भारत रत्न मेकर हैं राहुल गांधी…खुशदीप

राहुल गांधी जी शुक्रिया…जैसे कुछ लोग किंग नहीं किंगमेकर होते
हैं…वैसे ही आप भारत रत्न नहीं, भारत रत्न मेकर हैं…आप सचिन तेंदुलकर का
विदाई टेस्ट देखने मुंबई जाते हैं…दिल्ली लौटते हैं…मम्मा से बात करते हैं…
प्रधानमंत्री से बात करते हैं…और एक दिन में सचिन को भारत रत्न देने
का ऐलान हो जाता है..


.और ये सब जानकारी दुनिया को और कोई नहीं, आप के ही एक
सिपहसालार राजीव शुक्ला देते हैं…राजीव शुक्ला जी की बात पर विश्वास ना करने का
कोई मतलब ही नहीं…राजीव शुक्ला अकेले शख्स हैं जो पॉलिटिक्स, क्रिकेट और बॉलीवुड
में एकसाथ टॉप पावर सेंटर्स के साथ नज़दीकी रखते हैं…अब पॉलिटिक्स में
सोनिया-राहुल हों या बॉलीवुड में शाहरुख ख़ान या फिर क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर
(श्रीनिवासन और शरद पवार को छोड़िए ना)…भई बात हैं बंदे में…ना जाने क्या
घुट्टी पिलाते हैं कि हर कोई इनका मुरीद हो जाता है…

राजीव जी सचिन के राज्यसभा पहुंचने का किस्सा भी एक दो दिन पहले बड़े
चाव से मीडिया को सुना रहे थे…कैसे सोनिया गांधी ने सचिन को राज्यसभा में लाने
की इच्छा जताई…और कैसे उन्होंने राजीव शुक्ला को सचिन से उनकी इच्छा पूछने के
लिए कहा….राजीव शुक्ला ने पूछा और सचिन राज्यसभा में जाने के लिए तैयार हो गए…


राजीव शुक्ला आज सचिन को भारत रत्न दिए जाने के बाद यूपीए सरकार का
शुक्रिया करना भी नहीं भूले…गोया सचिन को देश का ये सबसे बड़ा नागरिक सम्मान क्रिकेट में उनके योगदान के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस आलाकमान की कृपा से
दिया जा रहा हो…

चलिए भारत रत्न पर राजनीति की बात हो गई…अब एक मुद्दे की बात…

सचिन ने 24 साल क्रिकेट, भारत और भारतवासियों को बहुत कुछ
दिया…उन्होंने ना जाने कितनी बार 
अपने खेल से देश के सवा अरब नागरिकों को छाती चौड़ी करने का मौका
दिया…दुनिया को अहसास कराया कि भारत के लोग भी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ होने का
माद्दा रखते हैं…एक छोटा सा उदाहरण है जब सचिन 15 नवंबर 1989 को पहली बार भारत
की टेस्ट कैप पहन कर पाकिस्तान के खिलाफ मैदान में उतरे थे तो उस 
वक्त अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट प्रबंधन में बीसीसीआई को कोई घास तक नहीं
डालता था…और आज 16 नवंबर 2013 को
 सचिन
ने क्रिकेट को अलविदा कहा है तो बीसीसीआई पैसे से इतना ताकतवर है कि जब चाहे
आईसीसी की बांह मरोड़ सकता है…

सचिन ने हम लाखों भारतीयों के लिए अनगिनत बार खुश
होने, नाचने-झूमने के 
लिए ज़मीन तैयार की…सब का ढाई दशक तक भरपूर मनोरंजन किया…SACH  ENTERTAINMENT…सचिन जैसे बल्ले से रनों का तूफ़ान
निकालते थे ठीक आज वैसे ही जाते-जाते उन्होंने सीधे दिल से निकली आवाज़ से जज़्बात का
सुनामी ला दिया…पहली बार सचिन के मुंह से लोगों ने सुना कि वो गुरु, पिता, मां,
पत्नी, बच्चों, भाई, बहन और अन्य करीबियों के लिए क्या भावनाएँ रखते हैं…सचिन के लिए किसने क्या क्या बलिदान दिए…आखिरी बार पिच को चूमकर मैदान से बाहर जाते हुए सचिन की आंख से छलके दो आंसू पूरे देश को रुलाने के लिए 
काफ़ी थे…



सचिन आप भारत रत्न के हर मायने से हक़दार हैं…ये विडंबना है कि
आज़ादी के इतने साल भारत सरकार ने भारत रत्न दिए जाने के लिए खेल के क्षेत्र को भी
उपयुक्त पाया है…ऐसा ना होता तो हॉकी के जादूगर 
दद्दा (मेजर ध्यानचंद) को ये सम्मान कब का मिल गया होता…



बेहतर तो
यही होता कि सचिन के साथ ही दद्दा को भी भारत रत्न देने का ऐलान होता…ऐसा नहीं
हुआ…सचिन नियति ने आप का भारत रत्न बनने वाला पहला खिलाड़ी होना तय कर रखा था…वैसा
ही हुआ…लेकिन सचिन अब आप से अपील है…आप खुद ही दद्दा को भारत रत्न जल्दी से
जल्दी दिए जाने के लिए मुहिम छेड़ें…यकीन मानिए इससे आपका कद हर भारतीय की नज़र
में और ऊंचा हो जाएगा…


खैर ये तो रही खेल और भारत रत्न की बात…अब एक सवाल…लाखों लोगों को
खुशी देने वाले सचिन 
के साथ न्याय हुआ…लेकान एक ऐसा शख्स जिसने अपने दम पर लाखों
भारतीयों की ज़िंदगी बदल दी, 
स्वावलंबन के ज़रिए उनके घरों में खुशहाली ला दी…क्या वो शख्स भारत रत्न
पाने का हक़दार नहीं 
है…इस शख्स का नाम है डॉ वर्गिस कुरियन…भारत में श्वेत क्रांति के
जनक…अगली कुछ पोस्टों में 
आपको डॉ वर्गिस कुरियन की पूरी कहानी बताने की कोशिश करूंगा…

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ताऊ रामपुरिया

हमें तो सारा चुनावी गुणा भाव लग रहा है. डॉ वर्गिस कुरियन को तो कभी का मिल जाना चाहिये था.

रामारम.

anshumala
11 years ago

क्या ध्यान चंद को पुरुस्कार देने से कोई फायदा था , कोई चुनावी माइलेज मिल रहा था , क्या वो चुनावो में कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार कर सकते थे , जवाब नहीं नहीं नहीं तो फिर काहे का पुरस्कार । हम सभी जानते है की सरकारी पुरस्कारो और पदो का वितरण कैसे और क्यों होता है और उसका पैमाना क्या होता है , भारत रत्न भी उससे अछूता नहीं है , इसमे भी राजनीतिक माइलेज के लिए खास लोगो को देने का आरोप लगता रहा है , और इसमे कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं है ,

पुष्यमित्र

right

Udan Tashtari
11 years ago

ओके

vandana gupta
11 years ago

बात तो सही है

travel ufo
11 years ago

sahmat

ASHUTOSH
11 years ago

kush deep main sirf itna kahna chaunga ki khel dilo ki jodti hai ispar politics nahi honi chahiye

Sheshnath Prasad
11 years ago

मैं आपके विचारों से सहमत हूँ.

डॉ टी एस दराल

काश कि इस सम्मान से राजनीति को अलग रख पाते !
जो शख्श करोडों लोगों के जीवन मे खुशी की एक लहर ला सके , उसे सम्मान तो मिलना ही चाहिये . मेजर ध्यानचंद भी इन्ही मे से एक हैं . बेशक और भी बहुत होंगे जो इस लायक होंगे . फिलहल तो सचिन के लिये हम भी खुश हैं .

अनूप शुक्ल

सचिन एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं जिस पर बाजार का कब्जा रहा।

ध्यानचन्द को अब भारत रत्न न मिलना ही उनका सम्मान होगा।

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