फिजिक्स का सिद्धांत है कि रबर की गेंद को जितना पटक कर ज़मीन पर मारोगे, उतना ही वो आपके सिर पर चढ़ कर नाचेगी…अगर गेंद को यूहीं ज़मीन पर लुढ़का दो तो वो वही पड़ी रहेगी…लेकिन आजकल ब्लॉग-जगत पर क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम पूरे उफ़ान पर है…पलीता लगाने वाले भी हरदम मौके की तलाश में बैठे हैं…आग को भड़का कर उस पर हाथ सेंकना इनका शगल है…ये लोग मोबाइल, ई-मेल, चैटिंग जैसे माध्यमों से नारदमुनि की भूमिका निभाने में पारगंत होते हैं…कान के कच्चे लोगों को ये इस तरह पेड़ पर चढ़ाते हैं कि बेचारे को उतरने का रास्ता ही नहीं सूझता…
कुछ और तरह के भी कलाकार हैं…ये बिना बुलाए मेहमानों की तरह कहीं भी प्रगट होकर समर्थन देना शुरू कर देते हैं…ठीक वैसे ही जैसे समाजवादी पार्टी और बीएसपी केंद्र में यूपीए सरकार को समर्थन देती रहती हैं…ये समर्थन के नाम पर ऐसा गड्ढा खोदते हैं कि समर्थन का लाभार्थी ही उसमें फंस कर रह जाता है…
ब्लॉग जगत की ऐसी ही प्रजातियों के लिए ये पंक्तियां…
एक ब्लॉगर पोस्ट लिखता है,
एक ब्लॉगर पोस्ट पढ़ता है,
एक तीसरा ब्लॉगर भी है,
जो न पोस्ट लिखता है,
न पोस्ट के मर्म को पढ़ता है..
वह सिर्फ पोस्ट से खेलता है,
मैं पूछता हूं- ये तीसरा ब्लॉगर कौन है ?
ब्लॉग की समूची दुनिया मौन है...
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???
खेल खेल में क्या कह दिया है आपने,खुशदीप भाई.
क्या मौन में ही भलाई है ?
ब्लाग संसद इस मुद्दे को सीबीगयी मुआफ कीजियेगा सीबीआई से जांच कराने की मांग करती है
बिलकुल सही लिखा है आपने …
आखिर कौन ? बिलकुल एक पुरानी फिल्म के शीर्षक जैसा सवाल 🙂
हाँ हाँ कौन है वो पाजी ?
kisi ka dukh door kijiye
kahe ek do teen ki ginti gin rahe hain ?
कोई न कोई तो होगा ही.:)
हम तो देश की भोली-भाली जनता हैं.. जो करे सब ठीक, सब गलत..
कौन माथा लगाए ऐसी नौटंकियों में.. और काम हैं बहुतेरे..
एक ब्लॉगर पोस्ट लिखता है,
दूसरा ब्लॉगर पोस्ट पढ़ता है,
तीसरा ब्लॉगर वह जो सिर्फ पोस्ट से खेलता है,
ज़वाब तो आपने स्वयं ही दे दिया खुशदीप भाई . 🙂
इस तीसरे ब्लॉगर के पास बहुत सारा समय होता है क्यूंकि पोस्ट लिखनी है नहीं ..पढनी है नहीं…सिर्फ परेशान करना ही इनका ध्येय होता है..
राहुल जी ने सही कहा…सबके पास कोई ना कोई नाम जरूर है..
हम तो गर्मी से ही बेहाल हैं।
ये बिला-बजह बिलागर है.
चुनावों में एक पक्ष होता है और विपक्ष होता है लेकिन ऐसा बहुत बड़ा वर्ग होता है जो कभी पक्ष और कभी विपक्ष बन जाता है और यही निर्णय कराता है। ऐसे ही तीसरा ब्लोगर भी है।
धूमिलजी खुश हो गये होंगे अपनी कविता का ब्लॉगरूपान्तरण देखकर।
आपई बताओ कौन है तीसरा ब्लॉगर! 🙂
बेहद शानदार प्रस्तुति।
तीसरा ब्लॉगर कौन
नीत्से ने कहा था कि "ये तो बाज़ार की मक्खिआँ हैं जो अकारण ही भिन्भिंनाया करती हैं !"
वो हैं तो बाज़ार है. और बाज़ार निर्मम है. दूसरों के मर्म से खेलना ही उसका जीवन है !
बहुत सुन्दर लिखा है आपने
teesra kaun ?
बाबा खुशदीप आनंद की जय हो …
मुझे नहीं पता बाबा !!!
सच्ची..
अपने पास तो बहुत काम है, इसके लिये आजकल अपन तीनों में से किसी भी ब्लॉगर की श्रेणी में नहीं आते ऐसा लग रहा है।
मन में ही सही, लेकिन शायद सबके पास कोई न कोई नाम जरूर है.
ना रोटियाँ अपनी ना चूल्हा और ना ही बर्तन
बस आग अपनी है उसी से करा रहे हैं नर्तन
लाख टके का सवाल……