गुजरात एनिमल वेलफेयर
बोर्ड और जैन समुदाय के सदस्यों ने कहा- घरेलू फ्लाइट्स में नॉन वेज फूड पर बैन लगे; सिविल एविएशन
मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया को लिखी चिट्ठी- 25 मार्च की घटना का दिया हवाला, नेशनल फैमिली हेल्थ
सर्वे के मुताबिक देश में 70% महिलाएं और 78% पुरुष नॉन वेज खाने वाले
नई दिल्ली (9 अप्रैल)|
एयर इंडिया की 25
मार्च को टोक्यो-नई दिल्ली फ्लाइट में एक जैन परिवार को नॉन-वेज खाना सर्व किए
जाने का मामला अभी सुर्खियों में ही है कि अब देश की मिनिस्टरी ऑफ सिविल एविएशन
यानि नागरिक उड्डयन मंत्रालय से सभी तरह की डोमेस्टिक फ्लाइट्स में नॉन वेज सर्व
किए जाने पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के
मुताबिक गुजरात एनिमल वेलफेयर बोर्ड के मेंबर्स ने जैन समुदाय के कुछ सदस्यों के
साथ एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस संबंध में चिट्ठी लिखी है. टीओआई
की रिपोर्ट में एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य राजेंद्र शाह के हवाले से कहा गया है
कि “ये आग्रह सभी शाकाहारी यात्रियों की नुमाइंदगी करते हुए किया गया है जिनकी भावनाएं
फ्लाइट्स में नॉन वेज फूड सर्व किए जाने से आहत होती हैं. वेजेटेरियन यात्रियों को
जब शाकाहारी खाने की जगह नॉन वेज फूड सर्व किया जाता है तो उन्हें किस तरह की
मानसिक स्थिति से गुज़रना पड़ता है, ये समझा जा सकता है.”
बोर्ड सदस्य मित्तल
खेतानी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वेज या नॉन वेज का ही नहीं
हाइजिन का भी सवाल है. नॉन वेज फूड की क्वालिटी हमेशा संदेह के घेरे में रहती है.
कई लोग महसूस करते हैं कि नॉन वेज फूड डाइजेस्ट करने में मुश्किल होता है, इसलिए
वेजेटेरियन फूड ही सर्व करना बेहतर है.
25 मार्च को एयर
इंडिया की फ्लाइट में जैन यात्री को कथित तौर पर नॉन वेज फूड सर्व किए जाने की
घटना को लेकर एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें यात्री की ओर से दो क्रू मेंबर्स से
नाराजगी जताने की बातचीत को सुना जा सकता है, इस वीडियो को उसी यात्री ने अपने
ट्विटर हैंडल पर अपलोड भी किया था. यात्री की ओर से शिकायत किए जाने के बाद एयर
इंडिया ने जांच शुरू करने के साथ दोनों क्रू मेंबर्स के अगले आदेश तक फ्लाइट्स पर
जाने पर रोक लगा दी. (वो स्टोरी नीचे के वीडियो में देख सकते हैं)
एविएशन मिनिस्टर
सिंधिया को बोर्ड की ओर से लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि ऐसा सुनिश्चित किया जाना
ज़रूरी है कि शुद्ध शाकाहारियों को फिर 25 मार्च जैसी स्थिति से न गुज़रना पड़े.
प्रकाश शाह को कोट करते हुए टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया कि हम कुछ सब्ज़िया भी
इसलिए नहीं खाते कि उनमें इंसेक्ट्स होते है, तो कोई सोच भी नहीं सकता कि हमें
कैसा लगता होगा जब कोई हमारे साथ बैठ कर नॉन वेज खा रहा हो. हम चाहते है कि सरकार
फ्लाइट्स के लिए नो नॉन वेज फूड पॉलिसी को लागू करे. अभी मंत्रालय की ओर से इस
चिट्ठी पर कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है.
देश में 74% लोग Non Veg
वेज फूड की बहस. अब एक और बात से आपको अवगत कराते हैं कि हमारे देश की आबादी में
नॉन वेज खाने वाले लोग कितने हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 की मानें तो आपको
जानकार हैरानी होगी कि देश में 70 फीसदी महिलाएं और 78 फीसदी पुरुष किसी न किसी
फॉर्म में मीट खाते हैं.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल,
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, ओडिशा और झारखंड ऐसे राज्य हैं जहां नॉन वेज खाने वाले
लोगों की संख्या 97 फीसदी से ज्यादा है.
सरकारी आंकड़े बताते हैं वहीं पंजाब,
हरियाणा, गुजरात और राजस्थान ऐसे राज्य हैं जहां नॉन वेज आबादी 40 फीसदी से नीचे
है.
भारत में लोगों की औसत आय बढ़ने के साथ
मीट की खपत भी बढ़ी है. वर्ष 2020 में भारतीयों ने 60 लाख टन से अधिक मीट चट किया. Organization for Economic Co-operation and Development
(OECD) के मुताबिक कम से कम देश की आबाधी हफ्ते
में कम से कम एक बार ज़रूर नॉन वेज खाती है.
वेज खाने वाले हों तो डोमेस्टिक फ्लाइट्स में पूरी तरह वेजेटेरियन फूड सप्लाई की
मांग कितनी प्रैक्टिकल है, इस पर सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को कोई भी राय बनाने से
पहले ज़रूर विचार करना होगा.