राजदीप ने एमएसजी प्रकरण में ग़लती मानी…खुशदीप

राजदीप सरदेसाई। वो
पत्रकार जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है।

सुधीर एस रावल। वो
पत्रकार जिनके नाम से गुजरात में हर कोई वाकिफ़ है।



राजदीप को मैं पत्रकारिता
के नाते ही जानता हूं, कभी रू-ब-रू होने का मौका नहीं मिला। सुधीर एस रावल से मैं
बहुत अच्छी तरह परिचित हूं। वे बड़े भाई की तरह मेरा मार्गदर्शन करते हैं। पेशे से
जुड़ा सवाल हो या पारिवारिक समस्या, मैं बिना किसी हिचक उन्हें बताता हूं। मुझे ये
कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि मेरे कठिनाई के वक्त में जिस तरह उन्होंने मेरा
साथ दिया, उसे ताउम्र नहीं भुला सकता। विपरीत परिस्थितियों में भी किस तरह मनोबल ऊँचा
रखा जाता है, ये मैंने उनसे सीखा। सुधीर एस रावल से मैंने सीखा कि मुश्किल हालात
में होने के बावजूद उसूलों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।

राजदीप पिछले दिनों
अहमदाबाद में थे तो सुधीर एस रावल ने उन्हें घेर लिया। राजदीप जो खुद तमाम बड़ी
हस्तियों का इंटरव्यू लेते हैं, बड़ी मुश्किल से अपना इंटरव्यू देने के लिए तैयार
हुए। वी टीवी के
ऑफ द रिकॉर्ड’  कार्यक्रम के लिए ये इंटरव्यू हुआ। राजदीप ने साफ़गोई से
तमाम सवालों का जवाब दिया। इस इंटरव्यू में हर मुद्दे को छुआ गया…

राजदीप का गुजरात
कनेक्शन, देश में पत्रकारिता का परिदृश्य, नरेंद्र मोदी, मेडिसन स्क्वेयर गार्डन (एमएसजी) की घटना, गुजरात दंगे, मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल का मूल्यांकन, राजदीप की पारिवारिक बातें(पिता टेस्ट क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई, पत्नी सागरिका घोष, डॉक्टरी और लॉ कर रहे बच्चे),
किशोर-रफ़ी के गानों के लिए दीवानगी और राजदीप का अब क्रिकेट पर किताब लिखने का
इरादा।

ये इंटरव्यू
गुजराती-हिंदी में लिया गया लेकिन किसी भी हिंदीभाषी को आसानी से समझ आ सकता है।
इंटरव्यू में हिंदी और अंग्रेज़ी में सब-टाइटल भी दिए गए हैं। आज पत्रकारिता जिस
दौर से गुज़र रही है उसमें हर युवा पत्रकार को ये इंटरव्यू ज़रूर देखना चाहिए।
सीखना चाहिए कि बिना शोर मचाए, कितनी सरलता और सहजता से सवाल पूछे जा सकते हैं। जवाब
दिए जा सकते हैं। इस तरह कि हर देखने-सुनने वाले को नदी के सुगम प्रवाह की तरह सब
समझ आता चला जाए।

शुक्रिया राजदीप।
शुक्रिया सुधीर एस रावल।
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बेनामी
बेनामी
9 years ago

There are hindi subtitles…

निर्मला कपिला

वीडिओ भाशा के कारण समझ नही आया लेकिन उनके आलेख अक्सर पढती हू मीडिया मे भी बहुत से अच्छे लोग हैं लेकिन सही का साथ देने के लिये सिर्फ अच्छे होना काफी नही होता हवा के रुख के खिलाफ जाने का साहस कोई कोई कर पाता है1

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