मक्खन स्वामी जी के सत्संग से घर वापस आया…
उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी…
वो लगातार राधे-राधे गाए जा रहा था…
घर में पैर रखते ही मक्खन मक्खनी से बड़े प्यार से मिला…
फिर उसने मनमोहक मुस्कान के साथ मक्खनी को बाहों में उठा कर नाचना शुरू कर दिया…
ये सब देखकर मक्खनी हैरान-परेशान…
कहां हमेशा घर में करेले जैसा सड़ा सा मुंह लेकर बैठे रहने वाला मक्खन…
और कहां मक्खन का ये नया रोमांटिक अंदाज़…
मक्खनी से रहा नहीं गया, आखिर पूछ ही बैठी…
क्या स्वामी जी ने आज रोमांटिक होने की घुट्टी पिलाई है…
मक्खन…राधे-राधे, ये बात नहीं है प्राण-प्यारी…
मक्खनी…फिर क्या बात है…
मक्खन…दरअसल स्वामी जी ने आज सिखाया है.. कि हमें…
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…हमें अपने बोझ और दुखों को भी खुशी-खुशी उठा कर जीना सीखना चाहिए…राधे-राधे…
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और ढक्कन कहाँ गया ….?? शुभकामनाएं !!