कल आधी रात को जर्मनी से राज भाटिया जी का फोन आया…बड़े सीरियस मूड में थे…कहने लगे कि कुछ ज़रूरी बात करनी है…मैं घबरा गया…अचानक ऐसा क्या हो गया…फिर भी हिम्मत करके बोला…बताइए राज जी, ऐसी क्या बात करनी है….राज जी ने सीधे काम की बात पर आते हुए कहा कि एक फिल्म बनाना चाहता हूं, उसी के बारे में डिस्कस करना है…मैंने कहा…मेरा अहोभाग्य, मुझे आपने इस क़ाबिल समझा…बताइए मैं कैसे आपकी मदद कर सकता हूं…
राज जी ने अब विस्तार से अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताना शुरू किया…उन्होंने ये पहले ही साफ़ कर दिया वो हॉलीवुड स्टैंडर्ड की फिल्म बनाना चाहते हैं, इसलिए क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करेंगे…पैसा चाहे कितना भी लगे, वो फाइनेंस की कोई कमी नहीं आने देंगे…राज जी पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहते जा रहे थे…उन्होंने आगे साफ़ किया कि उनका इरादा ब्लॉगवुड के लिए शोले जैसी मास्टरपीस का रीमेक बनाने का है…क़ानूनी तौर पर रीमेक में कोई अड़चन ना आए, इसके लिए दिनेश राय द्विवेदी जी भाई अजय कुमार झा के साथ मिलकर सारी ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं…राज जी के मुताबिक उन्होंने फिल्म का भी सोच लिया है…‘ब्लॉगोले’…राज जी अच्छी बिज़नेस सोच वाले शख्स हैं…दरअसल उनकी योजना हॉलीवुड और बॉलीवुड की तरह ब्लॉगवुड को खड़ा करने की है…
राज जी ने मुझे साथ ही फिल्म की कास्टिंग का ज़िम्मा भी दे दिया…उन्होंने साथ ही ताकीद किया कि मल्टीस्टारर फिल्म बना रहे है, इसलिए उन्हें इसके लिए ब्लॉगवुड से टॉप स्टार ही चाहिए…राज जी ने ये कहकर और धर्मसंकट में डाल दिया कि उन्हें फिल्म की स्टारकास्टिंग एक दिन में ही चाहिए…’ब्लॉगोले’ की कास्टिंग पर मैंने तत्काल सोचना शुरू किया और अपने करीबियों से एक दो घंटे में ही अपने सुझाव भेजने का आग्रह किया…
पहला सुझाव ही मेरे लिए किसी बम फटने से कम नहीं था…ये सुझाव एक परिचित महिला से मिला…उनका कहना था कि भूल जाइए, शोले का रीमेक बनता हो तो इस फिल्म में कोई महिला कलाकार काम करेगी…मैंने पूछा कि ऐसा क्यों भई…जवाब मिला कि शोले की कास्टिंग में पचास फीसदी के अनुपात से महिला कलाकारों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था, इसलिए शोले का रीमेक बनता है तो कोई महिला उसमें काम नहीं करेगी...बात में दम था…शोले में महिला पात्र ही कितने थे…बसंती, राधा और मौसी…बस…
वाकई इस एंगल से तो कभी सोचा ही नहीं गया था…मैंने राज जी को फौरन ये जानकारी दी…राज जी ने कहा…कोई बात नहीं…’ब्लॉगोले’ तो बन कर ही रहेगी…चाहे फिल्म सारी मेल कास्ट को ही लेकर क्यों ना बनानी पड़े…राज जी ने आगे हिम्मत बढ़ाते हुए कहा कि आज से ठीक सौ साल पहले दादा साहेब फाल्के ने ‘राजा हरिश्चन्द्र’ बनाई थी तो उनके सामने भी यही दिक्कत आई थी…तब फिल्म मे तारामति का महिला पात्र उन्हें सालुंके नाम के एक पुरूष कलाकार से कराना पड़ा था…मैंने राज जी को समझाया कि ये सौ साल पहले का ज़माना नहीं है…आज के युग में ऐसा नहीं हो सकता…झट से दर्शक पहचान जाएंगे…राज जी ने कहा तो ठीक है हमारी ब्लॉगोले बिना महिला किरदारों के ही बनेगी…
चलिए एक बड़ी दिक्कत दूर हुई…अब आते हैं ब्लॉगोले की स्टार-कास्ट पर…सबसे बड़ा चुनौती का काम था…ब्लॉगोले के लिए गब्बर सिंह को ढूंढना…इस पर मशक्कत कर ही रहा था कि मेरी पिछली पोस्ट पर आई डॉ अरविंद मिश्र की इस टिप्पणी ने मेरा ध्यान खींचा…
अब गब्बर दो ही हो सकते हैं -ऐसा करते हैं अनूप शुक्ल जी ये पदवी मझे अता कर दें और मैं इसे उन्हें समर्पित!
अब मैंने इन दोनों नामों पर विचार किया तो कद-काठी के हिसाब से अरविंद जी में ही मुझे परफेक्ट गब्बर नज़र आया...लीजिए अरविंद जी ने खुद ही अपना नाम प्रपोज़ कर मेरा आधा काम आसान कर दिया…
इसके बाद जय और वीरू की जोड़ी के लिए ब्लॉगवुड से स्टार ढूंढने शुरू किए तो दो नाम बिजली की तरह जेहन में कौंधे…गुरुदेव समीर लाल और महागुरुदेव अनूप शुक्ल ….जय यानी धीर-गंभीर लेकिन वक्त आने पर गज़ब की कॉमेडी में भी सक्षम…इस पात्र के लिए समीर जी मुझे बिल्कुल फिट लगे…वीरू के मस्तमौला किरदार के लिए फुरसतिया मौज के महारथी अनूप शुक्ल से बेहतर और कौन हो सकता था…अब इस कॉस्ट पर राज जी ने सहमति की मुहर लगा दी तो मुझे सबसे ज़्यादा इंतज़ार उस क्लाईमेक्स सीन का रहेगा जहां गब्बर और वीरू की भिड़ंत होती है…डॉ अरविंद मिश्र और अनूप शुक्ल आमने-सामने लाइव…
तीन मुख्य पात्रों की मेरी चिंता तो ख़त्म हुई…लेकिन अभी एक और अहम किरदार बचा था…ठाकुर बलदेव सिंह का…अब ये यक्ष प्रश्न सामने था कि ब्लॉगवुड में ऐसा कौन है जो संजीव कुमार जैसी संजीदगी के साथ ही इस पात्र से न्याय कर सके…बहुत सोचा कुछ समझ नहीं आया…लेकिन फिर मेन्टॉस की तरह दिमाग़ की बत्ती जली…अरे बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा…ब्लॉगोले के ठाकुर साहब मेरे घर से बामुश्किल दो किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं…यानी मेरे और सबके अज़ीज़…बड़े भाई सतीश सक्सेना….
अब शोले फिल्म ही ऐसी थी कि इस में निभाया गया हर छोटा-बड़ा किरदार फिल्म के रिलीज़ होने के 38 साल बाद ही हर एक के दिलो-दिमाग़ में ताजा है…जैसे कि अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर….अबे जब हम नहीं सुधरे तो तुम क्या सुधरोगे...इसके लिए मैंने बहुत सोचा…इस रोल के लिए ‘हंसते रहो’ के राजीव तनेजा भाई से माकूल मुझे और कोई नज़र नहीं आया…
इसके बाद नंबर आया…सूरमा भोपाली का…वहीं सूरमा भोपाली...दो रुपये में पूरा जंगल खरीदोगे जनाब वाले...अब इस बेहतरीन करेक्टर से कौन न्याय कर सकता था…इसके लिए मेरी नज़र टिकी अपने ब्लॉगवुड के अन्ना भाई यानी अविनाश वाचस्पति पर…
चलिए अहम किरदार तो सारे हो लिए…लेकिन अभी सांभा, कालिया, रहीम चाचा, अहमद के पात्रों के लिए कास्टिंग बाकी है…इतना सन्नाटा क्यों है भाई वाले रहीम चाचा के लिए जी के अवधिया जी मुझे फिट नज़र आ रहे हैं…इन सब पात्रों के लिए या ऊपर मेरे सुझाये गये अहम किरदारों के लिए ब्लॉगवुड से और ज़्यादा दमदार आपके जेहन में हो तो फौरन अपना प्रस्ताव भेजिए…मुझे होली से पहले ही ब्लॉगोले की स्टारकास्ट फाइनल कर राज जी को जर्मनी भेजनी है…जिससे वो हॉलीवुड में अपने सलाहकारों से और टेक्निकल पाइंट्स डिस्कस कर सकें…
राज भाटिया प्रेजेंन्ट्स ‘ब्लॉगोले’
स्टारकास्ट….
ठाकुर बलदेव सिंह….सतीश सक्सेना
वीरू….अनूप शुक्ल
जय….समीर लाल
गब्बर सिंह…डॉ अरविंद मिश्र
जेलर…राजीव तनेजा
सूरमा भोपाली….अविनाश वाचस्पति
रहीम चाचा…जी के अवधिया
रामू काका…चंद्र प्रकाश
सांभा…संतोष त्रिवेदी (अर्चना जी को नीचे टिप्पणी में ये नाम सुझाने के लिेए साधुवाद)
कालिया…संजय झा (खुद उन्होंने सुझाव दिया)
अहमद…अंतर सोहेल (अदा जी का सुझाव ) या केवल राम (राज भाटिया जी का सुझाव ) या दीपक मशाल (मेरा सुझाव )
हथियारों का कबीलाई डीलर…ललित शर्मा
काशीराम…भारतीय नागरिक
वीरू की अंग्रेज़ी पर सवाल करने वाला ग्रामीण…गिरीश बिल्लौरे
……………….
राधा…हरकीरत हीर (खुद उनका अपना सुझाव)
मौसी…निर्मला कपिला जी ( राज भाटिया जी का सुझाव)
बसंती…कोई तैयार नहीं हुआ (अब लगता है अदा जी के सुझाव के अनुसार मुझे ही ये रोल करना पड़ेगा, जैसे दादा साहेब फाल्के ने भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र में तारामति के पात्र के लिेए पुरुष कलाकार सालुंके से अभिनय कराया था)
(होली पर निर्मल हास्य)
- चित्रा त्रिपाठी के शो के नाम पर भिड़े आजतक-ABP - April 25, 2025
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- 3 क़ातिल बेगम: ड्रम, ड्रेन और डंक - April 18, 2025
मुझे तो पता ही न चला, यहां काम मिल रहा था……
मौसी वाला किरदार मंजूर
लीजिए फाइनली जय भी आ गए…बस अब शूटिंग शुरू करते हैं…अगली होली तक ब्लॉगोले रिलीज़ कर दी जाएगी…
गुरुदेव शुक्रिया…ये किरदार मैं जाने कैसे भूल गया…इसके लिए महफूज़ माकूल रहेगा…और हेलन के डांस के लिए आर्टिस्ट ढूंढ कर लाने की ज़िम्मेदारी भी उसी की रहेगी…
जय हिंद…
अजित जी,
राज जी और मैं पेड समीक्षा में विश्वास नहीं रखते…हम चाहते हैं ब्लॉगोले का सही मूल्यांकन हो…और निष्पक्ष समीक्षा के लिए आप से बेहतर कौन ये ज़िम्मेदारी निभा सकता है…
जय हिंद…
गुरुदेव,
सत्य वचन…कांग्रेस के पास 'बेबी ब्लॉगोले' के लिए 'बेबी अमूल' तो पहले से ही है…
जय हिंद…
हा हा!! बहुत मस्त ख्याल के साथ राज जी उतरे हैं…गुरुदेव अनूप शुक्ल के साथ काम करने में तो आनन्द आयेगा ही…
वैसे जलाल आगा के रोल महबूबा महबूबा के लिए कुछ सोचा है क्या?
🙂
होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं.
अभी हम युवा ही तो हैं…ब्लॉगवुड की जगह कांग्रेस की बात होती तो अभी बच्चे ही कहलाते…:)
आपकी फिल्म के लिए अग्रिम शुभकामनाएं। यहां तो फिल्म समीक्षक भी रखने चाहिए थे। वितरक के अधिकार भी किसी को सौंपने चाहिए थे। ऐसे अनेक पद अभी खाली हैं, उन्हें भी भरिए।
चलिेए वीरू भी आ गये, बस जय रह गये हैं…उनके कनाडा से आते ही
शूटिंग शुरू हो जाएगी…
रंगोत्सव की आपको सपरिवार बहुत बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
राज जी,
आपके आने से जान में जान आई…आख़िर फिल्म में माल तो आपका ही लगना है…जगदीप का रोल सूरमा भोपाली का था जो अविनाश वाचस्पति भाई को जा चुका है…अहमद के बाप यानी रहीम चाचा का रोल जी के अवधिया को मिल गया है…राजीव तनेजा जी जेलर के रोल में फिट हो चुके हैं…अहमद के लिए अब तीन दावेदार हो गये हैं…अंतर सोहेल, दीपक मशाल और केवल राम…
रंगोत्सव की आपको सपरिवार बहुत बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
क्या कास्टिंग है। सब छंटे हुये लोग यहां आ गये!
मोसी के लिये निर्मला कपिला जी को पकडे ना, हीर जी के लिये तो ज्या वाला रोल फ़िट रहेगा,फ़ेस बुक से बसंती Darshan Kaur Dhanoe को पकडे, सारे सितारे पुरे हो गये, अगर जेलर ना मिला हो तो यहां देखे सब से उचित रोल मे… https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10200400986321325&set=a.1368282561199.52817.1055753764&type=1&theater
वाह लगता हे फ़िल्म तो पुरी कर दी आप ने, अरे हां जगदीप ( लकडी के टाल ) वाले का रोल किसे दे रहे हे, मेरे ख्याल मे उस के लिये रमेश सिरफ़िरा सही रहेगा, ओर अहमद के बाप का रोल कोन करेगा? उस के राजीव तनेजा जी को चुन ले, बसंती के रोल के लिये तो लाईन लगी हे,लेकिन बसंती ऎसी हो जिस का भार धन्नो सहन कर सके.. :)अहमद के लिये तो केवल राम सही लगता हे, चलो आगे खुद देख लो…
हीर जी,
यानी मुझे जय बनाकर हमेशा के लिए निपटाने का आपका इरादा है…:))
जय हिंद…
रांझा …? तब तो काम मिलना पक्का ही समझूँ …:)
तो राँझा जी आप जय वाली भूमिका क्यों नहीं कर लेते ….खूब जमेगी ….:))
अहमद के रोल के लिए अंतर सोहेल को लेने का सुझाव बहुत अच्छा है…वैसे दीपक मशाल भी फिट बैठेगा…
जय हिंद…
हीर जी,
आपके ज़ज़्बे को सलाम…बस इसी तरह बसंती और मौसी के लिेए भी आपकी तरह कोई रज़ामंदी दे दे तो हमारा काम बड़ा आसान हो जाएगा…
और हां, भैया ???…यहां तो हम खुद को रांझा समझते हुए अपने कपड़े फाड़ कर घूमते रहते थे…ख़ैर चलो होली है…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
क्यों मुझे बसंती बनाने पर तुली हैं मैडम, फिर अपना हिट डॉयलॉग भी मुझे देना पड़ेगा…हां, नहीं तो…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
दराल सर,
आपकी तरह लगता है मुझे भी गच्चा दे रहे हैं भाटिया जी…मेरा सिर ओखली में डलवा कर खुद गायब हो गए हैं…अभी तक इस पोस्ट पर दर्शन नहीं दिए…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
सुशील जी,
आपका सुझाव सर माथे पर…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
ताऊ,
आपके लिए रोल गब्बर के बाप हरि सिंह का है…लेकिन दिक्कत ये है कि शोले में बस हरि सिंह का नाम ही आता है, चेहरा कहीं नहीं…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
डॉ साहब,
आपकी फिल्म में कंट्रास्ट है…भोले ही चला रहा है गोले…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
भारतीय नागरिक जी,
आप को काशीराम का रोल हो सकता है, वही काशीराम जिसे कालिया कहता है…आओ काशीराम आओ, क्या लाये हो दो मुठ्ठी ज्वार…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की बहुत शुभकामनाएं…
जय हिंद…
संजय भाई,
कालिया के रोल के लिए आपका नाम आगे भेज दिया है…वैसे एक सुझाव बरेली वाले धीरू भाई के लिए भी आया है…अब आप दोनों में शोले का सिक्का उछाल कर फ़ैसला होगा…
शुभ होली…
जय हिंद…
पारखी नज़र ! … 🙂
खुशदीप भैया जया वाला रोल हमें दिलवा दीजिये न …वो बोलती कम थी न ….मैं भी कम बोलती हूँ फिट बैठेगा ….:))
दोबारा कमेन्ट के लिए क्षमा ..
ब्लॉग जगत के बड़े-बड़े गोले
बना रहे हैं मिलकर शोले
खुशदीप अब बनेंगे बसंती
हैं राधा रानी गिरीश बिलौरे 🙂
धन्नो के लिए फिट ताऊ की राम पियारी
अहमद के लिए अंतर सोहेल को लें
सुज्ञ जी सम कोई मौसी नाही
इनोग्रेशन में परोसें भटूरे छोले
आप सभी को होली की अनंत शुभकामनायें !
ब्लॉग जगत के बड़े-बड़े गोले
बना रहे हैं मिलकर शोले
खुशदीप अब बनेंगे बसंती
हैं राधा रानी गिरीश बिलौरे 🙂
धन्नो के लिए फिट ताऊ की राम पियारी
अहमद के लिए अंतर सोहेल को ले
आप सभी को होली की अनंत शुभकामनायें !
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ !
आज की ब्लॉग बुलेटिन हैप्पी होली – ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !
ओ तेरे की।
भाटिया जी तो गोली दे गए।
हमें भी उसी समय फोन कर कांट्रेक्ट दिया था शोले बनाने का।
अब तो राजगढ़ के शोले ही बनानी पड़ेगी। 🙂
एक ही बात – बढिया है…
और हाँ इतनी मेहनत के साथ आपने अपने लिये किसी भूमिका का चुनाव नहीं किया, हालांकि दूसरी अनेकों जिम्मेदारियों के चलते आपको इसके लिये कोई खास समय मिल भी नहीं पाएगा किन्तु फिर भी फिल्म के शुरुआत में ठाकुर को जेल में गब्बर से मिलवाने वाले वो इन्सपेक्टर जो कहते हैं "खोटा सिक्का तो दोनों तरफ से खोटा ही होता है" की भूमिका आपको भी अवश्य स्वीकारना चाहिये । सुभाष घई के समान कम से बार दो बार तो स्क्रीन पर आपको भी दिखना ही चाहिये ।
बाकि तो सबके साथ हमें भी फिल्म का बेसब्री से इन्तजार रहेगा ।
शेष आपको होली की रंगारंग शुभकामनाएँ
जय हो ब्लागोले की, होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम
गिरीश भाई,
आपको वो रोल मिल सकता है जिसमें वीरू टंकी पर चढ़ा है, और उसकी अंग्रेज़ी पर नीचे एक बंदा सवाल पूछता रहता है…ये सुसाइड किसे कहते हैं…अंग्रेज़ मरते हैं तो उसे सुसाइड कहते हैं…फिर वो पूछता है कि अंग्रेज़ मरते क्यों हैं….
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
हम भी फिलिम बनाया हू 'भोले चला गोले' साभार ब्लागोले…:):):)
गुरु का चेला कैसा हो
संतोष त्रिवेदी जैसा हो ….
gabbar banye jane ke liye apko subhkamnayen…..bass eek iltza, ke 'kaliya' ke jagah dilwane ki sifarish aap raj-ji se kar den..
pranam.
बाक़ी वो सारे लोग जिनको मुख्य किरदारों में जगह नहीं मिली वो सब फ़िलम में खूब सारी भीड़ में हैं..
नहीं मैं तो ये रोल खुशदीप को दे रहा हूँ उसपर भरोसा नहीं -वो बसन्ती के चक्कर में रहता है !
हा हा हा अब मजा आया है होली पर ..ये डिरामा चलता रहे रे साम्भा –
साम्भा कौन ? खुशदीप भाई यह रोल कर लेगें !
क्यों राज जी ?? 🙂
वदिया है जी कास्टिंग…
राजीव भाई,
शोले को आए 38 साल हो गए हैं…इतने साल में अंग्रेज़ों के ज़माने का जेलर देसी माल खाकर तगड़ा नहीं होगा क्या…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
कास्टिंग दमदार है…मैंने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं…मूछें उगाने के चक्कर में शेव नहीं कर रहा हूँ…हेयरकट के लिए तो बीवी कह रही है कि…"इसमें क्या है?..कुतरने ही तो हैं….मैं ही बाल मूंढ दूंगी"….कांटेक्ट लैंस का आर्डर भी देने जा रहा हूँ..वर्दी का जुगाड़ भी कैसे ना कैसे कर के हो ही जाएगा लेकिन कद छोटा और डील-डौल कैसे कम करूँ?…..सुझाएँ
चंद्र प्रकाश जी,
आपको रामू काका का रोल मिल सकता है…लेकिन 24 घंटे ठाकुर बलदेव सिंह यानी सतीश भाई के साथ रहना होगा…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
रामू काका भी अभी बचे हैं…
जय हिंद…
Lagta hai satish ji ko apni bhumika pasand nahi aa rahi. Yeh jimmedari main hi uthha leta hoon. Unhe aap veeru kaa kirdar de dejieye. Kitna pyar and sammaan mil raha hai satish ji kaa. Unhe bhi meri holi ki shubhkaamnayen. Film ke producer, director & puri team ko film ke liye agrim badhaai.
Shubh holi
सतीश भाई,
लगता नहीं तीन पात्रों से फिल्म बन पाए…
सांभा का रोल तो संतोष जी के लिए टेलरमेड है…बस अब कालिया और अहमद के पात्र रह गए हैं…यहां स्पष्ट कर दूं कालिया का नाम ही सिर्फ कालिया था, वैसे वो रंग का इतना काला नहीं था…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
जय जी,
नाम तो आपका भी जय ही है…अब क्या करें, आप ही फिल्म के जय की तरह मौसी को जाकर समझाइए…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
सतीश भाई,
आपने शक्ल ही ठाकुर बलदेव सिंह की नहीं बल्कि अक्ल भी उन जैसी ही पाई है…सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
राहुल जी,
इस हिसाब से तो फिल्म में दिखाये गये सारे घोड़ों के नाम भी चेक करने होंगे…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…
ललित भाई,
राज भाटिया जी पहले ही कह चुके हैं, पैसे से कोई समझौता नहीं…ब्लॉगवुड के जय और वीरू तो समीर जी और अनूप जी ही हैं…
आपके लिए एक रोल बचा है…गब्बर को हथियारों की डिलीवरी देने वाले एजेंट हीरालाल का…वहीं हीरालाल जिसके डेरे पर महबूबा ओ महबूबा डॉन्स होता है…जल्दी रज़ामंदी दीजिए, कॉन्ट्रेक्ट पेपर भिजवाता हूं…
आपको और आपके परिवार को रंगोत्सव की शुभकामनाएं…
जय हिंद…