बैक टू 1992…खुशदीप

लो जी…फिर बम फट गया…इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट ने भूचाल ला दिया है…रिपोर्ट अयोध्या कांड की जांच के लिए बने एम एस लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर है…अभी लिब्रहान रिपोर्ट संसद में पेश नहीं की गई है…लेकिन अखबार के हाथ रिपोर्ट लग गई…आज अखबार की पहली किस्त ने ही संसद ठप करा दी…दूसरी किस्त आने पर क्या होगा…राम जाने…

अखबार के मुताबिक रिपोर्ट में जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान (जी हां इनका नाम भी मनमोहन सिंह है) ने अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं के लिए कहा है कि इन्हें संदेह का लाभ नहीं दिया जा सकता…न ही ये अभियोज्यता से बच सकते हैं…इसमें कोई शक नहीं कि संघ परिवार ने सुनियोजित साज़िश के तहत अयोध्या में विवादित ढ़ांचे को गिराया…और वाजपेयी, आडवाणी. जोशी राम मंदिर निर्माण आंदोलन के जाने-पहचाने चेहरे रहे हैं, जिनका संघ ने औजार की तरह इस्तेमाल किया…इन तीनों में इतना सामर्थ्य नहीं था कि ये अपने राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाए बिना संघ के आदेशों की अनदेखी कर सकते…इतिहास इस बात का गवाह है कि नाज़ी सिपाहियों की बचाव में ये दलील मंजूर नहीं की गई थी कि उन्होंने सिर्फ अपने आकाओं के आदेशों का पालन किया था…वाजपेयी, आडवाणी और जोशी तीनों ही संघ के हाथों प्यादे बने हुए थे….

खैर रिपोर्ट में सही में क्या है और अखबार में लीक हुई रिपोर्ट कितनी विश्वसनीय है ये तो तब पता चल ही जाएगा, जब सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ लिब्रहान रिपोर्ट को इसी शीतकालीन सत्र में संसद में रखेगी…लिब्रहान आयोग ने इस साल 30 जून को ये रिपोर्ट सौंपी थी…लिब्रहान आयोग का गठन 16 दिसंबर 1992 यानि अयोध्या में बाबरी मस्जिद (या विवादित ढांचे) गिराए जाने के दस दिन बाद ही कर दिया गया था…रिपोर्ट भी ज़्यादा से ज्यादा साल छह महीने में आ जानी चाहिए थी…लेकिन लिब्राहन आयोग को एक के बाद एक 48 विस्तार मिले…साढ़े सोलह साल बाद जाकर और आठ करोड़ रुपये खर्च करने के बाद आखिरकार लिब्रहान आयोग ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी…इस दौरान 399 सुनवाई हुई और 100 से ज़्यादा चश्मदीदों के बयान दर्ज किेए गए…

ज़ाहिर है आज ये रिपोर्ट अखबार में लीक हुई तो अयोध्या की घटना फिर सुर्खियों में आ गई…बीजेपी का सवाल था कि रिपोर्ट की सिर्फ दो स्तर तक ही पहुंच थी…खुद जस्टिस लिब्रहान और दूसरी सरकार…यानि अगर रिपोर्ट लीक हुई तो इन्हीं दो स्तर पर हुई…इस पर चिदम्बरम का कहना था कि हम इतने नासमझ नहीं है कि पहले रिपोर्ट लीक करें और फिर संसद में सफाई देते फिरें…दूसरी तरफ जस्टिस लिब्रहान से ये सवाल पूछा गया तो उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया…उन्होंने सवाल पूछने वाले पत्रकारों को गेट लॉस्ट तक कह दिया…

अब कोई कुछ भी कहे रिपोर्ट तो लीक हुई है…तो क्या सरकार खुद ही रिपोर्ट लीक कर जनता की नब्ज देखना चाह रही है…जैसा रुख दिखेगा, एक्शन टेकन रिपोर्ट को वैसा ही मोड़ दिया जाएगा…दूसरे क्या मुस्लिम वोटों को फिर कांग्रेस के पीछे एकजुट करने के लिए सरकार बीजेपी के दिग्गज नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई का मन बना रही है…

यूपी में हालिया उपचुनाव के नतीजों में मुलायम सिंह यादव की करारी हार ने साबित कर दिया है कि मुस्लिम वोटर अब अपने लिए नया ठिकाना ढ़ूढ रहा है…ऐसे में कांग्रेस ही उसके सामने एकमात्र विकल्प है…दूसरे ये भी हो सकता है कि 26/11 की बरसी से पहले लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट लीक कर देश का ध्यान दूसरी तरफ मोड़ दिया जाए…क्योंकि अगर 26/11  की बात होगी तो ये सवाल भी उठेगा कि सरकार ने पूरे एक साल किया क्या…पूरी दुनिया ने माना कि पाकिस्तान की सरज़मी से हमलावरों ने समुद्र के रास्ते आकर मुंबई को 60 घंटे तक बंधक बनाए रखा…तमाम सबूतों के बावजूद हम पाकिस्तान को हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर नहीं कर सके…9/11 के बाद अमेरिका आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जाकर अफगानिस्तान में बम बरसा सकता है…फिर हमें ये काम करने के लिए कौन रोक सकता है…क्या ये हमें हक नहीं बनता कि देश के दुश्मन कहीं भी छुपे हों उनका वहीं जाकर काम तमाम कर दिया जाए…इसके लिए हमें अमेरिका या अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजाजत लेने की बंदिश क्यों...ये सब सवाल हैं जो केंद्र की यूपीए सरकार को मुश्किल में डाल सकते हैं…क्या इन सवालों से बचने के लिए ही सरकार ने लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट को बस्ते से निकाला है….

वैसे अगर सरकार सख्ती से पेश आती है तो बीजेपी की भी जैसे मन की मुराद पूरी हो जाएगी…ये आईसीयू में पड़ी बीजेपी के लिए ऑक्सीजन से कम नहीं होगा…कल्याण सिंह फिर संघम शरणम गच्छामि का जाप जपने लगे हैं…हो सकता है वो मुलायम सिंह से हालिया दो दिन की दोस्ती और फिर दुश्मनी को लेकर कुछ धमाकेदार खुलासे ही कर दें…यानि बीजेपी और संघ की पूरी कोशिश रहेगी कि अयोध्या की हांडी को उग्र हिंदुत्व की आग पर एक बार फिर पकाया जाए…यानि देश का माहौल फिर गरम होने के पूरे आसार बन रहे हैं…

ऐसे में अब हमें और आपको सोचना है…क्या हम भी स्वार्थ की राजनीति करने वाले नेताओं के मोहरे बन जाएं…अयोध्या की घटना को 17 साल हो गए हैं…ऐसे ही बोफोर्स का मुद्दा बाइस साल से रह-रह कर सतह पर आता रहा है…कब तक हम अतीत के बंधक बने रहेंगे…क्यों हम नेताओं को कुछ नया सोचने पर मजबूर नहीं कर देते…ये तभी होगा जब हम सभी भारतवासी धर्म, जात-पांत, प्रांतवाद, भाषा जैसे मुद्दों से उठकर…देश सबसे पहले…का नारा लगाए…गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण और भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा दुश्मन मानें…इन्हें जड़ से मिटाते हुए देश को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में ले चलने का संकल्प लें…एक बार हम एकजुट होकर देखें…फिर देखिए नेता कैसे सर के बल आपके दिखाए रास्ते पर नहीं चलते…आखिर में यही सोच रहा हूं कि क्या कभी ये सपना सच होगा…

स्लॉग ओवर

मक्खन…गुल्ली पुतर…इधर आ…ज़रा चेक करूं कि स्कूल में क्या पढ़ता है…बता टीपू सुल्तान कौन था…

गुल्ली…पता नहीं…

मक्खन…स्कूल में क्लास में रहा करे तो पता चले न कि टीपू सुल्तान कौन था…

गुल्ली…डैडी जी…टुन्नी अंकल कौन है…पता है…

मक्खन…पता नहीं…वैसे कौन है ये टुन्नी…

गुल्ली…कभी घर में रहा करो तो पता चले न…

Khushdeep Sehgal
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