आजकल लंबे ब्रेक ले लेकर ब्लॉगिंग करना रास आ रहा है…वैसे तो इस साल के शुरू से ही रोज़ ब्लाग लिखने की स्वयंभू परंपरा को तोड़ दिया है…इसलिए अब ये तनाव नहीं रहता कि आज क्या लिखना है…ढाई साल की ब्लॉगिंग में आदत सी बन गई थी कि जिस तरह रोज़ अखबार आता है, उसी तरह एक पोस्ट भी रोज़ लिखूं…पोस्ट पर टिप्पणियां घटने लगीं तो लगा कि अब अपना टाइम ओवर हो गया है…पढ़ने वाले शायद अपने लिखे से बोर होने लगे हैं…
अलेक्सा रैंकिंग भी जो तीन-चार लाख के अंदर चल रही थी, घट कर पंद्रह लाख के बाहर चली गई…लेकिन दो दिन पहले रवींद्र प्रभात जी की पोस्ट से पता चला कि अलेक्सा रैंकिंग सबकी ही घटी है…जानकर खुशी हुई कि देशनामा वर्ष 2011 के शीर्ष 100 हिंदी ब्लॉगों में नवें नंबर पर और व्यक्तिगत ब्लॉगों में तीसरे नंबर पर रहा...ये देखकर अच्छा लगा कि टिप्पणियां बेशक घट गईं लेकिन पाठकों की संख्या लगातार बढ़ी है..
टिप्पणियों का एक सच ये भी है कि पहले की तुलना में मैं भी अब दूसरे ब्लागों पर बहुत कम टिप्पणियां कर पाता हूं…मेरा इस पोस्ट को लिखने का तात्पर्य यही है कि टिप्पणियां कम होने से ये नहीं समझना चाहिए कि आपको पढ़ा नहीं जा रहा…ज़ाहिर है टिप्पणियां टू-वे ट्रैफिक से गवर्न होती हैं…वनवे ट्रैफिक यहां ज़्यादा दिन नहीं चलता…मेरी खुशकिस्मती रही कि व्यस्तता के चलते दूसरे ब्लागों पर टिप्पणियां न करने के बावजूद मुझे टिप्पणियां मिलती रहीं…इसके लिए मैं सबका दिल से आभारी हूं…कोशिश करूंगा कि दूसरे ब्लागों पर टिप्पणियां करने के पुराने सिलसिले को फिर शुरू कर सकूं…
स्लॉग ओवर
पति की हालत स्पिल्ट एसी की तरह होती है…
घर के बाहर कितना भी शोर मचाता हो लेकिन घर के अंदर शांत रहना, ठंडा रहना और रिमोट से कंट्रोल होना उसकी नियति है…
ब्रेक ले लेकर ब्लॉगिंग…खुशदीप
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