मेरा राम तो तेरा मौला है,
एइयो ते बस इक रौला है…
वाकई हर तरफ मोहाली का ही रौला (शोर) है…मैं दिल से चाहता हूं कि मोहाली में आज भारत की जय हो…लेकिन मैं ये भी चाहता हूं कि खेल भावना की किसी सूरत में हार न हो…जब से तय हुआ है कि सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला पाकिस्तान से होगा, सरहद के दोनों ओर हर किसी पर एक जुनून सा सवार हो गया है….क्या मंत्री और क्या संतरी, क्या आम और क्या ख़ास, दोनों देशों के मिलाकर डेढ़ अरब लोग सांस रोक कर मोहाली के नतीजे का इंतज़ार कर रहे हैं…हर ज़रूरी काम को मैच के लिए पीछे धकेल दिया है…मोहाली में क्रिकेट की पिच तो पहले से ही है, कूटनीति का कारपेट और बिछा दिया गया है…
तय है इतने हाइप, इतने प्रैशर के बावजूद भारत का हर खिलाड़ी फाइनल के लिए भारत का टिकट कटवाने को अपना सब कुछ भिड़ाएगा…लेकिन क्रिकेट तो क्रिकेट है…कुछ भी हो सकता है…ऐसे में बेहतर यही है कि हम जोश दिखाने के साथ होश न गंवाएं…अगर जीत गए तो जश्न ज़रूर मनाएं लेकिन शालीनता के साथ…कोई उकसावे वाला काम न करें…और अगर नतीजा ख़िलाफ़ गया तो भी अपने पर काबू रखे…गुस्से का इज़हार करते हुए अपने खिलाड़ियों को ही निशाना न बनाने लगें…याद रहे कि सेमीफाइनल तक भी यही खिलाड़ी भारत को लाए…एक दिन खराब हो जाने से उनके पिछले सारे अच्छे प्रदर्शन को एक झटके में ही न भुला दें…
खेल भावना यही कहती है कि खेल को खेल की तरह ही लें, जंग की तरह नहीं…जो भी टीम, जो भी खिलाड़ी बढ़िया खेलें, उनकी तारीफ़़ करें…यहां ये भी याद रखा जाए कि हम सेमीफाइनल में पाकिस्तान के लिए मेज़बानी कर रहे हैं…इसलिए मेज़बान का क्या धर्म होता है, ये दुनिया में भारतीयों से अच्छी तरह कौन जानता है…
हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और न आता हो हमको,
हमें प्यार निभाना आता है…
आज बस यही दुआ की जाए कि बढ़िया क्रिकेट के साथ बढ़िया कूटनीति देखने को मिले…सरहद के इस पार या उस पार दोनों तरफ़ के लोगों के बीच की दूरियां घटें…पंजाब की मिट्टी से जो आज खुशबू उड़े वो सारी तल्खियां दूर कर दें…सुनाई दें तो बस दोस्ती के तराने, मस्ती के टप्पे और बुल्लेशाह के बोल- बुल्ला कि जाणा मैं कौण…
लीजिए पहले सुनिए गुलज़ार साहब के पैग़ाम को….
और अब जगाइए अमन की आशा…
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sabhi ko bahut bahut badhai
aakhir jeet pa hi li khushdeep bhai
यदि मैचों से किसी समस्या का समाधान होने वाला होता तो आगामी कई शताब्दियों की समस्यायें सुलझ गयी होतीं. खुशफहमी ठीक नहीं…
अब आउट हो गएँ है छै ,बस होने ही वाली है जय
भाई खुशदीप जी,हमारे गेदबाजों ने भी कमाल कर दिया है अब तो चार विकेट चटका कर.बस अब तो इंतजार है भरी भरकम जीत का.
असी ते जी फैसला कित्ता है के टी.वी., नैट ते रेडिओ तों अज असी दूर ही रवांगे….लोग कमले हो गए ने…सारे टी.वी नाल चिपके पये ने…की हो गया है यार ?मुंडया नूं खुल के खेलन दयो अवें प्रेशर ना पाओ…पर नहीं जी…असी सोच्या जो दुनिया कर दी पई ऐ ओ असी ना करिए…देखो कदों तक बच सकने आँ…सत वजे तक ते पता नहीं चल्या कौन खेडदा प्या है ते किस्दे किन्ने रन बने ने…लोगां दियां दूरों शकलां देख के मजा आ रया है… सच्ची…
नीरज
अभी तक तो सब कुछ ठीक ठाक सा ही चलता दिखाई दे रहा है,सिवाय भारत के कम स्कोरिंग रेट के.पाकिस्तान की गेंदबाजी के आगे बेबस सी.
भारत के साथ ही खेल भावना की जीत के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ…
Sahi soch.
—————
जीवन की हरियाली के पक्ष में।
इस्लाम धर्म में चमत्कार।
दिल से निकली बात तो मेरी समझ में भी, आ जाती है,दिमागों को नही पड़ सकता ….
कोई भी जीते…पर जीत इंसानियत की हो …
खुशी से चेहरे चमकें
दीप से दुनियां दमकें …खुश दीप
खुश रहो ,स्वस्थ रहो ,
अशोक सलूजा |
khel bhavna me 'har ya jit' dono hi isthitiyan swikarya hone chahiyen..
lekin lehar ko dekhkar hone wale asar
kya hoga……dekhte hain raat 12 baje……..
pranam.
लातों के भूत बातों से नहीं मानते
jai baba banaras………
टीम भारत के लिए शुभकामनाएँ.
kaise bhi jeeta do bhaiya………bas yahi kahunga..:)
मनमोहन सिंह जी से तो किसी कूटनीति की उम्मीद नहीं है। बस खिलाडियों पर ही भरोसा है। वैसे खेल को खेल भावना से ही लेना चाहिए।
हम तो प्यार निभाये निभाये परेशान हो गये, कोई समझे तो सही।
बिल्कुल दुरूस्त फ़रमाया खुशदीप भाई लेकिन अब इन ससुरे नेताओं को कौन समझाई लगा दी अपने टेबल जानबूझ कर वहीं । चलिए उम्मीद की जाए कि सब अच्छा अच्छा ही हो
भारत को शुभकामनाएं
पर जो सरकार कर रही है वह पूरी तरह से गलत है, कसाब को इतने आराम से रहने दे रही है और फिर वार्ता, इतिहास गवाह है लातों के भूत बातों से नहीं मानते
इस सरकार को कुछ नहीं सूझा तो यह शुरू कर दिया, यह खेल पूरी तरह से राजनैतिक हो चुका है अब चाह कर भी इसको खेल भावना से नहीं देखा जा सकता 🙁
ज़ुनून ठीक नहीं। खेल को खेल ही रखें। अच्छे खेल की तारीफ करें।
टीम इंडिया के लिये हमारी शुभकामनाएँ…
पर जो हो रहा है वह अच्छा नहीं हो रहा…
अमन के पैगाम और आशा के नाम पर जो २६/११ के शहीदों के साथ हुआ उसका जबाब तो दे पहले सरकार फ़िर नई बातें करे ।
क्रिकेट और कूटनीति में कुछ बढियां देखने की आशा हम भी लगाये बैठे हैं…लेकिन उम्मीद कम है क्योकि इनके शीर्ष पर इतने शर्मनाक स्तर के भ्रष्ट व चरित्रहीन लोगों का कब्ज़ा है की कुछ अच्छा का उम्मीद एक सपना जो कभी पूरा नहीं होने वाला है लगता है…..? लेकिन सपना देखना ही चाहिए क्या पता इस देश के हालात बदलने के साथ ये भी बदले….
टीम भारत के लिए शुभकामनाएँ..अब बस कुछ घंटे और…..
खेल को खेल ही रहने दो….
कोई नाम न दो….