच चल रहा है, अभी तक इसमें भी धोनी एंड कंपनी का रवैया वही ढाक के तीन पात वाला है..यानि दिसंबर में डाउन अंडर जाने के बाद से जिस पैट्रन से हमारी टीम खेल रही है, उससे एक इंच भी इधर-उधर नहीं…आखिर रेपुटेशन और कंसिस्टेन्सी भी कोई चीज़ होती है…
इस सीरीज़ के बाद बीसीसीआई को फ़ैसला लेना चाहिए कि सिर्फ देश में ही सीरीज़ खेला करेगा…विदेश दौरा करेगा भी तो ज़िम्बाबवे, बांग्लादेश जैसे देशों का…ऐसे में रिकार्ड हमेशा चोखा ही रहेगा…
धोनी को कभी ब्रेक नहीं देना है…धोनी खुद ही स्लो रेट के चलते हर सीरीज़ में दो-तीन ब्रेक (सस्पेंशन) तो ले ही लेते हैं…
सचिन तेंदुलकर के महाशतक में देरी से उनके प्रशंसक निराश न हो..सचिन का पुत्र अर्जुन भी जल्दी टीम इंडिया में होगा, दोनों मिलकर तो महाशतक बना ही देंगे…
अब टीम इंडिया को ज़रूरत है तो बस इस कोच की…
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अब तो पिता और पुत्र दोनों मिलकर ही शतक पूरा करेंगे। हा हा हाहा। अजी खेल हैं, हम भारतीय ऐसे ही लड़ते-झगड़ते खेलते हैं।
द्विवेदी जी से सहमत।
असली बात द्विवेदी सर ने कह दी । जय हो
ऐसे कोच तो आजकल स्कूल्स में भी नहीं है !
यही कोच चाहिए ..
बड़ा दुःख दीना ….
मैं तो धन्यवाद करना चाहता हूँ धोनी, सचिन, सहबाग और टीम इंडिया के अन्य खिलाड़ियों का यदि वे इस सिरीज में इतना अच्छा न खेलते तो भारतीय हॉकी की और किसी का ध्यान ही नहीं जाता।
चलिए आखिर बन ही गए !
कभी ऐसा टोटका भी हो जाये कि साम्प्रदायिक राजनीति और भ्रष्टाचार, छुआ-छूत, शोषण सब खत्म हो जायें. बधाई हो.
वर्ल्ड कप की तरह मेरा टोटका फिर काम कर गया…फीनिक्स की तरह टीम राख से उठ कर टीम इंडिया ने कमाल कर दिखाया…कोहली के घर होली बनती है…
जय हिंद…
अब जाने भी दीजिये… हॉकी की बात करते हैं अब.. :)(प्रतीक माहेश्वरी से साभार )
देखते हैं..
रेप्युटेशन तो गई —
अब ४० ओवरों में ३२१ कैसे बनायेंगे ?
अब जाने भी दीजिये… हॉकी की बात करते हैं अब.. 🙂