रेडियो तेहरान की हिंदी सेवा ने सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से एक बेहतरीन श्रंखला चलाई…इसी के तहत मेरा इंटरव्यू भी लिया…इसमें मैंने यह बताने की कोशिश की-सांप्रदायिकता हो या दूसरे कोई फसाद, उनकी मार सबसे ज्यादा गरीब तबको को ही सहनी पड़ती है, यह ऊंच-नीच का फर्क हमारे समाज में सदियों से चला आ रहा है, जिसे सही शिक्षा कि रोशनी से ही दूर किया जा सकता है…यह भी बताया कि मेरा हिन्दू धर्म सही मायने में मुझे क्या सिखाता है…
आप भी सुनिए यह इंटरव्यू….
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हार्दिक बधाई।
बहुत-बहुत बधाई
Congrats !
बहुत ही लाजवाब इंटरव्यू|आपको बहुत-बहुत बधाई|
सहगल खुशदीप भाई!
आपको बहुत-बहुत बधाई!
बधाई जी! बधाई!
बहुत बहुत बधाई खुशदीप भाई.
कलम स्वस्थ विचारों की ओढ़नी ओढ़ती रहे … बिखरे दिलों को जोड़ती रहे … इस तरह की जंग जारी रहे … वो सुबह जरूर आएगी । जय हिंद
– सी पी बुद्धिराजा
बहुत बहुत बधाई हो आपको।
मेरे यहां ब्राडबैण्ड परेशान कर रहा है… शायद कल तक सुन पाऊं..
बहुत ही सुंदर बात कही आप ने,चाहे कोई फसाद हो या बाढ़ ,मरता बिचारा ग़रीब ही है.यही तो हे आज का सच, धन्यवाद
bahut badhia vichaar hai—
jai baba banaras…
मुझे विश्वास है कि एक बड़ी ज्वलंत समस्या पर "बड़ी खबर" के प्रोडयूसर का इंटरव्यू लेना रेडियो तेहरान के लिए निश्चित ही महत्वपूर्ण रहा होगा !
शुभकामनायें !
सही कहा खुशदीश भाई।
आभार
महत्त्वपूर्ण उपलब्धि ।
मुबारक हो ।
अच्छे विचार प्रस्तुत किये हैं आपने ।
बहुत महत्वपूर्ण साक्षात्कार है। इसे पठनीय आलेख बना कर आप हमारीवाणी पत्रिका को दीजिए।
Bahut Bahut Badhai
हार्दिक बधाई।
बधाई … बहुत ही लाजवाब इंटरव्यू है खुश्दीप भाई … बहुत सफाई से अपनी बात रखी है आपने …
Bahut Bahut Badhayi.
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
true visit my blog plz
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वाह खुशदीप भाई आप ने बेहतरीन इंटरव्यू दिया है. हमारा समाज दो हिस्से मैं बाँट गया है . अमीर और ग़रीब. चाहे कोई फसाद हो या बाढ़ ,मरता बिचारा ग़रीब ही है.
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बधाई!
अदालत जा रहा हूँ। लौट कर पढ़ता हूँ।