जबलपुर के डिंडोरी के निगवानी गांव में आज से आठ साल पहले पंद्रह साल की एक लड़की अपने गरीब बाप का हाथ बंटाने के लिए मजदूरी का काम करती है…मजदूरी कराने वाला ठेकेदार लड़की पर बुरी नज़र रखता है…और एक दिन मौका देखकर अपने दो साथियों के साथ उसकी अस्मत को तार-तार कर देता है…लड़की डर के मारे घर पर कुछ नहीं बताती…लेकिन कब तक…खुद तो मुंह सिल सकती थी, लेकिन पेट में आई नन्ही जान को कब तक छुपाती…आखिर पिता को बताना ही पड़ा कि किन तीन वहशियों ने उसके साथ दरिंदगी की थी…
ठेकेदार समेत तीनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई…लेकिन पैसे और रसूख के आगे बेचारी लड़की और उसके गरीब पिता की लड़ाई कहां तक चल पाती…मुकदमे के दौरान लड़की अपने बयान से पलट गई और तीनों आरोपी बरी हो गए…
यहां तक तो थी लड़की की कहानी…लेकिन लड़की ने जिस मासूम को जन्म दिया उसके साथ क्या हुआ ये जानकार किसी का भी कलेजा मुंह को आएगा…मासूम का नाना निगवानी पंचायत से उसका जन्म प्रमाण पत्र बनवाने गया तो ऐसा भद्दा मज़ाक किया गया जिसका दर्द बलात्कार से भी बड़ा है…बच्चे का जो जन्म प्रमाणपत्र जारी किया गया उसमें पिता के नाम के तौर उन तीनों लोगों का नाम लिख दिया गया, जिन पर बलात्कार का आरोप लगा था…
ये बेहूदगी करते हुए एक बार भी नहीं सोचा गया कि बच्चा बड़ा होगा तो उस पर क्या बीतेगी…जब पंचायत ऐसा कर सकती है तो दूसरे लोग भी उस बच्चे के बारे मे क्या क्या नहीं कहते होंगे…सात साल का मासूम अब दूसरी क्लास में पढ़ रहा है…औसत बच्चों से वो ज़्यादा होशियार है…अभी उन बातों को मतलब नहीं समझता होगा जो उसकी मां के साथ बीती…लेकिन जैसे जैसे ये बच्चा बड़ा होगा, समझने लायक होगा तो भावनात्मक रूप से उस पर क्या असर होगा, ये सोच कर ही दहल उठता हूं…
मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर याद आ रही है…जिसे परमेश्वर कहा जाए क्या वो पंचायत किसी बच्चे को लेकर इतनी अंसवेदनशील भी हो सकती है…धिक्कार है ऐसी पंचायत पर, ऐसे समाज पर, जहां एक अबला और मासूम का ये हाल किया जाए…
———————————
- कर्नल सोफ़िया कुरैशी के नाम पर फेसबुक स्कैम - May 16, 2025
- बिलावल भुट्टो की गीदड़ भभकी लेकिन पाकिस्तान की ‘कांपे’ ‘टांग’ रही हैं - April 26, 2025
- चित्रा त्रिपाठी के शो के नाम पर भिड़े आजतक-ABP - April 25, 2025
धिक्कार है ऐसी मानसिकता पर।
हम तो उस देश में रहते है जहा खाप पंचायते प्रेमी जोड़े को मार डालती है भीड़ के साथ मिल कर और एक गोत्र में शादी करने वाले पति पत्नी को भाई बहन बना देते है और कांग्रेसी मंत्री, सांसद खुल कर इसे सही बताते है वो कानून व्यवस्था का मजाक नहीं उड़ा रहे है वो वही कह रहे है जो समाज की सोच है , दिल्ली में चलती गाडियों में लड़कियों को खीच या चाकू के नोक पर या विदेशि महिला से कार पार्किंग में बलात्कार किया जाता है वो कानून व्यवस्था की समस्या है | किसी गांव में किसी दलित गरीब के साथ जब ऐसा होता है और उसे ही दोषी माना जाये और पंचायते ऐसा कम करे तो वो समाज की गलती ज्यादा है कानून व्यवस्था का कम | सेनाध्यक्ष तक भी इसे स्वीकार करते है और सेना में महिलाओ के साथ हो रहे यौन शोषण पर कहना पड़ता है की सेना में भी समाज के लोग ही आते है और वो समाज की सोच के अनुसार ही यहाँ भी व्यवहार करते है पहले बदलना समाज को पड़ेगा पुलिस प्रशासन अपने आप सुधार जायेगा |
मुर्खों एवं गैरजिम्मेदार लोगों की पंचायत का यही कारनामा हो सकता है।
बहुत दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां हैं । पंचायत का रोल बहुत खेदजनक रहा ।
बहुत असंवेदनशील घटना … पंचायत पर मुकदमा कर देना चाहिए ..
यहां बलात्कार के साथ एक और बलात्कार पंचायत ने किया है…वही पंचायत जो सरकार के अधीन है…ऐसे असंवेदनशील कृत्य पर कार्रवाई नहीं होती तो वो किसका कसूर हैं गुंडों का, बदमाशों का…
जय हिंद…
पहली लाइन पढ़ कर लगा की कल के राजनितिक घटनाक्रम पर कुछ राजनीतिक बात करेंगे किन्तु पहली लाइन शायद आप ने इसलिए लिखी कही लोग आप को भाजपा विरोधी और कांग्रेसी ना कहे पूरी पोस्ट से आप की ऊपर की चार लाइनों का कोई मतलब ही नहीं है | क्या किसी बलात्कार की घटना के लिए आप किसी मुख्यामंत्रो या उस पार्टी अध्यक्ष को दोषी करार देंगे ? समझ से परे है |
जहा तक इस घटना की बात है ये कही से भी राजनितिक मुद्दा नहीं है ये पूरी तरह से सामाजिक मुद्दा है ये घटना हमारे भारतीय पुरुषवादी समाज का भद्दा चेहरा है जहा नारी के जान की कोई कीमत नहीं होती तो उसकी इज्जत की क्या कीमत होगी इस समाज में महिलाओ से तो हर तरह की संवेदनशिलता की उम्मीद की जाती है पर उसके प्रति कोई भी संवेदनशील नहीं होना चाहता | किसी भी देश का पुलिस प्रशासन वैसा ही व्यवहार करता है जैसा की समाज है जैसा की समाज में लोगों की सोच है ये घटना उसी का उदाहरन है | अभी हाल में ही कोर्ट ने आदेश दिया की एक १५ साल की नाबालिक लड़की को एक २२ साल के बालिग लडके के भगा कर ले जाने और फिर उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनने को और फिर वापस घर भेज देने को प्यार का नाम दे कर छोड़ दिया उसे बलात्कार नहीं माना अब इसे क्या कहेंगे जबकि कानून में साफ लिखा है की नाबालिग के साथ उसके सहमति से बना सम्बन्ध भी बलात्कार की श्रेणी में आता है | इस घटना कई जिक्र अभी नारी ब्लॉग पर भी किया गया है |
mai to diwedi ji ki baat se sehmat hu ,
अब वक्त आ गया है कि सभी दस्तावेजों में पिता के स्थान पर केवल माँ का नाम दर्ज करने का कानून बना दिया जाना चाहिए।
आजकल तो केवल मां के नाम से भी काम चल जाता है तब ऐसा करने की आवश्यकता ही क्या है?
आजकल तो केवल मां के नाम से भी काम चल जाता है तब ऐसा करने की आवश्यकता ही क्या है?
अफसोस होता है हालात देखकर…
हद है। उस लडकी का बलात्कार तो उन वहशियों ने किया था, जिनका चरित्र गिरा हुआ था, लेकिन उसके बच्चे के भविष्य के साथ बलात्कार किया है पंचायत ने, सरकार ने।
सच में उस बच्चे के बडे होने के बाद उसके मन में क्या बीतेगी इसकी कल्पना करते हुए सिहरन हो रहा है।
भ्रष्टाचार, सुशासन और स्वस्थ्य प्रशासन की बात बाद में…. पहले मानवीय आधार पर सोचने वाली सरकार, जनप्रतिनिधि होंगे तभी आम लोगों के लिए बेहतर माहौल मिल सकता है।
आभार आपका इस मामले को सामने लाने के लिए… अब शायद सरकार जग जाए…. और यदि अब भी सरकार नहीं जगी तो लानत है, ऐसे शासन पर और ऐसे प्रशासन पर।
हे भगवन !!! कौन कहता है कि भारत में गणतंत्र है???…जंगल राज से भी बद्दतर हालात हैं.पता नहीं कब बदलेगी सूरत.