आज मुझे ई-मेल से मिली ये अद्भुत फोटो देखिए…बस पोस्ट में आज इतना ही…इसके बारे में कल जो आपको बताऊंगा, वो वाकई चौंकाने वाला होगा…
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बच्चा कैसा भी हो
पर मन सच्चा मिलेगा
हिंदी ब्लॉगिंग पर बुक की बुकिंग अभी जारी है
पोस्टों की चर्चा का जायका : चख तो लीजिए जनाब
अच्छी तस्वीरें।
अब अगर राज भाटिया जी ने कुछ नहीं बताया होता तो मेरा कमेंट होता, 'प्यारे बच्चे'
आपकी कल की पोस्ट का इंतजार रहेगा
इतनी सुन्दर और स्वाभाविक कलाकृतियां हैं, कि अपने पास सहेजने का जी करे.
अब कल का इंतज़ार … वैसे राज भाई का आभार !
जय हिंद !
राज भाटिया जी राज तो खोला पर संक्षिप्त , सो आपकी पूर्ण जानकारी वाली पोस्ट का इंतजार रहेगा
राज जी ने राज को राज न रहने दिया. 🙂
भाटिया जी कह रहे हैं तो सही ही होगा ।
वैसे तीन महीने का फीटस भी शायद इतना ही होता है । मैडम जी से कन्फर्म करना पड़ेगा भाई ।
वाह बहुत सुन्दर चित्र हैं……………भाटिया जी ने सारा राज खोल दिया नही तो सोच मे पड गये थे कि सच है या भ्रम्।
bap re bap…..post dekhkar chakkar aa gaya……lekin tippani ne sambhala……..
pranam.
चित्र तो ठीक हैं । ऐसा ही एक मेरी पुरानी पोस्ट पर भी है । अलबत्ता चौंकाने वाले राज में शायद कुछ विशेष हो ।
मैंने भी पहले देखे हैं यह चित्र… अच्छी कलाकारी है.
राज तो खुल गया है, अब कल क्या होगा पोस्ट पर?
मॉडल हैं, भविष्यवाणी नहीं।
खुशदीप भाई क्या राज भाटिया जी, राजीव तनेजा जी ने सब पोल खोल दी है? लेकिन ,फोटो बहुत अच्छे हैं.अब आगे इंतजार है आपके खुश वक्तव्य की .
जो भी है अद्भुद है ! ऐसी कुकीज़ को कैसे खाते होंगे लोग !!
काफी पहले ईमेल से ऐसे चित्र मिले थे जिनमें बताया गया था कि ये जीते-जागते बच्चे नहीं बल्कि कुकीज़ हैं…तब विश्वास नहीं होप रहा था
आज भाटिया जी ने पूरी बात बता दी
बहुत खूब ….
कल का इंतजार है और रहेगा फिर कुछ कहना चाहेंगे ,अभी तो यही सोच रहें हैं की कितना बदल गया इंसान, कितना छोटा होता जा रहा है इंसान ,कहीं एकदिन इंसान गुम ही ना हो जाय….?
ohhhhhhhhhhhhhh.. khush dip ji bs khuaa kare bchcha svsth or khush rahe or khushiyon ke dip jlaata rahe . akhtar khan akela kota rajsthan
ये स्वस्थ तो हैं न ? मुझे अभी परसों गोरखपुर के पास पांच बच्चों के प्रसव की घटना की याद आ गयी -पाँचों बच्चे स्वस्थ थे !मगर भाटिया जी श्याद असली बात कह रहे हैं !
प्रकृति में सारे करिश्मे इंसान ही करता है।
अच्छी कलाकृतियां हैं, शायद ये मोम की बनतीं हैं
अपना ब्लॉग का नया रूप
एक मिनट पहले ही भाटिया साहब ने राज खोल दिया…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
अजी यह कुदरत का कोई करिश्मा नही…इंसान का करिश्मा हे:) यह बच्चे मार्जीपान( बादाम के आटे) से बने हे, ओर यहां बिकते हे, वैसे तो मार्जिपान खाने मे बहुत स्वादिष्ट होता हे, लेकिन मुझे नही लगता कि लोग इन आकृतियो को खाते हो, वैसे इन क्रिशमिश के त्योहारो पर सजाने के लिये काम मे लाते हे,या फ़िर अन्य धार्मिक मोको पर.