राहुल-सोनिया! आप क्यों रोए-रुलाए…खुशदीप

जो हमने दास्तां
अपनी सुनाई, तो आप क्यूं रोए
?
गाना पुराना
है…लेकिन जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में इतवार को जो कुछ हुआ, उस पर सटीक
बैठता है…राहुल जयपुर में जज़्बाती होकर बोले…कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद राहुल
के भाषण के दौरान और बाद में भावनाओं का उफ़ान आ गया…सोनिया की आंखें तो छलछलाईं
सो छलछलाईं, मौजूद कांग्रेसी नेता भी आंसुओं की झड़ी को नहीं रोक सके…
जनार्दन
द्विवेदी माइक पर ही फूट-फूट कर रो पड़े….
देश ने राहुल के
भावुक होकर मां सोनिया के गले मिलते देखा…राहुल जो भी बोले उनके मुताबिक सीधे
दिल से बोले…राहुल ने कहा कि सुबह 4 बजे उठकर उन्होंने तय किया था कि क्या बोलना
है…राहुल ने ये भी कहा कि उनकी मां शनिवार रात को उनके पास आईं और रोने
लगी…राहुल के अनुसार सोनिया इसलिए रोईं क्योंकि वो जानती हैं सत्ता ज़हर
है…राहुल ने पिता के बलिदान को भी याद किया, दादी के बलिदान को भी…
ज़ाहिर है, प्रधानमंत्री
की कुर्सी के लिए तैयार होते राहुल में कांग्रेसियों को राजीव गांधी का अक्स दिखा,
इसलिए सभी भावनाओं में बहते दिखे…कांग्रेस के चिंतन शिविर में उसी सच पर औपचारिक
मुहर लगी, जो पहले से ही सार्वभौमिक सच था…राहुल कांग्रेस में अब घोषित तौर पर
नंबर दो के नेता हो गए हैं…राहुल उपाध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में ऐसा कौन सा
मंत्र फूंकेंगे कि 2014 लोकसभा चुनाव में भी यूपीए की कामयाबी की हैट्रिक का
रास्ता साफ़ हो जाए
? इस सवाल का सीधा जवाब शायद कांग्रेसियों के पास भी नहीं है…
लेकिन मैं ये
पोस्ट इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए नहीं लिख रहा…इस सवाल का जवाब तो 15 महीने
बाद सामने आ ही जाएगा…मेरे लिए आश्चर्यजनक था जयपुर में नेहरू-गांधी परिवार की
एक परंपरा को टूटते देखना…इसके लिए आपको मैं मार्च 1980 में ले चलता हूं…संजय
गांधी की दिल्ली में विमान दुर्घटना में मौत हुई थी…शांतिवन में संजय के अंतिम
संस्कार के वक्त राजीव गांधी ने मुखाग्नि दी…उस वक्त गांधी-परिवार से जुड़ी एक वृद्ध
महिला ने ज़ोर-ज़ोर से सुबकना शुरू कर दिया…ये देख वहीं पास बैठीं इंदिरा गांधी ने
आंखों से काला चश्मा उतारा और उस महिला पर तीखी नज़र डाली…इंदिरा गांधी का संदेश
साफ़ था…हम नेहरू-गांधी लोगों के बीच में नहीं रोते…ज़ाहिर है वो महिला फौरन
चुप हो गई…

शक्ति-स्थल
इंदिरा के
समाधि-स्थल पर मौजूद चट्टान भी प्रतीक है, उनकी मज़बूती का….इंदिरा ने निजी तौर
पर भी कोई दुख सामने आया तो सार्वजनिक तौर पर अपनी भावनाओं पर हमेशा क़ाबू
रखा…लेकिन जयपुर में 2014 के चुनावी रण के लिए तैयार होती कांग्रेस के सेनापति
राहुल के भाषण में आंसुओं का खूब ज़िक्र किया गया…मां सोनिया के आंसुओं का हवाला
दिया गया…दादी इंदिरा के बलिदान पर पिता राजीव की आंखों में पहली बार आंसू देखने
का ज़िक्र किया गया…मैं नहीं जानता कि इस स्क्रिप्ट का राइटर कौन था….राहुल
खुद या पर्दे के पीछे का कोई और किरदार…लेकिन ये स्क्रिप्ट वैसी ही थी जैसे कि कभी
हिंदी सिनेमा मेलोड्रामा में दर्शकों को जज्बाती बनाने के लिए लिखी जाती थीं…
इंदिरा गांधी के
संदेश
‘’We Gandhi-Nehrus never cry in public’’ से लेकर राहुल गांधी के बयान “My mother came to
my room and cried… because she understands that power is poison,”
 
तक आते-आते देश
में काफ़ी कुछ बदल चुका है…कांग्रेस भी काफ़ी बदल चुकी है…तो क्या भावनाओं के
सार्वजनिक प्रदर्शन को लेकर गांधी-नेहरू परिवार का नज़रिया भी बदल चुका है…या पर्दे
के पीछे से
सलीम-जावेदनुमा किसी स्क्रिप्ट राइटर ने राहुल के मुंह
में ये शब्द डाले…तो क्या अगले चुनाव में कांग्रेस का नारा होगा...कांग्रेस का हाथ,
जज़्बातों के साथ…
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ताऊ रामपुरिया

स्क्रीप्ट राईटर के बिना ऐसा धांसु मेलोड्रामा नामुमकिन था.:)

रामराम.

Rajesh Kumari
12 years ago

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है

shikha varshney
12 years ago

देखा नहीं था ?ओबामा भी रोए थे, हम क्या किसी से कम हैं.

अजित गुप्ता का कोना

हमारे शहर की तो कहावत है कि रोना-धोना पुरोहित जी के घर। जहर पीना पड रहा है इसलिए रोना था या डर था। समझ नहीं आया माजरा।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

त्याग दो, त्याग न करो. गरल पी रहे हैं. हम भी पी लें गर एक लालबत्ती मिल जाये तो.

sonal
12 years ago

धन्य है यह परिवार …जो सब जानकर भी नीलकंठ बन रहा है 🙂

virendra sharma
12 years ago

सुन्दर मनोहर आभार .

दिलचस्प रिपोर्ताज व्यंग्य विनोद से भरपूर ………..ये आंसू मेरे दिल की

जुबां हैं ,…..

तिफली के रोने का भेद, खुला है बादे मर्ग ,

आगाज़ में ही रोये थे, अंजाम के लिए .

2014 के बाद भी रोना ही है (जब बच्चा पैदा होता है हुआं हुआं करता है

यह राजनीतिक मतिमंद भी कर रहा है ,यह जो जीवन मिला है इसका हश्र

मृत्यु की पीड़ा को नवजात भांप लेता है इसीलिए प्रसव के समय रोता है

फ़ौरन प्रसव बाद .).अगले गृह मंत्री जनार्दन दिविवेदी ही होंगें आरक्षित

कोटा अब नहीं चलेगा .

Padm Singh
12 years ago

सत्ता का जहर !!!
काँग्रेसी परिवार जहर पी गया, ……
खुरचन उसके लगुए भगुए चाट गए….
मगर आम लोगों को इस जहर से बचा लिया …

Khushdeep Sehgal
12 years ago

देश आंसुओं से नहीं IRON HAND से चलता है…

जय हिंद…

Satish Saxena
12 years ago

सत्ता आसान नहीं …

दिनेशराय द्विवेदी

ड्रामा जरूरी है भाई।

ब्लॉ.ललित शर्मा

कुकर्मों पर आंसुओं का परदा, लेकिन जनता सब जानती है मेरे भाई 🙂

प्रवीण पाण्डेय

सिंह में सवारी करने सी होती है सत्ता..

Udan Tashtari
12 years ago

क्या कहें..

Shalini kaushik
12 years ago
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