महफूज़ के बुलावे पर जुटे ब्लॉगर्स लेकिन मीट नाम से बिदके…खुशदीप

गुरुवार को ऑफिस में व्यस्त था…मोबाइल ऑफिस में मैं साइलेंट पर रखता
हूं लेकिन आंखों के सामने ही रखता हूं ताकि पता चल जाए कि किसका है…वाइब्रेशन
हुआ तो मोबाइल पर नज़र गई…महफूज़ अली का नाम फ्लैश हो रहा था…बात की तो दूसरी
तरफ़ से हक़ वाले आदेश मेें आवाज़ आई…
भईया परसों शनिवार को दोपहर 3 बजे 11, अमृता
शेरगिल मार्ग पर पहुंचना है…एक छोटा सा गैट-टूगेदर रखा है
…अब महफूज़ है तो शॉर्ट नोटिस के लिए
आपको तैयार रहना ही होगा…ये टेंशन आपकी है महफूज़ की नहीं…महफूज़ का सीधा
फंडा है…नो इफ़ – नो बट, ओनली जट…इसलिए दूसरे सब काम छोड़कर हाज़री लगाना लाज़मी था…गनीमत
थी कि महफूज़ ने शनिवार मेरी छुट्टी वाला दिन चुना था…

रैंप पर ना सही लॉन पर ही मॉडलिंग सेशन 

 कुछ साल पहले भी महफूज़ ने इसी तरह इसी लोकेशन पर बुलाया था…यहां
गज़ाला जी रहती हैं…उनकी पुरानी शानदार मेज़बानी आज तक याद थी…इसलिए जाने का
ये भी एक अट्रैक्शन था…दिल्ली में कहीं आना जाना अब ओला-उबर कैब्स ने आसान कर
दिया है…पहुंचते पहुंचते मुझे सवा तीन बज गए…

ओनली जेंट्स क्लब



मेन गेट पर ही
टी-शर्ट्स में दो गबरू जवान बात करते दिखाई दिए…पीली टी-शर्ट वाला तो ख़ैर
महफूज़ ही था…देखते ही गले मिलकर स्वागत किया…लेकिन नीली टी शर्ट में दूसरे
गबरू जवान को गौर से देखा और मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया तो ये क्या…

दो बांके गबरू जवान



अरे ये तो अपने
डॉ टीएस दराल सर निकले…जिम जाने का दराल सर पर साफ़ नज़र आ रहा था…हैंडसम तो
खैर पहले ही थे अब और निखरे दिख रहे थे…



लेडीज़ क्लब में घुसने की कोशिश करते महफूज़ और इसे कैमरे में कैद करते हितेश



अब सुनिए आगे की…जहां महफूज़ हो, वहां कोई गड़बड़ ना हो, ये भला
कैसे हो सकता है…महफूज़ ड्राईंग रूम में जाने वाले गेट की चाबी ही ना जाने कहां
रख कर भूल गए…इसलिए पिछले गेट से ही अंदर जाना पड़ा…गज़ाला जी किचन में
तैयारियों में व्यस्त थीं, हमारी आवाज़ सुनकर बाहर आईं और चिरपरिचित मुस्कान के
साथ हमारा अभिवादन किया…अंदर पहुंचे तो टाइम की पंक्चुअल अंजू चौधरी पहले से ही
वहां मौजूूूद थीं…फिर धीरे धीरे और भी लोग आते गए…मुकेश कुमार सिन्हा, शाहनवाज़,
तारकेश्वर गिरी, सुनीता शानू, वंदना गुप्ता, हितेश शर्मा, आलोक खरे, ब्रजभूषण खरे, संंजय (एनएसडी से जुड़े अभिनेता मॉम, तलवार जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं),
रमेश सिंह बिष्ट


चाय की टेबल से ही अंदाज़ लगाइए शानदार मेज़बानी का 


पहले ड्राइंग रूम में ही कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स का दौर चलता
रहा…साथ ही हंसी मजाक भी…पहले तो ब्लॉगर मीट के नाम पर ही ठहाके
लगे…मैंने कहा भई अब ज़रा मीट नाम से परहेज ही किया करो…ना जाने किसे कब क्या
गलतफ़हमी हो जाए कि कौन सा मीट है…आधा घंटा वहीं जमे रहे…आलोक खरे, रमेश सिंह
बिष्ट, संजय कुमार और हितेश शर्मा से पहली बार मिला…मिल कर अच्छा लगा…हितेश
नौजवान घुमक्कड़ी ब्लॉगर है…इनके ब्लॉग का नाम भी घुमक्कड़ी डॉट कॉम है…इस
युवा में कुछ करने का जज्बा दिखा…डिजिटल वर्ल्ड में ही पूर्ण रोज़गार की
संभावनाएं तलाशने की ओर अग्रसर हितेश की योजनाओं के बारे में जानना सुखद रहा…


गहन विमर्श के लम्हे को कैद करतीं सुनीता शानू, काली टी शर्ट में होस्ट गज़ाला


बातों में टाइम का पता ही नहीं लग रहा था कि फिर गज़ाला जी ने चाय के
लिए बाहर लॉन के पास खुली बैठक में बुला लिया…इस घर में हर चीज़ में नफ़ासत
दिखाई दी…और खुले लॉन के तो कहने ही क्या…दिल्ली जैसे भीड़-भाड़ वाले शहर में
इस तरह की जगह दिल और दिमाग को बहुत सुकून देती है…इतना खूबसूरत नज़ारा देखकर
सभी के मोबाइल फ्लैश चमकने लगे…हितेश के पास प्रोफेशनल कैमरा था…इसलिए वो भी
अपना फोटोग्राफी का हुनर दिखाने लगे…फोटो खींचते वक्त हर बार की तरह सबसे लंबे
होने की वजह से मुझे, शाहनवाज़ और तारकेश्वर को पिछली पंक्ति में खड़ा होना
पड़ा…शाहनवाज़ ने चुटकी भी ली कि ये हमारे साथ नाइंसाफ़ी है…फोटो लिए जाते
वक्त हम ढक जाते हैं और बस हमारा चांद सा मुखड़ा ही नज़र आता है…


यूपी वाला ठुमका लगाऊं कि हीरो जैसे नाच कर दिखाऊं


फोटो के साथ खाने-पीने का दौर भी चल रहा था…यहां पीने का अर्थ चाय,
पानी और कोल्ड ड्रिंक्स ही निकाला जाए…चलिए अब आपको खाने में क्या क्या था वो भी
बता ही देते हैं…इडली साम्भर, नारियल चटनी, खांडवी, समोसा, कई तरह की बर्फी
आदि…सब इतना स्वाद कि डायटिंग पर होते हुए भी काफ़ी कुछ चट कर गया…गज़ाला जी
को पिछली बार की मेज़बानी का अब तक याद था कि मैं चाय में चीनी नहीं लेता…इसलिए
वो मेरे लिए बिना चीनी वाली चाय अलग से लेकर आईं…


तू खींच मेरी फोटो, तू खींच मेरी फोटो…


अब इतना पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि ब्लॉगिंग पर भी कोई बात हुई
या नहीं…पहली बात तो ये कि बहुत अर्से बाद सब आपस में मिल रहे थे…इसलिए
अनौपचारिक बातों पर ज़्यादा ज़ोर रहा…फिर भी सबसे पहले तो इस बात पर खुशी जताई
गई कि एक जुलाई से हिन्दी ब्लॉगिंग में दोबारा जान फूंकने की मुहिम को जिस तरह का
समर्थन मिला वो वाकई बहुत उत्साहवर्धक है…हर ब्लॉगर शिद्दत के साथ चाहता है कि
ब्लॉगिंग की पुरानी चहल-पहल लौटे और अब इसे लेवल 2 की तरह लेते हुए ऊंचे मकाम पर
ले जाया जाए…

आज की इस मुलाकात में चर्चा हुई कि किस तरह ब्लॉगर्स सामूहिक प्रयास
से आर्थिक मॉडल खड़ा कर सकते हैं…अब बड़े बड़े मल्टीनेशनल प्लेटफॉर्म्स की
हिन्दी समेत तमाम भारतीय भाषाओं के कंटेंट पर नज़र है…अंग्रेजी उनके लिए अब
सेचुरेशन लेवल पर आ गई है…इसलिए उन्हें भारत में सारी संभावनाएं क्षेत्रीय
भाषाओं में ही दिखाई दे रही हैं…इसलिए ब्लॉगर्स को अब कंटेंट को लेकर बहुत सजग
हो जाना चाहिए कि उसे कैसे ज़्यादा से ज़्यादा पाठक मिलें…अगर 100-200 ब्लॉगर्स में
ही नेटवर्किंग तक हम अपना दायरा सीमित रखेंगे तो बात नहीं बनने वाली…हम आपस में
ही टिप्पणियां देते-लेते हुए ही खुश ना हों…हमें अपना पाठक वर्ग बढ़ाते हुए
डिजिटल प्रेसेंस की आवश्यकताओँ जैसे
SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन), Key Words, SMO
(सोशल मीडिया
ऑप्टिमाइजेशन) के बारे में भी बुनियादी जानकारी रखनी होगी…जब आपके पास पाठक वर्ग
बनने लगेगा तो जिन प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट की जरूरत है वो आपको अपने साथ जोड़ना
पसंद करेंगे…जाहिर है इससे आपके लिए आर्थिक लाभ की भी अच्छी संभावनाएं बनेंगी…आपकी
कोशिश यही होनी चाहिए कि कैसे अच्छे से अच्छा कंटेंट देकर अपने पाठक बढ़ाते
जाएं…

इसके अलावा आज की बैठक में हिंदी ब्लॉगिंग के लिए चिट्ठा जगत और
ब्लॉगवाणी जैसे मज़बूत एग्रीगेटर दोबारा खड़े करने की आवश्यकता जताई गई…ऐसा
ठिकाना जहां सभी को हर पुराने नए ब्लॉगर्स की ताजा पोस्ट आते ही उसकी जानकारी मिल
जाए…एग्रीगेटर कोई भी हो उसे अच्छी तरह चलाने के लिए हर साल कुछ न्यूनतम खर्च
आता है…इसकी भरपाई एग्रीगेटर चलाने वाला अपनी जेब से ही करता रहे तो ये भी सही
नहीं है….अब सही मायने में एग्रीगेटर हमारीवाणी (शाहनवाज़) और ब्लॉग सेतु (केवल राम)
ही बचे हैं…इन्हें मज़बूती के साथ चलाना है तो 100 से 500 रुपए तक सालाना अंशदान
हर ब्लॉगर आसानी से कर सकता है…इस बारे में शाहनवाज़ और केवल राम को साझा
प्रस्ताव तैयार कर मेल के जरिए सभी ब्लॉगर्स को भेजना चाहिए…

एक और बात पर चर्चा हुई…अख़बार और वेबपोर्ट्ल्स को आजकल कंटेंट की
आवश्यकता होती है तो उन्हें ब्लॉगर्स से बढ़िया मुफ्त का माल और कहां मिलता
है…यहां आपको एक बात समझनी चाहिए कि कोई आपकी सामग्री इस्तेमाल करता है तो आप पर
एहसान नहीं करता…ये आपकी बौद्धिक संपदा है, जिसे किसी को भी आपकी अनुमति के बिना
उठा लेने का अधिकार नहीं है…आप सिर्फ अपना नाम देखकर और अखबार में छपे हैं ये
सोचकर ही खुश मत हो जाया करें…इसकी कीमत भी वसूल करें…अखबार जब किसी का लेख
छापता है तो उसे आर्थिक भुगतान करता है या नहीं…आखिर वो चैरिटी के लिए तो काम कर
नहीं रहे…वो प्रोफेशनली पैसा कमा रहे हैं तो फिर उन्हें ब्लॉगर्स को भुगतान करने
में परेशानी क्यों…इस पर ब्लॉगर्स को मिलकर एक नीति बनानी चाहिए…एकता में
शक्ति है, ये ब्लॉगर्स का मूलमंत्र होना चाहिए…

ये तो रही आज की बैठक की बातें…आप सब भी, ब्लॉगिंग को मज़बूत करने के
लिए क्या-क्या किया जा सकता है, इस पर अपनी राय से सभी को अवगत  कराएं…
#हिन्दी_ब्लॉगिंग का कारवां
अब जो दोबारा शुरू हुआ है उसे रूकने नहीं देना है…

जय हिन्द…जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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संजय भास्‍कर

शानदार आयोजन शानदार वर्णन

डॉ टी एस दराल

बहुत शानदार वर्णन किया है। खेल खेल में सभी काम की बातें भी शामिल कर एक सार्थक पोस्ट को जन्म दिया है। आशा है कि ब्लॉगिंग में अब फिर से जान आ जाएगी।

Bhavana Lalwani
7 years ago

finally realize toh hua ki aur bhi bloggers hain jinke blogs pe jaakar aap mein se bahut se blogger saadar parnaam ki takhti lagaa ke apni post ke link tang aaya karte hain.. kewal wahi gine chune naam har jagah dikhte hain jinke latest ya daily posts har jagah chaaai rahti hain… wahi rah rah k 100-50 bloggers

Khushdeep Sehgal
7 years ago

अजय भाई, आप भले ही इसे मेरे ब्लॉग पर आख़िरी टिप्पणी बताएं लेकिन मैं आपके ब्लॉग पर हमेशा की तरह आता रहूंगा…मैं आपका लिखा पसंद करता हूं और किसी कीमत पर उसे मिस नहीं कर सकता…

जय हिन्द…

रश्मि प्रभा...

जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग

अजय कुमार झा

अप आहत हुए , क्षमाप्रार्थी हूँ | इसे आपके ब्लॉग पर मेरी आखिरी टिप्पणी मानें | खेद सहित पुनः माफी |

ब्लॉग बुलेटिन

आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १७५० वीं पोस्ट … तो पढ़ना न भूलें …

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "१७५० वीं बुलेटिन – मेरी बकबक बेतरतीब: ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (17-07-2017) को "खुली किताब" (चर्चा अंक-2669) पर भी होगी।

सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सुशील कुमार जोशी

बहुत सुन्दर।

Khushdeep Sehgal
7 years ago

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

अजय कुमार झा

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

अजय कुमार झा

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

ताऊ रामपुरिया

सभी को एक साथ देखकर बहुत खुशी हुई, लगता है पुराना समय लौट रहा है. किसी दिन हम भी पहुंच ही जायेंगे.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

vandana gupta
7 years ago

आपकी कमी रही बस

vandana gupta
7 years ago

जितना शानदार आयोजन था उतनी ही शानदार रिपोर्टिंग रही ……….सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा और ब्लॉगिंग की संभावनाओं पर विमर्श जरूर एक दिन कामयाब होगा ऐसी उम्मीद बंधी .

Khare A
7 years ago

इसमें कोई शक़ नही की जसी तरह से महफूज़ भाई ने एक फ़ोन कॉल पर सभी को इकठ्ठा होने को कहा और हम में से अधिकतर लोग बिना किसी लाग लपेट के वहां उपस्थित हुए यह अपने आपमें काबिलेतारीफ और ब्लोग्गेर्स के एक अच्छे भविष्य की और संकेत देती है! गज़ाला जी की मेहमान नवाज़ी बेजोड़ रही! बाकि मीट कितनी शानदार रही आपकी पोस्ट बतला रही है!

केवल राम

बढ़ते चलें यह कदम मंजिल की ओर न रुकें हम, लक्ष्य प्राप्ति तक.

शोभना चौरे

वाह हम जैसे लोगों को काफी जानकारी मि
मिली। सभी का आभार

yashoda Agrawal
7 years ago

दम है रिपोर्टिग में
अमल में आए तो सही
सादर

विवेक रस्तोगी

वाह बढ़िया रिपोर्टिंग

Khushdeep Sehgal
7 years ago

आप की कमी खली अजय भाई, मैंने कल आपके नाम का ज़िक्र करते हुए कहा कि ब्लॉगिंग को पॉपुलर करने में आपकी सक्रियता का महत्ती योगदान रहा है…

अजय कुमार झा

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

Shah Nawaz
7 years ago

कल सबका इस दिलदारी और खुलूस से मिलना ब्लॉग जगत में फिर से बहार की दस्तक दे रहा है, महफूज़ भाई और गज़ाला जी ने बेहतरीन मेहमान नवाज़ी की, बेहद शुक्रिया!

Shambhu Nath
7 years ago

गुड़

Sachin tyagi
7 years ago

ऐसी मीट सॉरी ब्लॉगर गोष्टी होती रहनी चाहिए।

रजनीश के झा

सुन्दर विवरण।

मुकेश पाण्डेय चन्दन

जय हिंद ,जय ब्लॉगिंग

मुकेश पाण्डेय चन्दन

जय हिंद ,जय ब्लॉगिंग

दिनेशराय द्विवेदी

ऐसी पार्टियाँ होती रहें। महफूज ने बढ़िया किया जो यह सब किया। पर मुझे फोन नहीं किया इस लिए उस से आज कल कु्ट्टी है, न आते तो न आते फोन तो करता। खैर! हमारीवाणी ब्लागसेतु के प्रस्तावों का इन्तजार रहेगा।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

बल्ले बल्ले

Taarkeshwar Giri
7 years ago

सच में, बहुत ही बढ़िया लगा

Khushdeep Sehgal
7 years ago

ऐसा ज़ुल्म ना करें नहीं तो सारे ब्लॉग जगत को मनाने हरिद्वार आना पड़ जाएगा…

Udan Tashtari
7 years ago

ये सिलसिला जारी रहे..अनेक शुभकामनायें…जय हिन्द…जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग

हितेश शर्मा

कल की शाम को बेहद शानदार तरह से शब्दों में पिरोया जी आपने।

Unknown
7 years ago

मैं कुछ नहीं बोलूंगी, चुप रहूंगी

Girish Kumar Billore
7 years ago

एकदम पारिवारिक बुलावा और वैसा ही जमाव
अब सब एक एक शहर इसे ही मिलें फिर धीरे से ही ब्लागिंग की चर्चा हो
बधाई

Archana Chaoji
7 years ago

अच्छा लगा सबका मिलना, मेरे पास दो क्षेत्र है दोनों में उपस्थिति लगाती रहूँगी, भले सब एक साथ न मिल पाए पर ,मुझे खुशी होती है सबसे मिलते रहने से ,अभी बंगलौर में भी हम दो चार ही सही पर मिले और अब इंदौर में फिर कोशिश करेंगे …बधाई सबको एकजुट होने की …👍

Kavita Prasad
7 years ago

Bahut maza aaya Sir apki mulakaat ke kisse sunkar, acha lagta hai jab itani masroofiyat ke daur main sab mil baith kar kisse, zindagi aur gyaan char cha hoti hai. Bahut khoob :]

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