बहू की ताकत…खुशदीप

बहुओं की ताकत अपरम्पार है…सियासी ख़ानदान भी इससे अलग नहीं है…पति के लिए वोट जुटाने को दिन-रात एक करती पत्नियों को आपने देखा होगा…खुद सियासत में न भी हो लेकिन हमेशा उसी माहौल में उठने-बैठने से नेतागीरी का हर दांव-पेंच उन्हें बखूबी आ जाता है…लेकिन देश के जितने बड़े सियासी कुनबे हैं, वहां महिलाएं भी सत्ता पर अपनी दावेदारी ठोकने लगी हैं…नई मिसाल बाल ठाकरे की बहू स्मिता ठाकरे की है..स्मिता की अपने पति जयदेव से नहीं बनी लेकिन जयदेव के बाल ठाकरे के घर मातोश्री से अलग रहने पर भी स्मिता ने मातोश्री का साथ नहीं छोड़ा…स्मिता बेशक अपने दो बेटों के साथ जुहू में रहती हों लेकिन मातोश्री में भी उन्होंने अपनी रिहाइश की जगह बरकरार रखी…

लेकिन अब उन्हीं स्मिता ठाकरे के तेवरों से बाल ठाकरे के दरकते किले की एक और दीवार ढह गई…उम्र के इस पड़ाव पर बाल ठाकरे को ये मलाल ज़रूर होगा कि चोट इस बार भी बाहर से नहीं, घर के अंदर से ही हुई…इस बार बग़ावत का झंडा मझले बेटे जयदेव की पत्नी स्मिता ठाकरे ने उठाया...भतीजे राज ठाकरे की तरह बहू स्मिता ने अलग पार्टी तो नहीं बनाई बल्कि उससे भी आगे का एक कदम उठा लिया….बाल ठाकरे का जिस कांग्रेस के साथ शुरू से छत्तीस का आकंड़ा रहा है, स्मिता ने उसी कांग्रेस के हाथ का साथ थामने के लिए ठाकरे खानदान से बाहर कदम बढ़ा दिए…

ये किसी से छुपा नहीं है कि नब्बे के दशक के मध्य शिवसेना बीजेपी के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में आई थी तो उस वक्त स्मिता की तूती बोलती थी…बड़े बड़े नेता, अधिकारी, कारोबारी स्मिता के दरवाज़े के बाहर लाइन लगाए रखा करते थे…शिवसेना के हर फैसले पर स्मिता से सहमति की मुहर ली जाती थी…फिर वही स्मिता हाशिए पर कैसे चली गईं…दरअसल, बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे और बेटे उद्धव का कद राजनीति में जैसे जैसे बढ़ता गया, स्मिता की पूछ वैसे वैसे घटती गई…हाशिए पर समेट देने का यही गम स्मिता को अंदर से खाए जा रहा था…स्मिता को राज्यसभा की टिकट देने का वादा शिवसेना सुप्रीमो की ओर से पूरा नहीं हुआ…स्मिता ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपने के लिए लेख भेजा तो उसे बाल ठाकरे की ओर से फाड़ कर फेंक दिया गया…यही नही स्मिता की एक पहचान बॉलीवुड की फिल्म निर्माता की भी है…स्मिता के अनुसार शिवसेना से ही कुछ लोगों ने बॉलीवुड में भी उनके रास्ते में कांटे बिछाने की कोशिश की…स्मिता का बेटा राहुल ठाकरे टोरंटो से फिल्म निर्माण की ट्रेनिंग लेकर आया हुआ है…ख़बर है कि स्मिता बिपाशा बसु को लेकर एक इंटरनेशनल फिल्म प्रोजेक्ट भी शुरू करना चाहती हैं…स्मिता की इस पहचान पर भी चोट हुई तो उनके भीतर गुस्सा बढ़ता गया…

स्मिता की छटपटाहट ने पहली बार तूल तब पकड़ा था जब उन्होंने बिना बाल ठाकरे से अनुमति लिए राज ठाकरे से जाकर मुलाकात की थी…लेकिन स्मिता अच्छी तरह जानती हैं कि अगर वो राज की पार्टी एमएनएस से जुड़तीं तो वहां राज का कद इतना बड़ा है कि उन्हें छाया में ही रहना पड़ेगा…यही स्मिता ने मास्टरस्ट्रोक चलने का फैसला किया…कांग्रेस के साथ अपनी तकदीर को जोड़ने का…स्मिता ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी की शान में कसीदे पिछले महीने ही पढ़ दिए थे…स्मिता को उम्मीद थी कि बाल ठाकरे के ख़िलाफ़ बग़ावती तेवरों को देखते हुए कांग्रेस उन्हें हाथोंहाथ ले लेगी…लेकिन कांग्रेस आलाकमान इस मामले में ज़ल्दबाज़ी में कोई फैसला नहीं लेना चाहता…उसे पता है कि स्मिता को पार्टी में लेने पर उनके कद का कोई पद भी देना पड़ेगा…लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस की राजनीति को जो समझते हैं, उन्हें पता है कि अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे जैसे कई दिग्गजों के होते हुए स्मिता को समायोजित करना मुश्किल होगा…

अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस किस तरह स्मिता ठाकरे को महाराष्ट्र की राजनीति में इस्तेमाल करती है…कहने वाले ये भी कहते हैं कि राज ठाकरे आज जो इतने ताकतवर नज़र आते हैं, असल में वो ताकत कांग्रेस की ही दी हुई है…कांग्रेस जानती है कि राज जितने मज़बूत होंगे, बाल ठाकरे उतने ही कमज़ोर होंगे…मराठी मानुस की राजनीति पर शिवसेना की दावेदारी घटेगी तो कांग्रेस के लिए सत्ता का रास्ता निकालना उतना ही आसान बना रहेगा…इस साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसी रणनीति ने जमकर फायदा पहुंचाया…शिवसेना और राज की सेना मी मराठी के नाम पर लोगों को बांट कर सत्ता के सिहांसन तक पहुंचना चाहते हैं…वहीं कांग्रेस ने ठाकरे खानदान को ही बांट कर सत्ता की राह तैयार कर ली…अब स्मिता ठाकरे भी कांग्रेस के साथ आ खड़ी होती हैं तो शिवसेना को काटने के लिए कांग्रेस के हाथ दोधारी तलवार खुद-ब-खुद लग जाएगी…बहरहाल अभी तो यही कहा जा सकता है कि तेल देखो, तेल की धार देखो…

स्लॉग ओवर

संता को काम के सिलसिले में लंबे अर्से के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा…लेकिन वो बंता को ताकीद कर गया कि घर पर नज़र रखना और कुछ भी रूटीन से अलग दिखाई दे तो फौरन इत्तला करना…एक महीने तक तो कुछ नहीं हुआ…एक महीने बाद अचानक संता को बंता का एसएमएस आया…संता पापे, पिछले एक महीने से एक आदमी रोज़ तेरे घर  आता था और चार-पांच घंटे तक भरजाई (भाभी) के साथ रहता था, वो आज नहीं आया…

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आज मेरे अंग्रेज़ी ब्लॉग Mr Laughter पर है…

पिछले कई सालों से एक ही शख्स महिला भी, पुरुष भी

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