दिल तो बच्चा है जी…
कुछ भी चाह सकता है…
कभी खुश होकर उछलने लगता है…
गाने लगता है…आज मैं ऊपर, आसमां नीचे…
और कभी उखड़ कर गाने लगता है…ये दुनिया, ये महफ़िल मेरे काम की नहीं…
यानि दिल तो है दिल, दिल का क्या कीजे…
अब दिल का नाम आया है तो यक़ीनन मुहब्बत भी साथ आएगी ही…
और मुहब्बत आप जानते ही हैं बड़े काम की चीज़ है…
ऐसे में मुहब्बत का दूसरा नाम अगर ब्लॉगिंग हो जाए तो…
जिन्होंने दोनों को आजमाया है वो जानते हैं कि दोनों में कोई फ़र्क नहीं है…
मुहब्बत होती है तो टूट कर होती है…
ब्लॉगिंग भी होती है तो कूट कर होती है…
आशिकी में खोट किसी को भी दीवाना बना दे…
लेकिन ब्लॉगिंग में चोट किसी को भी सयाना बना दे…
बस यही तक कर सकता था ओरिजनल तुकबंदी…लेकिन मुहब्बत का ज़िक्र किया है तो त्रिशूल फिल्म का गाना ज़ेहन में खुद-ब-खुद कौंधने लगा…मुहब्बत बड़े काम की चीज़ है…फिल्म में अमिताभ बच्चन हालात के जले हैं…इसलिए गाने में मुहब्बत को बेकार बेदाम की चीज़ बताने में ज़रा देर नहीं लगाते…लेकिन उन्हें समझाने के लिए बाबा भारती (शशि कपूर) और बाबी भारती (हेमा मालिनी) एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देते हैं…और आखिर में मनवा कर ही छोड़ते हैं कि मुहब्बत बड़े काम की चीज़ है…इसका मतलब ब्लॉगिंग भी बड़े काम की चीज़ है…आगे बढ़ने से पहले त्रिशूल फिल्म का ओरिजनल गाना देख-सुन लीजिए…
इस गाने के बोलों में मुहब्बत और चाहत की जगह ब्लॉगिंग को फिट कर दिया जाए तो कुछ इस तरह का गीत बनेगा…
इंटरनेट पर छपते हैं ब्लॉगिंग के किस्से,
हक़ीक़त की दुनिया में ब्लॉगिंग नहीं है…
ज़माने के बाज़ार में ये वो शह है,
के जिसकी किसी को ज़रूरत नहीं है…
ये बेकार बेदाम की चीज़ है,
ये कुदरत के इनाम की चीज़ है
ये बस नाम ही नाम की चीज़ है,
हां, काम की चीज़ है, ब्लॉगिंग बड़े काम की चीज़ है,
ब्लॉगिंग से इतना ख़फ़ा होने वाले,
चल आज तुझको ढिठाई सिखा दे,
तेरा दिल जो इतना रूठा पड़ा है,
वहा कोई चिकना घड़ा बिठा दें,
ब्लॉगिंग बड़े काम की चीज़ है,
हां, काम की चीज़ है….
नोट- ये बाबा भारती, बाबी भारती का क्या चक्कर है, इसके बारे में जानना है तो आपको अनूप शुक्ल जी की इस पोस्ट को बांचना होगा…
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ब्लोगरों के लिए हर दिन "तीज" है ,
'ब्लॉगिंग बड़े काम की चीज़ है ;
आप तो पैरोडी भी खूब कर लेते हैं… और लखनऊ वालों के सम्मान समारोह में ब्लागरियान बिरादरी गायब रही…
शुक्र है किसी निष्कर्ष पर तो पहुँचे…
बेदाम तो है पर बेकार नहीं, देखिये न कितने लोग जूझ रहे हैं।
मजा आ गया आज तो.
खुशदीप भाई को तरंग में देख कर.
हिन्दी के बादाम,अंग्रेजी का पिस्ता
इधर से भी रिश्ता,उधर से भी रिश्ता
सुन्दर भावों से ब्लोगिंग को जगमगाते रहिएगा
जिसको जो अच्छा लगे खाए वह बादाम या पिस्ता
गानों की
चुटकुलों की
बनाते हैं पैरोडियां
फिर ढूंढते हैं
करें कुछ सार्थक
अंग्रेजी में ही
मिलता है अर्थ
।
अंग्रेजी की करके सेवा
खाते रहो चैनलों से
भर भर कर खूब मेवा।
ब्लॉगिंग बड़े काम की चीज़ है,
हां, काम की चीज़ है….
ब्लोगिंग बड़े काम कि चीज़ है.. कोई सच मैं ब्लॉग्गिंग तो करे. यहाँ तो शोर शराबा, इनाम, उत्सव, नाम, चाटुकारिता को ब्लॉग्गिंग का नाम दिया जा रहा है ..इसी लिए बेकार लगना भी वाजिब है..
ब्लॉगिंग बेदाम की नहीं
बादाम की है
ब्लॉगरों
अंग्रेजी में कोई
बादाम कैसे खिलवा सकता है
ये दम तो सिर्फ हिंदी ब्लॉगिंग में ही है।
हिन्दी ब्लॉगिंग में भरे हुए हैं बादाम
आप भी खाली कर रहे हैं वो गोदाम
आपने सही कहा है कि
'ब्लॉगिंग बड़े काम की चीज़ है,
हां, काम की चीज़ है….'
निम्न लिंक से भी यही प्रमाणित होता है :
माँ-बाप के बारे में
बेदाम याने अमूल्य। जिसका कोई मौल नहीं। जैसे मन का कोई मौल नहीं चुका सकता वैसे ही जहाँ मन लगे उसका कोई मौल कैसे लगा सकता है।
आप ने भी हिन्दी पेल दी। पर नाम तो अभी भी लिस्ट में है।
ब्लोगिंग बेदाम तो हो सकती है पर बेकार नहीं |
ब्लॉगिंग बड़े काम की चीज़ है,
हां, काम की चीज़ है….
यही मंत्र है!!! 🙂
अच्छा तो अब आयी आपकी प्रतिक्रिया -यह प्रतीक्षित थी 🙂