बुढ़ापे की रईसी…खुशदीप

सिर्फ पैसा ही आपको अमीर नहीं बनाता…

उम्र का बढ़ना भी आपको अमीर बनाता रहता है…

अब आप कहेंगे, वो कैसे भला…उम्र के साथ तो डॉक्टर का खर्च बढ़ता जाता है…ये तो ज़ेब हल्की करता है, फिर अमीर कैसे हो सकते हैं…

अब देखिए मैं आपको बताता हूं ये कैसे होता है…

उम्र बढ़ती है तो सिर के बालों पर चांदी छाने लगती है…
दांतों में भी चांदी-सोना लग जाता है…
ख़ून में शुगर का लेवल बढ़ जाता है…
किडनी में कीमती स्टोन इकट्ठे होने लगते है…
साथ ही आपको मिलने लगती है कभी न खत्म होने वाली गैस की सप्लाई…

स्लॉग चिंतन

बिना लिबास आए थे हम सब इस जहां में,
बस इक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा…

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Pratik Maheshwari
14 years ago

स्लॉग चिंतन मस्त है 🙂

Rakesh Kumar
14 years ago

kushdeep bhai kya kehane,Kangali me aata geela.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट "

sachchi …bebaak prastuti!

Rohit Singh
14 years ago

मस्त पोस्ट…..पर इस अमीरी की समाज को कद्र नहीं,,,,और ये अमीर भी कम नहीं…

Unknown
14 years ago

bhai yeh depression ki nisani hai.

Manoj K
14 years ago

खूब ..

राज भाटिय़ा

बिना लिबास आए थे हम सब इस जहां में,
बस इक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा.
मस्त जी, लेकिन जब कफ़न ही सिर्फ़ खरीदना हे तो अमीर बनाने का क्या लाभ, यह तो मुफ़त मे मिल जायेगा…. इस लिये हमे ना अमीर बनाना हे, ना अभी कुछ खरीदना हे, राम राम जी की 🙂

Neeraj
14 years ago

Negative optimism

प्रवीण पाण्डेय

गज़बिया चिन्तन, जय हो।

sonal
14 years ago

wah wah slog jabardast hai

vandana gupta
14 years ago

बिना लिबास आए थे हम सब इस जहां में,
बस इक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा…

वाह! क्या बात कह दी…………वैसे अमीर सभी बनते हैं कोई नही सबको इसी श्रेणी मे आना है

बेनामी
बेनामी
14 years ago

बिना लिबास आए थे हम सब इस जहां में,
बस इक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा…

Alokita Gupta
14 years ago

बिना लिबास आए थे हम सब इस जहां में,
बस इक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा…
maast hai

एस एम् मासूम

बिना लिबास आए थे हम सब इस जहां में,
बस इक कफ़न की ख़ातिर इतना सफ़र करना पड़ा.
.
बहुत सही कहा है

anshumala
14 years ago

ऐसी अमीरी से तो गरीबी भली |

शिवम् मिश्रा

आज के स्लोग चिंतन … ने सच में चिंता में डाल दिया !

जय हिंद !!

Sushil Bakliwal
14 years ago

बुढापे की कीमती सम्पदा के साथ शानदार स्लाग चिंतन.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

मजेदार है यह अमीरी.

नीरज गोस्वामी

हा हा हा हा …सच्ची बातें…
नीरज

दिनेशराय द्विवेदी

हाँ, अमीर तो हर कोई होता जाता है. अपने अनुभवों से। जब उन्हें बाँटता है तो और भी अमीर होते हैं.

अजित गुप्ता का कोना

हाँ भाई हम भी अमीर बनते जा रहे हैं।

संजय कुमार चौरसिया

bahut sahi kaha

डा. अमर कुमार


स्लॉग-चिन्तन….
बेहतरीन फ़लसफ़े के तौर पर ज़ुमले की खूबसूरती है,
मगर यह मायूस कर देने वाली कड़वी सच्चाई भी है ।
बेहतर हो कि ज़िन्दगी जीने के ख़्वाहिशमंद इसे दिमाग से झटक ही दें ।

अर्ज़ है..
चाह कर भी मौत से कोई वफ़ा नहीं करता
जहाँ ताउम्र ज़िन्दगी एक गिला सी लगती है

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