मक्खन LAUGHTER HATTRICK…खुशदीप


बडे़ दिन से मक्खन छुट्टी पर था…सोचा कहीं ब्लॉगर बिरादरी मक्खन को भूल ही ना जाए…इसलिए आज मक्खन की ही हैट्रिक…

मक्खन रोज़ छत पर कपड़े धोने के लिए बैठता… लेकिन उसी वक्त झमाझम बारिश शुरू हो जाती…मक्खन बेचारा सोचता, कपड़े धोने के बाद सूखेंगे कैसे….बेचारा मन मार कर अपने कमरे के अंदर चला जाता…एक दिन मक्खन कमरे से बाहर निकला तो देखा…

कड़कती धूप निकली हुई थी…मक्खन ने सोचा…आज मौका बढ़िया है, कपड़े धोने का…मक्खन ने कपड़े धोने का सब ताम-झाम बाहर निकाला…

……………………………………………………

…………………………………………………..

……………………………………………………

……………………………………………………

…………………………………………………..

लेकिन ये क्या सर्फ तो डिब्बे में था ही नहीं…मक्खन फटाफट गली के बाहर जनरल स्टोर की तरफ़ भागा…मक्खन जनरल स्टोर के अंदर ही था कि अचानक बादल ज़ोर ज़ोर से गरजने लगे…दिन में ही अंधेरा छा गया…मक्खन जनरल स्टोर से बाहर निकला…दोनों हाथ झुलाते हुए आगे पीछे करने लगा और फिर बड़ी मासूमियत से आसमान की तरफ़ देखकर बोला…

होर जी, किंदा….मैं ते एवें ही बस…बिस्किट लैन आया सी…तुसी गलत समझ रेयो जी…


——————————


हिसाब-किताब बराबर…

 

एक बार एक बच्चे ने मक्खन की दुकान से 45 रूपए का सामान खरीदा और उसे 5 के नोट में 5 के आगे 0 लगा कर दिया और कहा,” ये लो 50 रुपए 5 रूपए वापस दो”…

मक्खन को यह पता चल गया…”अच्छा बच्चू मुझे बनाने आया है…तो मैं भी इसका बाप हूं”…

मक्खन ने जेब से 50 का नोट निकाला और उसका 0 पेंसिल से काट दिया और बोला…


ले 5 रूपए, अब तो हिसाब बराबर?”


………………………………………..

वकीली संतरा

प्रोफेसर: मक्खन अगर तुम्हे किसी को संतरा देना हो तो क्या बोलोगे?

मक्खन : ये संतरा लो…

प्रोफेसर: नहीं, एक वकील की तरह बोलो…

मक्खन : “मैं एतद द्वारा अपनी पूरी रुचि और बिना किसी के दबाव में यह फल जो संतरा कहलाता है, को उसके छिलके, रस, गुदे और बीज समेत देता हूँ और साथ ही इस बात का सम्पूर्ण अधिकार भी कि इसे लेने वाला इसे काटने, छीलने, फ्रिज में रखने या खाने के लिये पूरी तरह अधिकार रखेगा और साथ ही यह भी अधिकार रखेगा कि इसे वो दूसरे को छिलके, रस, गुदे और बीज के बिना या उसके साथ दे सकता हैऔर इसके बाद मेरा किसी भी प्रकार से इस संतरे से कोई संबंध नहीं रह जाएगा”…

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Anju (Anu) Chaudhary
11 years ago

जय हो :)))

नीरज गोस्वामी

Ha ha ha ha ha ha …Swaad aa gaya

chander prakash
11 years ago

Wahi hua jis ka darr tha. Mere aapbeeti thhee, naam makhan ka ..

डॉ टी एस दराल

हा हा हा ! मक्खन ते मक्खन दा मक्खन ही रह्वेंगा !

shikha varshney
11 years ago

मक्खन का तो कोई जब्बा ही नहीं 🙂

ताऊ रामपुरिया

मक्खन के दिमाग का ढक्कन हमेशा खुला रहता है.:) जीयो मक्खन जीयो.

रामराम.

vandana gupta
11 years ago

बहुत खूब

Shah Nawaz
11 years ago

होर जी, किंदा….मैं ते एवें ही बस…बिस्किट लैन आया सी…तुसी गलत समझ रेयो जी…

ha ha ha… Zabardast Makkhan….

अनूप शुक्ल

आज का दिन ’मक्खन दिवस’ के नाम से मनाया जाये।

Satish Saxena
12 years ago


धन्य हुए खुशदीप भाई इस शानदार बोध कथा को पढ़ कर ..बहुतों की बुद्धि खुलेगी ! तीनों कथाओं से मुझे जो बोध मिला वह लिख रहा हूँ !

१. मक्खन की समझदारी से बादल तुरंत बापस चले गए होंगे
२. बड़ों को कभी बेवकूफ नहीं समझना चाहिए !
३. कसम खुदा की , मक्खन अगर मुझे मिल जाए तो मेरे गीत देश में धूम मचा दें ..अब पता चला देशनामा के पीछे केवल मख्खन का दिमाग है !

प्रवीण पाण्डेय

दुकान वाला दमदार है, मक्खनजी..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

बहुत सुन्दर प्रस्तुति…!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (17-06-2013) पिता दिवस पर गुज़ारिश : चर्चामंच 1278 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x