ये सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं है…खुशदीप

ये तस्वीर इस साल 18 सितंबर की है…शबाना आज़मी का 60वां जन्मदिन था…उनके पति ने ये केक खास तौर पर बनवाया…जिस पर लिखा था शबाना नगर, गली नंबर 60.केक स्लम की शक्ल में था…जिस पर च़ॉकलेट की बजबजाती हुई नालियां-नाले बने हुए थे…सब जानते हैं कि शबाना ने मुंबई के स्लम्स की बेहतरी के लिए बहुत काम किया है…जावेद अख्तर बेहद संवेदनशील लेखक और शायर हैं…उन्होंने अपने सेंस ऑफ ह्यूमर का इस्तेमाल करते हुए शबाना के लिए ये केक बनवाया…कलाकार और शायर के नाते में शबाना और जावेद दोनों का बहुत सम्मान करता हूं…उनसे भी ज़्यादा शबाना आज़मी के वालिद कैफ़ी आज़मी और अम्मी शौकत आज़मी का करता हूं…जावेद साहब के पिता जां निसार अख्तर भी उर्दू अदब के बहुत बड़े नाम रहे हैं….

लेकिन जावेद अख्तर जिसे यहां सेंस ऑफ ह्यूमर बता रहे हैं, वो मेरी नज़र में बेहद घटिया हरकत थी…उस बर्थडे पार्टी में इस केक को काटते हुए खूब हंसी-मजा़क हुआ..इस पार्टी में अरसे बाद अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना जैसे दिग्गज एक टेबल पर घंटों तक पुराने दिनों की याद ताजा करते रहे….शबाना समेत कुछ आमंत्रित मेहमानों ने मुन्नी बदनाम हुई पर ठुमके भी लगाए…मेरी नज़र में शबाना ने स्लम्स के लिए जो भी किया, उस पर इस केक ने एक झटके में पानी फेर दिया…

इनसान महलों में रहे या स्लम्स में. हर एक का अपना मान सम्मान होता है…मैं इस विषय पर ज़्यादा कुछ न कहते हुए आप पर ही छोड़ता हूं कि बर्थडे पार्टी में स्लम की शक्ल का केक बनवाना सही था या गलत…

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डा० अमर कुमार


मैंने बधाई का मेल भेजा था,
कहीं स्पैम में तो नहीं है ?
अजय झा से फोन नम्बर माँगा है,
जल्द ही मिलने की सँभावना है !
चलो, अब हॅनीमून की बधाईयाँ ही ले लो !

ASHOK BAJAJ
14 years ago

श्री खुशदीप सहगल को,

सालगिरह की बधाई.

ਸਾਲ ਗਿਰਾਹ ਦੀ ਲਖ ਲਖ ਵਧਾਈਯਾਂ

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार

*आदरणीय खुशदीप सहगल जी*

((((((((((( *आपको अपने* )))))))))))
~*~ विवाहोत्सव की वर्षगांठ~*~
———के अवसर पर———
~*~हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
~*~~*~शुभकामनाएं !!~*~~*~

इस अवसर पर एक नई पोस्ट होनी चाहिए थी । कई अवसरों पर पार्टियां कुछ दिन बाद हुआ करती है , वैसे ही …बाद में ही सही , इंतज़ार करेंगे ।

शुभाकांक्षी
– राजेन्द्र स्वर्णकार

संजय कुमार चौरसिया

खुशदीप भाई, शादी की सालगिरह मुबारक हो।

Dr. Zakir Ali Rajnish
14 years ago

खुशदीप भाई, शादी की सालगिरह मुबारक हो।

Satish Saxena
14 years ago

कहाँ हो खुशदीप मियाँ …शुभकामनायें !

डा० अमर कुमार

अच्छी प्रस्तुति .
ज़ावेद ने अपने अपनी घुटन को,
पत्नी से पिछड़ जाने की कुँठा को
सेंस ऑफ़ ह्यूमर का ज़ामा पहना दिया !.

निर्मला कपिला

मैने सोचा मै ही छुट्टी पर थी मगर खुशदीप अभी भी वहीं अटके हैं । मै तो पहले कह चुकी हूँ इस पर। आशीर्वाद।

Unknown
14 years ago

slam ka cake yahi log to khaa rahe hai .
slam walo ko cake keha milta hai .
naam bhee aur daam bhee yahi kamana aaise logo ka kaam hai .wo yeh log aacchhi tarah kar rehe hai.

prasant pundir
14 years ago

senseless humour

Roshani
14 years ago

यह बिलकुल गलत है पर यह हर आदमी करता है अनजाने में ही उससे और अन्य विषयों पर ऐसी गलती हो ही जाती है क्योंकि उसने व्यवहार को आचरण में जीना सिखा ही नहीं बहुत अभ्यास की और समझ की जरूरत होती है. और हम भी गलत होते हैं हुनरमंद व्यक्ति को समझदार मानकर आदर्श बना बैठते हैं एक शिक्षित व्यक्ति भी नासमझ हो सकते हैं और एक अशिक्षित व्यक्ति भी समझदार हो सकते हैं.

Apanatva
14 years ago

mai to ye hee soch rahee hoo ki kaise logo ne ise khaya hoga………?

🙂

SAKET SHARMA
14 years ago

बहुत गलत मानसिकता जावेद की..

अजय कुमार झा

"javed and shabana are husband and wife . they have their private life "

यदि ऐसा ही था तो फ़िर पब्लिकली ये बात आनी ही नहीं चाहिए थी …घर में तो जो होता है तो घर के अंदर ही रहना चाहिए था ..और जब वो सार्वजनिक हो गया तो फ़िर कैसा निजि जीवन …..और इसमें कैसी निजता ..कि वे झुग्गी झोपडियों जैसा केक बना कर उसे काट रहे हैं ..यहां तक की नालियां भी …यदि ये टीज़र गिफ़्ट था …तो भी उतना ही बेहूदा टीज़ींग थी शबाना के लिए न सही …मगर उन लाखों झुग्गीवासियों के लिए तो जरूर ही

परमजीत सिहँ बाली

भाइ उनका जनम दिन था कैसे मनाया .;इस से हमे क्या है जी। किसी के निजि जीवन मे वह क्या करता है इस कि चिंता क्या करनी। उन्हे सही लगा तो सही गलत लगा तो गलत,,,हम क्या कह सकते हैं।

सम्वेदना के स्वर

खुशदीप जी! आप मीडिया जगत से जुड़े हैं तो जानते ही हैं कि सारा "आई-बाल्स" और मीडिया स्पेस का चक्कर है! पहले शबाना और अब जावेद अख्तर राज्यसभा के मनोनीत सदस्य हैं, व्यवस्था को इनकी जरुरत है और इन्हे व्यवस्थाजनित सुविधाओं की!

ये कैमरे लेकर, अलग अलग पोज़ में फ़ोटो निकालकर अपने को स्थापित करना भर है। जो राहुल से लेकर छोटे मोटे सभी नेता करते हैं।
मुझे नही लगता कि यह फ़ोटो आपने ली होगी! वहीं मौज़ूद किसी व्यक्ति ने इसे रीलीज़ किया होगा। राज्यसभा के मनोनीत सम्मानीय सदस्यों से तो उनके बेहूदे कामों पर ऐसे सवाल पूछे ही जाने चाहिये।

Satish Saxena
14 years ago

खुशदीप भाई ,
हमें किसी की प्राइवेट लाइफ और उनकी श्रद्धा में झांकने का क्या हक़ है ??
शुभकामनायें

रचना
14 years ago

Kushdeep Again lets go back to your last post where in you have said " ऑफ ह्यूमर की तो किसी व्यक्ति विशेष, धर्म, जाति, प्रांत, राष्ट्रीयता को लेकर उपहास उड़ाने वाला हास्य निश्चित तौर पर निंदनीय है…लेकिन अगर जैनरलाइज़ वे में पति, पत्नी, दोस्त या अन्य कोई वस्तु ( क़ॉमन नाउन) को लेकर आप विशुद्ध हास्य के लिए कुछ लिखते हैं तो उसे किसी के साथ न जोड़ते हुए सभी को उसका आनंद लेना चाहिए…"

javed and shabana are husband and wife . they have their private life and in which they have likes and dislikes . shabana works round the clock for slums so javed as a husband gave her this cake . see it this way its a husbands right to give a gift . why should media and others hound their privacy and gifts

in any home when we give "teaser gifts" we always try to give such things which we are fed up with but our close relative / friend likes it like a obsession

as such also this news came long back in news papers and every one was of opinion that some things dont matter

as you also have said in your comment

Udan Tashtari
14 years ago

क्या कहें…सार्वजनिक जीवन में कुछ मर्यादाओं का पालन आवश्यक हो जाता है.

एक बेहद साधारण पाठक

आजकल बुद्दिजीवी [स्त्री/पुरुष] ऐसे ही होते हैं
अब हमें ही आदत डाल लेनी चाहिए

Gyan Darpan
14 years ago

निहायत ही बेहूदा और घटिया ! ये तो स्लम का मजाक उड़ाना ही ज्यादा लग रहा है |

शरद कोकास

यह सेंस ऑफ ह्यूमर था ?
यह कैसे सेंस ऑफ ह्यूमर था ?
कैसा सेंस और कैसा ह्यूमर ?
अपना सेंस तो काम नहीं कर रहा ।

अजय कुमार झा

निहायत ही बेहूदा और घटिया …न ही कोई सेंस और न ही ह्यूमर ..।

राजीव तनेजा

इसे कहते हैं अपने सारे अच्छे किए पर एक ही झटके में पानी फेर देना …

उस्ताद जी

ok

4/10

समय चक्र
14 years ago

क्या कहें लोगों की मानसिकता को ..खुशदीप भाई ….सबके अपने अपने निराले अंदाज हैं …

डॉ टी एस दराल

इसे कहते हैं –misplaced सेंस ऑफ़ ह्यूमर ।

डॉ. मोनिका शर्मा

ऐसी हर हरकत इन्सान की मानसिकता को दर्शाती है….
फिर चाहे वो व्यक्ति कोई जानी मानी हस्ती ही क्यों ना हो…..?

anshumala
14 years ago

इस केक ने तो राज ठाकरे के केक की याद दिला दी उन्होंने भी आपने जन्मदिन पर भैया ( उत्तर भारतीयों को भैया कहते है ) लिखे केक को कटा था | शबाना जी और जावेद जी एक अच्छे कलाकार है ऐसा मै मानती हु पर जहा तक बात उनके सामाजिक कार्यो की है तो वो मुझे ढकोसले से ज्यादा नहीं लगता है |

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }

नाली के कीडे को बहुत शान्ती इन्ही बात से मिली होगी .

शिवम् मिश्रा

बड़े लोगो की बड़ी बड़ी बातें!

राज भाटिय़ा

शायद इन की नजरो मे हो…. वेसे तो मै ऎसी घटिया फ़िल्मो के भी विरुध हुं जिसे यह आस्कर के लिये भेजते हे कि देखो हमारे यहां कितनी गरीबी हे, कितनी गंदगी हे ओर बाबा यही देख कर हमारी झोली मे कुछ इनाम डाल दो, ओर हमे शर्म आती हे ऎसी बातो से,अरे हमारा देश हमारा घर हे, तो घर की बात पर्दे मे रहनी चाहिये, उसे उजागर कर के क्यो हम भिखारी बने, ओर यही मानसिकता यहां इस केक मे भी दिख रही हे, इसी लिये मै इन अभिनेतओ को कभी घास तक नही डालता, यहां थोक के भाव घुमते हे,

दीपक बाबा

आप किसकी और किसके लिए निंदा करेंगे. …… शबाना आज़मी की, जावेद अख्तर साहेब की या फिर केक पर चोकलेटी नालियों की.

शबाना आज़मी, एक बेहतरीन अदाकारा हैं, मैं बहुत पसंद करता हूँ उनको. पर जब इन फ़िल्मी हस्तियों को फिल्मो से मुक्ति मिल जाती है या ये कहें फिल्म वाले इनको घास डालना बंद कर देते हैं तो फिर ये अपनी छवि चमकाने और ख़बरों में रहने के लिए उजुल-फ़िज़ूल हरकते करते हैं.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

निन्दनीय है…

दिनेशराय द्विवेदी

कुछ और ही था यह, सेंस ऑफ ह्यूमर तो कतई नहीं था। यदि इसे जावेद ने सेंस ऑफ ह्यूमर कहा है तो निश्चय ही यह अशोभनीय ही नहीं है अपितु निंदा के योग्य है।

निर्मला कपिला

गलत बिलकुल गलत या तो उसे इस तरह बना कर उस पर कोई अच्छा स स्लोगन या सन्देश लिखा जाता। फिर भी नालियाँ आदि बनाना तो बिलकुल घटिया बात है। शुभकामनायें।

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