
पीएमओ-
टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में राजा पर ख़ज़ाने का बाजा बजाने का दाग़…मिस्टर क्लीन यानि प्रधानमंत्री वक्त रहते दाग़ साफ़ करने के लिए सुपर रिन की चमकार पेश नहीं कर सके… यानि हाथ मनमोहन सिंह के भी जले…
दस जनपथ-
बोफ़ोर्स की तोप से अब तक का सबसे ख़तरनाक़ गोला दागा गया है…सरकार के ही महकमे इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने बोफोर्स सौदे में दलाली खाए जाने की बात सबूत के साथ पेश की है…दलाली की रकम इतालवी व्यवसायी ओतावियो क्वात्रोकी और भारतीय मूल के एजेंट विन चड्ढा के खाते में गई थी…क्वात्रोकी के सोनिया के मायके के साथ पुराने पारिवारिक रिश्तों पर विरोधी दल निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे…यानि हाथ सोनिया गांधी के भी जले…
बीजेपी-
भ्रष्टाचार पर कांग्रेस से आर-पार की लड़ाई का बिगुल बजाने वाली मुख्य विरोधी पार्टी बीजेपी खुद कर्नाटक के येदियुरप्पा और रेड्डी बंधुओं का नाम सुनकर चुप्पी क्यों साध लेती है…आरोप लगाने वालों की मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी कमी नहीं है…यानि हाथ बीजेपी के भी जले…
डिफेंस-
मुंबई के आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में फ्लैटों की बंदरबांट हुई तो नेताओं, नौकरशाहों के साथ सेना के कुछ पूर्व और मौजूदा अधिकारी भी बहती गंगा में हाथ धोते दिखे…यहां तक कि सेना के एक पूर्व चीफ़ भी…ये ज़्यादा शर्मनाक इसलिए क्योंकि ये सारा खेल करगिल के शहीदों की विधवाओं के हक़ पर डाका डाल कर हुआ…यानि हाथ डिफेंस के भी जले…
कॉरपोरेट-
नीरा राडिया के टेपों ने कॉरपोरेट का वो चेहरा दिखाया कि किस तरह लॉबिंग के दम पर सरकार की नकेल कॉरपोरेट अपने हाथ में रखता है…टेपों को सार्वजिनक होने से रोकने के लिए रतन टाटा ने ही सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट तक दौड़ लगाई…यानि हाथ कॉरपोरेट के भी जले…
मीडिया-
राडियागेट ने ही उन चेहरों को भी बेनकाब किया जिनके कंधों पर समाज के किसी भी वर्ग में गलत आचरण देखने पर व्हिस्ल बजाने की ज़िम्मेदारी होती है…ऐसे चंद नाम जिन्हें पत्रकारिता के लिए रोल मॉडल समझा जाता था…शीशे में चटक आई तो साख का सवाल लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए भी है…यानि हाथ मीडिया के भी जले…
स्पोर्ट्स-
ललित मोदी के आईपीएल और सुरेश कलमाडी के कॉमनवेल्थ ने दिखाया कि मैदान पर होने वाले खेल से कहीं बड़ा खेल मैदान के बाहर होता है…तमगों और जीत के लिए खिलाड़ी बेशक अपना खून-पसीना बहा दें, लेकिन लूट का गोल्ड मेडल खेल के इन मठाधीशों के नाम ही रिज़र्व रहता है…यानि हाथ खेल के भी जले…
न्यायपालिका-
आम आदमी के लिए इंसाफ़ का सबसे बड़ा आसरा अदालतों पर है…लेकिन देश की सबसे ऊंची अदालत की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठ चुके शख्स यानि के जी बालाकृष्णन के कुनबे पर ही चंद सालों में अकूत संपत्ति जमा करने के आरोप लगने लगें तो कहने को क्या रह जाता है…यानि हाथ न्यायपालिका के भी जले…
स्लॉग ओवर…
ऐसे में पाकिस्तान के एक अखब़ार में बहुत पहले पढ़ा एक किस्सा याद आ रहा है…शायद पहले ब्लॉग पर सुना भी चुका हूं…लेकिन भ्रष्टाचार का सवाल गरम है तो ये आज भी फिट बैठता है…और फिर चाहे पाकिस्तान हो या भारत, दोनों जगह सबसे ज़्यादा रोना आम आदमी को ही है…
एक बार सूखे से परेशान एक गरीब किसान गांव से मजदूरी के इरादे से लाहौर आया…किसान के शरीर पर सिर्फ एक लंगोटी थी…स्टेशन से निकला ही था कि उसे दिखा…अब्दुल्ला होटल…थोड़ी दूर चला तो अब्दुल्ला मॉल दिखा…सौ कदम बाद अब्दुल्ला राइस मिल…फिर अब्दुल्ला कोल्ड स्टोर...फिर अब्दुल्ला पैलेस…तब तक किसान एक चौराहे पर पहुंच गया था…वहां आकर उसने ठंडी सांस ली और अपनी लंगोटी भी उतार कर आसमान में उछाल दी…साथ ही बोला…ले, फिर ये भी अब्दुल्ला को ही दे दे…
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इस हमाम में सभी नंगे हैं…
स्लोग ओवर अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है
मस्त पोस्ट
जय हिंद !
खुशदीप जी कमाल की पोस्ट है आपकी. शायद कुछ ऐसे पोस्ट मैं से है, जिनको कैन सहेज के रेखा करता हूँ. शुक्रिया .ब्लोगिंग इसी कहते हैं.
अभी अभी पता चला है कि यह अब्दुल्ला आजकल अमेरिका में रहता है ।
ab jaldi se ek fatafat wala comment hamare blog pe mariye…:)
he he he he he………….
aapse koi nahi bach sakta…:)
jai ho khushdeep bhaiya…
ाब भ्रष्टाचार पर हम कुछ कहें तो हाथ तो हमारे भी जलेंगे न इस लिये केवल आशीर्वाद दे कर ही जा रही हूँ । खुश रहो।
ले, फिर ये भी अब्दुल्ला को ही दे दे…
wonderful
राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट,अन्तकाल पछतायेगा प्राण जाएंगे छूट।
सबके हाथ खुले है लूटने के लिए और बचे हुए हाथ मल रहे है कुछ ना लुट पाने के कारण |
काजल की कोठरी है तो …….
🙂 हाथ तो वाकई सभी के जल रहे हैं…. और आज कल अब्दुल्ला तो बेगानी शादियों में भी दीवाना हो रहा है…
bahut sahi kaha aapne
aaj sabke haanth bandhe huye hain
सबके हाथ बँधे हैं पर जिनको जो करना है, किये जा रहे हैं।
shi khaa jnab lekin zraa men ise snshodhit krungaa hmare haath bndhe nhin he blke kaat diye gye hen . akhtar khan akela kota rajsthan
सबके हाथ बँधे हैं पर जिनको जो करना है, किये जा रहे हैं।
यहां भी यही हो रहा है सब कुछ अब्दुल्ला को ही दिया जा रहा है..