‘मूर्ख’ को भारत सरकार सम्मानित करेगी…खुशदीप

अब जितने भी तथाकथित बुद्धिजीवी है, उन्हें इस शीर्षक ने ज़रूर कचोटा होगा…शायद लबों से ये गीत भी निकल गया होगा…हाय राम, मूर्खों का है ज़माना…अब जिन ‘मूर्ख जी’ का यहां उल्लेख किया है, उन्होंने स्वयंभू की तरह खुद को ‘मूर्ख’ घोषित किया है…बिना किसी रिजर्वेशन मूर्खों के अतिविशिष्ट समुदाय में एंन्ट्री के विरोध में देश भर में आंदोलन होने लगे तो कोई बड़ी बात नहीं…जेपीसी की तरह संसद में भी ये मुद्दा उछल सकता है…एक चतुर सुजान का मूर्खों के हक पर डाका डालना, वाकई घोर कलयुग है…ऊपर से तुर्रा ये कि महाशय इधर अपने मूर्ख होने का डंका बजाएं और लगे हाथ भारत सरकार इन्हें सम्मानित करने की घोषणा भी कर दे…

अब तो ये सब जानकर मेरा खुद ही संघर्ष के दिलीप कुमार की तरह गाना गाने का मन कर रहा है…

कोई मुझको भी मूर्ख बना दे तो फिर मेरी चाल देख ले…

आप भी सोच रहे होंगे, एक अप्रैल तो अभी काफी दूर है, फिर मैं क्यों ये मूर्ख-मूर्ख की रट लगाने लगा…चलिए अब सस्पेंस को ताक पर राख कर आपको हक़ीक़त बता ही देता हूं…

भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 29 नवंबर 2010 को अपने पत्र के ज़रिए ऐसी सूचना दी है जिसे जानकार पूरा ब्लॉग जगत खुद को गौरान्वित समझेगा…हिंदी के उत्थान में विशिष्ट योगदान के लिए अविनाश वाचस्पति भाई को वर्ष 2008-09 के हिंदी साहित्य सम्मान के लिए चुना गया है…अविनाश भाई ये पुरस्कार 15 दिसंबर 2010 को अपराह्न साढ़े तीन बजे सूचना और प्रसारण सचिव के हाथों ग्रहण करेंगे…पुरस्कार समारोह दिल्ली में शास्त्री भवन के प्रथम तल पर स्थित सूचना कार्यालय के सम्मेलन हॉल में होगा…राजभाषा विभाग की निदेशक प्रियम्वदा ने अविनाश जी को सम्मान दिए जाने की सूचना दी है…